स्वीस गार्डों का शपथ ग्रहण, शांति के सहयोगी
वाटिकन के संत दामासो के प्रांगण में 6 मई को 34 नये स्वीस गार्डों ने शपथ ग्रहण कर पोप के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की।
6 मई को 34 नये स्वीस गार्डों की नियुक्ति हुई (16 जर्मन भाषी, 2 इतालवी और बाकी फ्रेंच भाषी) जिन्होंने वाटिकन के संत दामासो प्राँगण में शपथ ग्रहण किया। यह दिन 147 स्विस गार्डों के वीर बलिदान की वर्षगांठ का दिन है, जो 1527 में रोम में संत पापा क्लेमेंट सातवें की रक्षा करते हुए शहीद हो गए थे।
शपथ ग्रहण समारोह - जिसमें अपने जीवन को खतरे में डालकर भी पोप और उनके सभी वैध उत्तराधिकारियों की रक्षा करने की घोषणा की जाती है, जैसा कि पूर्वजों ने अतीत में किया था - परंपरा के अनुसार, ध्वज का स्पर्श कर सम्पन्न किया गया। कार्यक्रम में पोप के प्रतिनिधि, मोनसिग्नोर एडगर पेना पारा उपस्थित थे।
दुनिया की सबसे पुरानी सेना
शपथ समारोह में स्विस परिसंघ का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति वियोला एमहर्ड के नेतृत्व में राष्ट्रीय परिषद के अध्यक्ष एरिक नुस्बाउमर और काउंसिल ऑफ स्टेट्स के अध्यक्ष ब्रिगिट ईवा हर्ज़ोग के साथ उपस्थित था।
वफादार, निष्ठापूर्ण, सम्मानजनक सेवा
प्रत्येक नये स्वीस गार्ड ने एक हाथ से झंडे का स्पर्श कर और दूसरे हाथ से तीन अंगुलियों को खोलकर ऊपर उठाते हुए शपथ ली जो त्रितृत्वमय ईश्वर का प्रतीक है। शपथ ग्रहण में इन शब्दों का उच्चारण किया जाता है – “मैं निष्ठापूर्वक, वफादारी से और सम्मान के साथ शासन करनेवाले पोप और उनके वैध उत्तराधिकारियों की सेवा करने, अपनी पूरी ताकत से खुद को उनके प्रति समर्पित करने, यदि आवश्यक हो तो उनकी रक्षा में अपने जीवन का बलिदान देने की शपथ लेता हूँ। मैं परमधर्मपीठ की रिक्ति के दौरान कार्डिनल्स मंडल के प्रति, समान कर्तव्यों को पूरा करने का आश्वासन देता हूँ। मैं कमांडर और अन्य वरिष्ठों से सम्मान, निष्ठा और आज्ञाकारिता का भी वादा करता हूँ। मैं शपथ लेता हूँ, ईश्वर और हमारे संरक्षक संत मेरी सहायता करें।"
कमांडर: सेवा प्रेम करने में मदद करती है, आज कौन इच्छुक है?
स्वीस गार्ड कमांडर ने संत मती रचित सुसमाचार पाठ का हवाला देते हुए नवनियुक्त स्वीस गार्डों को सम्बोधित कर कहा, "जो कोई तुम्हारे बीच महान बनना चाहता है, उसे तुम्हारा सेवक बनना होगा, और जो कोई तुममें प्रथम बनना चाहता है, उसे तुम्हारा दास बनना होगा।" उन्होंने मदर तेरेसा के शब्दों की याद कर कहा, वे हमें बताते रहे कि हमारी दुनिया में सबसे ज्यादा किस चीज की कमी है: प्रेम, विनम्रता और शांति की।" “मौन का फल प्रार्थना है, प्रार्थना का फल विश्वास है, विश्वास का फल प्रेम है, प्रेम का फल सेवा है, सेवा का फल शांति है।"
कमांडर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि दुर्भाग्य से आज के समाज में, "व्यक्तिवाद और आत्म-बोध के समय में, सेवा शब्द का नकारात्मक अर्थ है।"
“आज दुनिया जिस तरह से चल रही है, उसे देखते हुए, हावी होने, निर्णय लेने, हर चीज पर नियंत्रण रखने की इच्छा; सेवा करने, पीछे खड़े रहने और किसी कार्य के प्रति प्रतिबद्धता के साथ खुद को समर्पित करने की इच्छा से कहीं अधिक बड़ी लगती है।''
यह इस बात पर प्रकाश डालता है कि कैसे सत्ता, लोकप्रियता और ध्यान की खोज मनुष्य को, इस बिंदु तक आकर्षित करती है कि "मजबूत व्यक्ति कमजोर का तिरस्कार करता और हमेशा उसे नीचे रखने की कोशिश करता है"। जबकि "सेवा उसे प्यार करने की व्यक्तिगत क्षमता में परिपक्व होने में मदद करती है, और इससे भी अधिक, वह प्यार किए जाने का अनुभव करता है। इस प्रकार गार्ड शांति का सहयोगी बन जाता है।"