सशस्त्र संघर्षों में वृद्धि चिन्ता का कारण, वाटिकन अधिकारी

न्यूयॉर्क में जारी संयुक्त राष्ट्र संघीय आम सभा के 79 वें सत्र में प्रतिनिधि राष्ट्रों को 17 अक्टूबर को सम्बोधित करते हुए परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक वाटिकन के वरिष्ठ महाधर्माध्यक्ष गाब्रिएल काच्चया ने विश्व्यापी स्तर पर सशस्त्र संघर्षों में वृद्धि में गहन चिन्ता व्यक्त की।

उत्कंठा
महाधर्माध्यक्ष काच्चया ने कहा, वर्तमान युग में शांति के लिए अभूतपूर्व खतरा देखा जा रहा है, साथ ही शांति की अवधारणा कमज़ोर हो रही है और कुछ मामलों में, इसका अस्तित्व ही समाप्त हो रहा है। सशस्त्र संघर्षों में वैश्विक वृद्धि और सैन्य व्यय में सघनता पीड़ा और भय को प्रश्रय दे रही है, जिसका विशेष रूप से गरीबों, बुजुर्गों, बच्चों और कमज़ोर परिस्थितियों में रहने वाले लोगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

14 जून 2023 को संयुक्त राष्ट्र को दिये सन्देश से सन्त पापा फ्राँसिस के शब्दों को उद्धृत कर उन्होंने कहा, "शांति को वास्तविकता बनाने के लिए, हमें युद्ध की वैधता के तर्क से दूर जाना चाहिए: यदि यह पहले के समय में मान्य था, जब युद्धों का दायरा सीमित था, तो हमारे समय में, परमाणु हथियारों और सामूहिक विनाश के हथियारों के साथ, युद्ध का मैदान व्यावहारिक रूप से असीमित हो गया है, और इसके प्रभाव संभावित रूप से विनाशकारी बन गये हैं।

सन्त पापा के ही शब्दों को उद्धृत कर उन्होंने कहा, जोरदार ढंग से युद्ध को 'नहीं' कहने का समय आ गया है, यह बताने के लिए कि युद्ध न्यायसंगत नहीं हैं, बल्कि केवल शांति ही न्यायसंगत है: एक स्थिर और स्थायी शांति, जो कि निरोध के अस्थिर संतुलन पर नहीं, बल्कि हमें एकजुट करने वाले बंधुत्व पर आधारित है।

आह्वान
महाधर्माध्यक्ष काच्चया ने कहा, निरस्त्रीकरण की नीति को अपनाना अनिवार्य है क्योंकि हथियारों के निवारक मूल्य में विश्वास भ्रामक है। ऐसे समय में जब परमाणु संघर्ष का खतरा एक बार फिर से वास्तविकता बनने के ख़तरनाक रूप से करीब है, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को हथियार नियंत्रण और निरस्त्रीकरण संधियों को मज़बूत कर उन्हें लागू करने के अपने प्रयासों को तेज़ करना ज़रूरी है।

उन्नत तकनीकी के सन्दर्भ में महाधर्माध्यक्ष ने कहा, द्रुत गति से परस्पर जुड़ती दुनिया में, जहां अस्पतालों, चिकित्सा संस्थाओं और शैक्षिक सुविधाओं, खाद्य वितरण और अन्य मानवीय नेटवर्क पर साइबर हमले बढ़ रहे हैं, परमधर्मपीठ ऐसे अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों और संस्थानों के निर्माण का समर्थन करता है जो संवाद और सूचना तथा  संचार प्रौद्योगिकियों (आईसीटी) के उपयोग को बढ़ावा देते हैं।