महिलाओं को अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने का अवसर दिया जाये
वाटिकन के वरिष्ठ धर्माधिकारी तथा संयुक्त राष्ट्र संघ में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष गाब्रिएल काच्चिया ने महिलाओं की उन्नति को बढ़ावा देने के लिए परमधर्मपीठ की प्रतिबद्धता को जारी रखा...
वाटिकन के वरिष्ठ धर्माधिकारी तथा संयुक्त राष्ट्र संघ में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष गाब्रिएल काच्चिया ने महिलाओं की उन्नति को बढ़ावा देने के लिए परमधर्मपीठ की प्रतिबद्धता को जारी रखते हुए इस बात पर ज़ोर दिया कि समाज को उन हानिकारक रूढ़ियों से लड़ना चाहिए जो महिलाओं और लड़कियों के लिए समान अवसरों में बाधा डालती हैं, साथ ही महिलाओं द्वारा लाई गई अद्वितीय क्षमताओं का भी सम्मान करना चाहिए।
महिलाओं की क्षमता
महाधर्माध्यक्ष काच्चिया ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र की तीसरी समिति के दौरान कहा, "एक न्यायपूर्ण समाज के विकास के लिए, महिलाओं की क्षमताओं को आगे बढ़ाना और उन्हें पहचानना आवश्यक है, तथा इसके लिए उन सभी हानिकारक रूढ़ियों का मुकाबला करना होगा जो उन्हें अवसरों से वंचित करती हैं।"
सन्त पापा फ्रांसिस को उद्धृत करते हुए, महाधर्माध्यक्ष ने घरेलू हिंसा को "एक जहरीला खरपतवार बताया जो हमारे समाज को ग्रसित करता है, जिसे जड़ से उखाड़ फेंकने की आवश्यकता है।" उन्होंने घरेलू हिंसा से निपटने के लिए एक सहयोगात्मक प्रतिक्रिया का आह्वान किया, जो अक्सर बंद दरवाजों के पीछे होती है।
मूल कारणों से निपटना
महाधर्माध्यक्ष काच्चिया ने इस बात पर जोर दिया कि गरीबी और उचित शिक्षा की कमी जैसे मूल कारणों को संबोधित करने से अंततः महिलाओं और लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार तथा यौन शोषण के लिए तस्करी में कमी आएगी और साथ ही महिलाओं के प्रति अमानवीय और अपमानजनक व्यवहार के विभिन्न रूपों को समाप्त किया जा सकेगा। उन्होंने कहा, "महिलाओं की अद्वितीय क्षमताओं का सम्मान किए बिना महिलाओं की उन्नति पूरी तरह से हासिल नहीं की जा सकती है।"
इसके अतिरिक्त, उन्होंने कहा कि मातृ मृत्यु दर को कम करने और क्लीनिकों को पर्याप्त रूप से कार्यक्षम बनाने के लिए एक नई प्रतिबद्धता आवश्यक है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां महिलाएं गरीबी का सामना कर रही हैं। उन्होंने कहा, "यह दावा करना भ्रामक होगा कि महिलाओं की उन्नति को बढ़ावा दिया जा रहा है या आगे बढ़ाया जा रहा है, जबकि गरीबी और दुर्व्यवहार के ज्वलंत मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।"
सर्रोगेसी और शिक्षा
सर्रोगेसी के प्रति चिन्ता व्यक्त करते हुए महाधरमाध्यक्ष ने इसे शोषण का एक चिंताजनक रूप बताया और कहा कि इससे "महिलाओं के मातृत्व की अद्वितीय क्षमता का अस्वीकार्य व्यावसायीकरण होता है।" उन्होंने यह विश्वास व्यक्त किया कि यह प्रथा महिलाओं और बच्चों दोनों की गरिमा का गंभीर उल्लंघन है। सर्रोगेसी के निषेध और सार्वभौमिक प्रतिबंध का भी उन्होंने आह्वान किया।
अपना सम्बोधन समाप्त करते हुए महाधर्माध्यक्ष काच्चिया ने महिलाओं और लड़कियों को अपनी प्रतिभा विकसित करने और समाज में अपनी क्षमता का एहसास करने के लिए सशक्त बनाने में शिक्षा के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा, "परिवार और समाज में अपनी-अपनी भूमिकाओं के निर्वाह में महिलाओं और पुरुषों का समर्थन करने के लिए दृष्टिकोण और प्रथाओं दोनों को बदलना नितान्त आवश्यक है।"