विश्वविद्यालयीन छात्रों से: अपने विश्वास पर अडिग रहें

लातीनी अमरीका के लिये गठित परमधर्मपीठीय आयोग तथा शिकागो के लोयोला विश्वविद्यालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित सम्मेलन को सम्बोधित कर पोप फ्राँसिस ने विश्वविद्यालयीन छात्रों से आग्रह किया कि वे अपने विश्वास में सुदृढ़ बने रहें।

"एशिया प्रशांत क्षेत्र में सेतु निर्माण पहल" शीर्षक से आयोजित सम्मेलन को लाईवस्ट्रीम के माध्यम से सम्बोधित कर पोप फ्राँसिस ने कहा, अपने विश्वास पर सदैव अडिग रहें... और भले ही आप दूसरों के द्वारा सताए जाने के कारण उदासीन विश्वास के साथ जीने के लिए प्रलोभित हों, अपनी पहचान पर अडिग रहें और उन ईसाई शहीदों की तरह मजबूत बने रहें जिन्हें सताया गया था।

पोप फ्रांसिस द्वारा सिनोडेलिटी अथवा धर्माध्यक्षीय धर्मसभा के संग संयुक्तता के आह्वान से प्रेरित होकर शिकागो स्थित लोयोला विश्वविद्यालय के छात्रों ने तमाम विश्व में लोगों के बीच सेतु निर्माण हेतु सम्मेलनों का आयोजन किया है। सबसे पहला सम्मेलन "उत्तर-दक्षिण के बीच सेतु निर्माण" शीर्षक से फरवरी 2022 में सम्पन्न हुआ था, दूसरा सम्मेलन "अफ्रीका में पुलों का निर्माण" शीर्षक से उसी वर्ष नवम्बर माह में सम्पन्न हुआ था जिसमें अवर-सहारा क्षेत्र के विर्द्याथियों ने भी भाग लिया था।

"एशिया प्रशांत क्षेत्र में सेतु निर्माण पहल" शीर्षक से आयोजित सम्मेलन में इस समय फिलीपिन्स, ऑस्ट्रेलिया, तायवान, दक्षिण कोरिया, जापान, इण्डोनेशिया, सिंगापुर, तिमोर लेस्ते तथा पापुआ न्यू गिनी के विश्वविद्यालयीन छात्र भाग ले रहे हैं। यह पहला सम्मेलन है जिसमें सन्त पापा फ्रांसिस ने छात्रों को सम्बोधित किया है।  ग़ौरतलब है कि आगामी सितम्बर माह में सन्त पापा एशिया एवं ओशियाना की प्रेरितिक यात्रा करनेवाले हैं।

अपनी कमज़ोरी से डरें नहीं
एशिया के विश्वविद्यालयीन छात्रों के साथ संवाद करते हुए गुरुवार 20 जून को सन्त पापा फ्राँसिस ने छात्रों से आग्रह किया कि वे अपने से कमज़ोर लोगों के प्रति सदैव सहायता का हाथ बढ़ायें और साथ ही अपनी कमज़ोरी के क्षणों में अन्यों से सहायता लेने में पीछे न हटें।

पोप ने छात्रों को परामर्श दिये, अपनी चिन्ताओं को उनके समक्ष ज़ाहिर किया तथा कई सुझाव रखे। उन्होंने समाज से जुड़कर रहने के महत्व को समझाया और बताया कि किस प्रकार हमारा 'संबंध' हमारे अंदर सुरक्षा तथा मानवीय गरिमा को बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि ये सभी कारक "हमें कमज़ोरी से बचाते हैं, क्योंकि आज युवा बहुत कमज़ोर हैं। कमज़ोरी से बचने के लिए हमें हमेशा अपनेपन की इस भावना की रक्षा करनी चाहिए"। उन्होंने कहा, "देखें कि आप कहाँ सबसे कमज़ोर हैं और किसी से मदद माँगें।"

महिलाओं की महानता
पोप ने मानसिक स्वास्थ्य, भेदभाव, कलंक और पहचान पर भी चर्चा की और ख्रीस्तीय सुसमाचार का साक्ष्य देते हुए आगे बढ़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, "अपनी खुद की पहचान बनाने पर ध्यान दें, सदैव एक-दूसरे के साथ सहयोग करें और एकजुट होकर काम करें।"

पोप ने उन सभी लाँछनों एवं कलंकों की निंदा की जो व्यक्ति की मानवीय गरिमा को कम करते हैं। उन्होंने इस बात पर दुख जताया कि कई बार महिलाओं को दूसरे दर्जे का नागरिक माना जाता है, जो सरासर ग़लत है। महिलाओं के विशेष गुणों और क्षमताओं की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, "महिलाओं की महानता को नहीं भूलना चाहिए। महिलाएं अपनी अंतर्दृष्टि और समुदाय बनाने की क्षमता के मामले में पुरुषों से कहीं अधिक बेहतर हैं।"

बहिष्कार को जगह न दें
छात्रों से पोप ने दूसरों के प्रति सामीप्य और प्रेम दिखाने तथा कभी भी बहिष्कार न करने का आह्वान किया। फिलीपींस में उच्च एचआईवी दर का उल्लेख करते हुए लिंग के बारे में बोलने वाले एक छात्र के शब्दों को याद करते हुए, सन्त पापा ने कहा, "हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्वास्थ्य सेवा, बिना किसी बहिष्कार और भेदभाव के, सभी लोगों के उपचार और मदद करने के लिए तैयार रहे।"

पोप ने प्रभावी शिक्षा पर भी चर्चा की, जिसके लिए, उनकी राय में, हमारे "दिल, दिमाग और हाथों" को "शिक्षित" करने तथा "समन्वयित" करने की आवश्यकता है। उन्होंने युवा छात्रों का आह्वान किया कि वे उपहास करनेवालों के समक्ष भी अपने विश्वास का साक्ष्य प्रस्तुत करने से न डरें। उन्होंने कहा, "ख्रीस्तीय विश्वास में शिक्षित होकर प्रभु ख्रीस्त के "यथार्थ" अनुयायी बनें। अतीत की त्रासदियों से भविष्य के लिये शिक्षा लें और शांति कायम करने हेतु नित्य आगे बढ़ते रहें।"