सीरिया : जो थोड़ी निश्चितताएँ थीं, अब समाप्त हो गई हैं’

अलेप्पो में एक धर्माध्यक्ष और पुरोहित, कुछ महीनों की शांति के बाद कई सप्ताह तक फिर से हुई हिंसा के उपरांत देश की वर्तमान स्थिति का वर्णन कर रहे हैं।

सीरिया में पिछले कुछ हफ्तों से हत्या, अपहरण, चोरी, उत्पीड़न और हत्याओं की घटनाएँ हो रही हैं। दिसंबर की शुरुआत में बशर अल-असद शासन गिर गया था और तीन महीने बाद एक बार फिर अशांति भड़क उठी है।

एक अनिश्चित समय
मानव अधिकार के लिए सीरियाई पर्यावेक्षक के अनुसार, असद के सत्ता से हटने के बाद से 100 दिनों में लगभग 4,700 नागरिक मारे गए हैं। महीनों की शांति के बाद, अल-असद समर्थकों द्वारा सुरक्षा गश्ती दल पर घात लगाकर किए गए घातक हमले के बाद संघर्ष फिर से भड़क गया। बदले की कार्रवाई में, सुन्नी इस्लामवादी नेतृत्व वाली सरकार का समर्थन करनेवाले बंदूकधारियों पर लक्षित हमले करने का आरोप है।

क्रिश्चियन मीडिया सेंटर से बात करते हुए अलेप्पो के लातीनी पल्ली पुरोहित एवं प्ररितिक विकर ने सीरिया में ख्रीस्तीयों की स्थिति एवं शांति लाने के उनके प्रयास के बारे बतलाया।   

अलेप्पो के फादर बहजत कराकाच ने अलेप्पो और सीरिया में माहौल को पूरी तरह से अनिश्चित बताया। उन्होंने मौजूदा स्थिति को बेहद मुश्किल बताते हुए कहा, "शासन के पतन का मतलब यह नहीं है कि सामान्य जीवन वापस आ जाएगा।" लोग डर में जी रहे हैं और भविष्य के बारे में अनिश्चित हैं क्योंकि फादर कराकाच ने कहा, "जो थोड़ी निश्चितताएँ थीं, वे अब खत्म हो गई हैं।"

दिसंबर में असद को सत्ता से हटाए जाने, जिसके बाद 13 साल का खूनी गृहयुद्ध खत्म हो गया, के बाद से यह सबसे भयानक हिंसा है। अलेप्पो में लातीनी प्रेरितिक विकर धर्माध्यक्ष हन्ना जलौफ ने जोर देकर कहा कि विभिन्न समूहों के बीच ये झड़पें "शर्मनाक हैं।" उन्होंने कहा कि जो लोग "अतीत की वापसी की लालसा रखते हैं, वे भूल जाते हैं कि इतिहास कभी पीछे नहीं जाता - यह केवल आगे बढ़ता है।"

शांति स्थापित करने में ख्रीस्तीयों की भूमिका
देश में ख्रीस्तीय अल्पसंख्यक हैं, जिनकी संख्या गृहयुद्ध के बाद सीरियाई आबादी का लगभग 2% हैं। लेकिन धर्माध्यक्ष जलौफ और फादर कराकाच दोनों ने तर्क दिया कि मेल-मिलाप करने में उनकी उपस्थिति की महत्वपूर्ण भूमिका है।

फादर कराकाच ने ख्रीस्तीय समुदाय को निष्पक्ष बताया क्योंकि उन्होंने अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए "कभी भी लड़ाई नहीं की या हिंसा का इस्तेमाल नहीं किया"। उन्होंने बताया कि इससे उन्हें "अभी भी सीरियाई लोगों के बीच विश्वसनीय" माना जाता है। और इस निष्पक्ष दृष्टिकोण का मतलब है कि ख्रीस्तीय अलग-अलग समूहों के बीच संवाद के लिए एक पुल बनने में सक्षम हैं।

चूंकि सीरिया अब दुनिया के सबसे खराब मानवीय संकटों में से एक है, जहाँ लगभग 15 मिलियन लोगों को स्वास्थ्य सेवा सहायता की आवश्यकता है, इसलिए पल्ली पुरोहित ने ख्रीस्तीय समुदाय को प्रोत्साहित किया कि वे “अपने आस-पास के लोगों के लिए एक चिन्ह बनें।” ऐसे देश में जहाँ धार्मिक स्वतंत्रता को खतरा है और कट्टरता बढ़ रही है, फादर कराकाच ने एक चुनौती पेश की: कि इससे “हमें हतोत्साहित नहीं होना चाहिए - इससे हमें और अधिक रचनात्मक होने के लिए प्रेरित होना चाहिए।”