कल्याणकारी संगठनों के लाभार्थियों से आप प्रेम के चैम्पियन हैं
जकार्ता में पोप फ्राँसिस ने कल्याणकारी संगठनों के लाभार्थियों से मुलाकात की तथा उनके साक्ष्य सुनकर उनसे कहा कि उनमें से प्रत्येक "जीवन के महान ओलंपिक में प्रेम का चैंपियन" है।
सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु पोप फ्राँसिस इस समय एशिया के इन्डोनेशिया, पापुआ न्यू गिनी, तिमोर लेस्ते तथा सिंगापुर की दस दिवसीय प्रेरितिक यात्रा पर हैं। सोमवार को आरम्भ हुई उनकी यह लम्बी यात्रा इटली से बाहर उनकी 45 वीं विदेश यात्रा है।
बुधवार अपरान्ह जकार्ता स्थित इन्डोनेशियाई काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के मुख्यालय में पोप ने मानवतावादी कल्याणकारी संगठनों के लाभार्थियों से मुलाकात की। इस अवसर पर इन्डोनेशियाई काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष धर्माध्यक्ष अन्तोनियुस सुबियान्तो ने बीमार, विकलांग एवं निर्धन युवा युवतियों के बीच सन्त पापा का हार्दिक स्वागत कर कहा कि सन्त पापा के प्रति उनका प्रेम "असीम और अपरिमित" है।
साक्ष्य
दो युवाओं ने पोप के समक्ष अपनी-अपनी कहानी प्रस्तुत की। सर्वप्रथम, मिमी नामक किशोरी ने अपनी कहानी सुनाई। उन्होंने बताया कि 17 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपनी आँखों की रोशनी खो दी थी, किन्तु "एक युवा काथलिक के रूप में, मुझे क्रूस के मार्ग में सांत्वना मिली"। उन्होंने कहा कि प्रभु येसु ने उनका परित्याग नहीं किया था, इसलिये उन्होंने कहा, "मेरा दृढ़ विश्वास है कि ईश्वर ने मानव को हमारी दुनिया की विविधता को समृद्ध करने के लिए अद्वितीय क्षमताओं के साथ बनाया है, और विकलांगता इन अद्वितीय पहलुओं में से एक है"।
पोप को उनकी करुणा के लिए धन्यवाद ज्ञापित करते हुए मिमी ने कहा कि मानव गरिमा को सुनिश्चित करने में कलीसिया की भूमिका महत्वपूर्ण है, जो हमें "आशा प्रदान करती है।"
तदोपरान्त एन्ड्रू नामक युवा ने अपना साक्ष्य दिया, जिन्हें हल्के ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार और हल्की बौद्धिक विकलांगता से ग्रस्त पाया गया था। उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता उनसे बिलाशर्त प्यार करते हैं। उन्होंने बड़े गर्व से बताया कि उन्हें तैराकी के लिए पैरालंपिक खेलों के लिए पूर्वी जकार्ता दल में चुना गया है। साथ ही स्वतंत्र होने की अपनी इच्छा के चलते उन्होंने, "बैरिस्टा कोर्स और गिटार एवं ड्रम बजाना सीखना शुरू कर दिया है"। एन्ड्रू ने पोप से आग्रह किया कि वे उनके माता-पिता और "दुनिया भर में विशेष बच्चों वाले सभी माता-पिता" को अपना आशीर्वाद प्रदान करें।
पोप फ्रांसिस ने उक्त समारोह में उपस्थित सभी लोगों के प्रति तथा अपनी गवाही साझा करने वालों के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने इंडोनेशिया के कल्याणकारी संगठनों तथा इनके लाभार्थियों की 100वीं वर्षगांठ मनाने के लिए इन्डोनेश्याई धर्माध्यक्षों की सराहना की तथा कलीसिया में "छोटे चमकीले सितारों" के रूप में उनके महत्व पर प्रकाश डाला।
पोप ने उन्हें स्मरण दिलाया कि "प्रभु हम सभी से प्यार करते हैं" और कभी किसी को नहीं भूलते। इसी भावना से सन्त पापा ने अपना 87वां जन्मदिन मना रही एक महिला को शुभकामनाएं भेजकर कार्यक्रम का समापन किया, जो दुर्भाग्य से बीमार थीं और कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकीं थी।