मानव तस्करी के खिलाफ आशा के दूत बनें, सन्त पापा फ्राँसिस

मानव तस्करी के खिलाफ ग्यारहवें विश्व प्रार्थना और चिंतन दिवस के अवसर पर सन्त पापा फ्राँसिस ने एक विशिष्ट सन्देश जारी कर जयन्ती वर्ष के दौरान सम्पूर्ण विश्व के काथलिकों से आग्रह किया कि वे “आशा के तीर्थयात्री” रूप में, मानव तस्करी से निपटने के मार्ग पर एक साथ चलें।

उन्होंने कहा कि यह आयोजन एक सूडानी महिला और धर्मबहन संत जोसेफीन बखिता की धार्मिक स्मृति पर आधारित है, जो बचपन से ही मानव तस्करी की शिकार बनी थीं और अब इस भयानक समस्या के खिलाफ हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक बन गई हैं। 

मानव तस्करी से जुड़े कई एक सवालों को प्रस्तुत करते हुए सन्त पापा ने कहा, "हम इस आधुनिक गुलामी में फंसे लाखों लोगों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों, युवाओं, आप्रवासियों और शरणार्थियों के सामने आशा का संचार कैसे कर सकते हैं? मानव अंगों और ऊतकों के व्यापार, लड़के-लड़कियों के यौन शोषण, वेश्यावृत्ति सहित जबरन श्रम, मादक पदार्थों की तस्करी और हथियारों की तस्करी से निपटने के लिए हम हमेशा नई प्रेरणा कहां से प्राप्त कर सकते हैं? हम दुनिया में यह सब कैसे दर्ज कर सकते हैं ताकि आशा को न खोयें?"

ख्रीस्त हमारी आशा
उन्होंने कहा कि इन सब सवालों का जवाब हमें ख्रीस्त की ओर दृष्टि उठाकर ही मिल सकता है क्योंकि ख्रीस्त ही हमारी आशा हैं। प्रभु ख्रीस्त में विश्वास से ही हम एक नवीकृत प्रतिबद्धता के लिए शक्ति प्राप्त कर सकते हैं जो समस्याओं से हमें पराजित नहीं होने देती, बल्कि अंधकार में प्रकाश की ज्वाला जलाने का कार्य करती है, जो एक साथ मिलकर रात्रि को तब तक प्रकाशित कर सकती है जब तक भोर न हो जाए।

सन्त पापा ने कहा कि इस दिशा में सम्पूर्ण विश्व में मानव तस्करी के खिलाफ लड़ रहे युवा हमें एक उदाहरण पेश करते हैं: वे हमें बताते हैं कि हमें आशा के राजदूत बनना चाहिए और दृढ़ता और प्रेम के साथ मिलकर काम करना चाहिए; हमें पीड़ितों और बचे लोगों के साथ खड़ा होना चाहिए।

सन्त पापा ने कहा कि ईश्वर की सहायता से हम अन्याय के आदी होने से बच सकते हैं, और यह सोचने के प्रलोभन को दूर कर सकते हैं कि कुछ घटनाओं को समाप्त नहीं किया जा सकता। पुनर्जीवित प्रभु येसु का आत्मा हमें साहस और प्रभावशीलता के साथ, तस्करी और शोषण से लाभ कमाने वाले आर्थिक और आपराधिक तंत्रों को कमजोर करने और उनका मुकाबला करने के लिए लक्षित पहल को बढ़ावा देने में समर्थन प्रदान करता है। यह हमें सबसे पहले, मानव तस्करी का सामना करने वाले लोगों को निकटता और करुणा के साथ सुनना सिखाता है, उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद करता है तथा उनके साथ मिलकर दूसरों को मुक्त कराने और रोकथाम के सर्वोत्तम तरीकों की पहचान करता है।

सन्त पापा ने कहा कि मानव तस्करी एक जटिल, निरंतर विकसित होने वाला भयानक तथ्य है, जो युद्धों, संघर्षों, अकालों और जलवायु परिवर्तन के परिणामों से प्रेरित होता है, अस्तु, इसका मुकाबला करने के लिए वैश्विक प्रतिक्रिया और सभी स्तरों पर साझा प्रयास की नितान्त आवश्यकता है।