जयन्ती के उपलक्ष्य में प्रवासियों और मिशनरी जगत को पोप का सम्बोधन

विश्व के विभिन्न देशों से काथलिक कलीसिया के जयन्ती वर्ष के उपलक्ष्य में रोम पहुँचे प्रवासियों और मिशनरियों को पोप लियो 14 वें ने शनिवार को सम्बोधित कर सेवा और धन के बीच अन्तर पर चिन्तन का आग्रह किया।
धर्मशिक्षा माला
धर्मशिक्षकों को सम्बोधित कर पोप ने कहाः "प्रिय भाइयो और बहनो, जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में दी गई धर्मशिक्षा माला को जारी रखते हुए, हम आशा के चुनाव पर विचार करते हैं। आज हमने सुसमाचार पाठ में ईश्वर की सेवा या धन की सेवा करने के चुनाव के बारे में सुना। जब हम भौतिक सम्पत्ति को अपने ऊपर हावी होने देते हैं, तो हम आध्यात्मिक रूप से दुखी हो जाते हैं। हालाँकि, जब हम ईश्वर को चुनते हैं, तो हम आशा, क्षमा और दया से परिपूर्ण जीवन को चुनते हैं।"
प्रतिवर्ष 04 अक्टूबर को मनाये जानेवाले असीसी के संत फ्रांसिस के पर्व के सन्दर्भ में पोप ने कहाः "असीसी के सन्त फ्राँसिस के पर्व दिवस पर हम उनके और संत क्लेयर के जीवन पर दृष्टि डालते हैं। ये सन्त उन लोगों के आदर्श हैं जिन्होंने सुसमाचार को समझा और येसु के सदृश अकिंचनता का जीवन चुना। इन सन्तों का यह नेक चयन आज भी कई लोगों को यह याद करने के लिये प्रेरित करता है कि यह धरती सबकी है।"
अन्त में पोप ने समस्त तीर्थयात्रियों को प्रार्थना के लिये आमंत्रित कर कहाः "आइए हम प्रार्थना करें कि हम एक ऐसी कलीसिया बनें जो ईश्वर और गरीबों की सेवा करे और दुनिया के लिए आशा के द्वार खोले।"
अभिवादन
अपनी धर्मशिक्षा माला को समाप्त करने के उपरान्त पोप ने समस्त तीर्थयात्रियों सहित शनिवार के दर्शन समारोह में भाग ले रहे हैं, तीर्थयात्रियों और आगंतुकों का हार्दिक स्वागत किया, विशेष रूप से उन्होंने दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया और संयुक्त राज्य अमेरिका से आए अंग्रेज़ी-भाषा-भाषियों का अभिवादन किया। उन्होंने कहाः "मिशनरी जयंती समारोह में भाग लेने वाले आप सभी का विशेष अभिवादन। इस जयंती वर्ष में आशा के गुणों में वृद्धि का अनुभव करने की प्रार्थना करते हुए, मैं आप सभी पर और आपके परिवारों पर हमारे प्रभु येसु मसीह के आनंद और शांति का आह्वान करता हूँ। ईश्वर आप सबको आशींवाद प्रदान करें! "