हथियारों के बल पर लोगों का उपनिवेशीकरण बन्द करें, पोप
वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में गुरुवार को देवदूत प्रार्थना के उपरान्त पोप फ्राँसिस ने श्रद्धालुओं के समक्ष क्रिसमस की शुभकामनाओं को नवीकृत करते हुए हथियारों के बल पर लोगों के उपनिवेशीकरण को बन्द करने का आह्वान किया।
पोप ने कहा कि जयन्ती वर्ष के आरम्भिक क्षण में उनकी यह हार्दिक अभिलाषा है कि हथियारों का शोर बन्द हो, जो विश्व में युद्धों को बढ़ावा देता है।
शुभकामनाएँ
क्रिसमस की बधाइयाँ भेजने के लिये विश्व के समस्त लोगों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, "मैं आप सभी के प्रति ख्रीस्तजयन्ती की शुभकामनाएं अर्पित करता हूँ। इन दिनों में, मुझे कई संदेश और निकटता के संकेत मिले हैं। मैं हर व्यक्ति, हर परिवार, हर पल्ली और संगठन को इसके लिये धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।"
यहूदी भाइयों के प्रति शुभकामनाएँ अर्पित करते हुए सन्त पापा ने स्मरण दिलाया कि 25 दिसम्बर की रात से हनुक्काह की शुरुआत हुई है। इस आठ दिवसीय प्रकाशोत्सव मनाने वाले सभी यहूदी भाइयों और बहनों को शांति और भाईचारे मैं शुभकामनाएं प्रेषित करता हूँ।
जयन्ती वर्ष
रोम, इटली तथा विश्व के विभिन्न देशों से आये तीर्थयात्रियों का अभिवादन कर सन्त पापा ने इस बात पर हर्ष व्यक्त किया कि इतनी बड़ी संख्या में लोग जयन्ती वर्ष के उद्घाटन के लिये रोम पहुँचे हैं। उन्होंने कहा कि जयन्ती वर्ष की शुरुआत के लिये पवित्र द्वार को खोला जाना "एक सुंदर संकेत है" इसलिये कि यह "हमारे जीवन का अर्थ व्यक्त करता है, जो है: "येसु से मुलाकात, जो हमसे प्रेम करते हैं" और "हमें अपने प्रेम, आनंद और शांति के राज्य में प्रवेश करने की अनुमति देते हैं।"
पोप ने 26 दिसम्बर की सुबह रोम के कारावास रेबिब्या के गिरजाघर के पवित्र द्वार खोलने के बारे में बताते हुए कहा कि कैदियों के संग कुछ समय व्यतीत करना अर्थगर्भित था। इस समय को उन्होंने “दर्द और आशा के गिरजाघर” में प्रवेश करना निरूपित किया।
'कर्ज़ को आशा में बदलें'
यह याद करते हुए कि कलीसिया द्वारा घोषित जयन्ती वर्ष की विशेषता वाले कार्यों में से एक ऋणों की माफी है, सन्त पापा ने कहा, "मैं सभी को अन्तरराष्ट्रीय उदारता संगठन कारितास द्वारा 'ऋण को आशा में बदलें' नामक अभियान का समर्थन करने हेतु प्रोत्साहित करता हूं, ताकि अस्थिर ऋणों से पीड़ित देशों को राहत मिल सके और विकास को बढ़ावा मिले।" यह स्मरण दिलाते हुए कि ऋण का मुद्दा आम तौर पर शांति और हथियारों के "काले बाज़ार" से जुड़ा रहता है, उन्होंने ने अपील की कि "हथियारों के बल पर लोगों का उपनिवेशकरण बंद किया जाये!"
शांति हेतु प्रार्थना
उपस्थित तीर्थयात्रियों से सन्त पापा ने आग्रह किया कि वे निरस्त्रीकरण, भुखमरी, बीमारियों और बाल श्रम की समाप्ति तथा साथ ही सम्पूर्ण विश्व में शांति के लिए प्रार्थना करें, विशेष रूप से, युद्धग्रस्त यूक्रेन, गाज़ा, इस्राएल म्यांमार, उत्तरी किवु और युद्धरत कई अन्य देशों में शांति कायम करने हेतु ईश्वर को पुकारें।