पोप : ईश्वर का हाथ हमें बचाता है

पोप फ्रांसिस ने चालीसा के पांचवें रविवार देवदूत प्रार्थना के संदेश में पापिनी नारी के जीवन पर चिंतन करते हुए कहा कि ईश्वर का हाथ सभों को बचाता है।

पोप ने अपने संदेश में कहा कि चालीसा के पाचवें रविवार का सुसमाचार हमारे लिए व्यभिचार में पकड़ी गई नारी के दृश्य का जिक्र करता है। जहाँ फरीसी और सदूकी उसे मार  डालने की चाह रखते तो वहीं येसु उसके खोये हुए सुन्दर जीवन को पुनः स्थापित करते हैं। वे धूल पर गिरी है, येसु उस धूल पर उंगुलियाँ फेरते और उसके जीवन की नई कहानी लिखते हैं। यह ईश्वर का हाथ है जो अपने बच्चों को बचाता और बुराइयों से मुक्त करता है (लूका11.20)।

ईश्वर का हाथ
प्रिय भाइयो एवं बहनों, पोप ने अपने संदेश में लिखा कि मैं अस्पताल में रहने के दिनों, यहाँ तक कि स्वास्थ्यलाभ के इन दिनों में भी “ईश्वर के हाथ” और उनकी चिंता का अनुभव करता हूँ। बीमारों और विश्व स्वास्थ्य जयंती के अवसर पर मैंने ईश्वर से यही प्रार्थना की कि उनके प्रेम का स्पर्श बीमारों और उनकी देख-रेख करने वालों को साहस से भर दे। “मैंने चिकित्सकों, नर्सों और स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के लिए प्रार्थना की, जो बहुधा प्रार्याप्त सुविधा की स्थिति में कार्य करने हेतु मदद नहीं किये जाते हैं और इसके साथ ही उन्हें क्रोध का शिकार होना पड़ता है। उनकी प्रेरिताई सहज नहीं है, हमें उनका सहयोग और सम्मान करने की जरुरत है। मैं आशा करता हूँ कि जरूरी आवश्यकताएं उपचार और शोध में उपयोग किये जायेंगे, ताकि स्वास्थ्य प्रणालियां समावेशी हों तथा सबसे कमजोर और गरीब लोगों को सहायता मिल सके।

पोप फ्रांसिस ने रेबिब्बिया नारियों के कैदखाने से प्रेषित संदेश के लिए कृतज्ञता के भाव प्रकट करते हुए कहा कि मैं उनके लिए और उनके परिवारों के लिए प्रार्थना करता हूँ।

उन्होंने विकास और शांति हेतु अंतरराष्ट्रीय खेलकूद दिवस के अवसर पर यह आशा व्यक्त की कि क्रीड़ा बहुत से लोगों के लिए आशा और सामाजिक रुप में शामिल की जाने की एक निशानी बनें। उन्होंने क्रीड़ी संघों के प्रति अपने अभार व्यक्त किये जो भातृत्व की भावना को प्रयोगिक बनाते हैं।

शांति हेतु आहृवान
अपने छोटे संदेश के अंत में पोप ने शांति के लिए निरंतर प्रार्थना करने का आहृवान किया- पीड़ित यूक्रेन के लिए जहाँ युद्ध के कारण बहुत से नागरिक और बहुत से बच्चे प्रभावित हैं। उन्होंने गाजा की याद की जहाँ लोगों को दैनीय स्थिति में जीवनयापना करने को बाध्य होना पड़ रहा है जो अपने लिए आश्रय, खाने की चीजों और स्वच्छ जल का अभाव पाते हैं। उन्होंने कहा कि हथियार शांत हो और वार्ता शुरू हो सके, सभी बंदियों को रिहाई मिले और जनसामान्यों को सहायता मुहैया कराया जा सके। “हम पूरे पूर्वी प्रांत में शांति के लिए प्रार्थना करें, सूडान और दक्षिणी सूडान, लोकत्रातिक गणराज्य कोंगो, म्यांमार जो भूंकप से प्रवाभित है और हैत्ती जहाँ हिंसा भड़की है जिसमें कुछ दिन पहले दो धर्मबहनों मारे गये।

अंत में पोप फ्रांसिस ने माता मरिया से निवेदन प्रार्थना कि वे सभों को अपनी सुरक्षा में रखें।