पोप : वाटिकन राज्य सचिवालय विश्व की कलीसिया के साथ समन्वय का केंद्र

पोप लियो 14वें ने बृहस्पतिवार को वाटिकन राज्य सचिवालय के अधिकारियों से मुलाकात की और उन्हें निमंत्रण दिया कि वे एक ऐसे समुदाय के रूप में सेवा करने के रास्ते में महत्वाकांक्षा या प्रतिद्वंद्विता को कभी भी आने न दें जो दुनियाभर में परमधर्मपीठ और कलीसिया के बीच एक केंद्र के रूप में कार्य करता है।
परमधर्मपीठ के सचिवालय के अधिकारियों ने गुरुवार को पोप लियो 14वें से मुलाकात की और उन्हें अपने परमाध्यक्षीय मिशन में सहायता करने के लिए धन्यवाद दिया।
अपने संबोधन में, पोप ने वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन के काम की सराहना की, "संत पेत्रुस के उत्तराधिकारी की प्रेरिताई में मेरे पहले कदम के रूप में वे मुझे निरंतर सहयोग प्रदान कर रहे हैं।"
उन्होंने एक अनौपचारिक टिप्पणी में कहा, "इस परमाध्यक्षीय प्रेरिताई में मेरी सेवा के एक महीने भी नहीं हुए हैं, लेकिन यह स्पष्ट हो गया है कि पोप अकेले आगे नहीं बढ़ सकते हैं और यह कि परमधर्मपीठ में कई लोगों के सहयोग पर भरोसा करने में सक्षम होना बहुत जरूरी है, खासकर, राज्य सचिवालय में आप सभी पर।" "मैं आपको दिल की गहराई से धन्यवाद देता हूँ।"
राज्य सचिवालय का इतिहास 15वीं शताब्दी से जुड़ा है और इसने कलीसिया के भीतर और अन्य राज्यों के साथ संबंधों के केंद्र के रूप में “एक और अधिक सार्वभौमिक स्वरूप” ग्रहण कर लिया है।
अपनी तैयार टिप्पणियों को पढ़ते हुए, पोप लियो ने उल्लेख किया कि इसके आधे से अधिक अधिकारी लोकधर्मी हैं और 50 से अधिक महिलाएँ हैं, जो लोकधर्मी और धर्मसंघी दोनों हैं, जो कलीसिया के चेहरे को प्रतिबिम्बित करता है।
उन्होंने कहा, "यह एक बड़ा समुदाय है जो पोप के साथ मिलकर काम करता है।" "हम एक साथ मिलकर दुनिया भर में मौजूद ईश्वर के लोगों के सवालों, कठिनाइयों, चुनौतियों और उम्मीदों को साझा करते हैं।"
इसके बाद पोप ने सचिवालय के मिशन के दो आवश्यक आयामों के रूप में "शरीरधारण और सार्वभौमिकता" पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा, "हम समय और इतिहास के अनुरूप हैं, क्योंकि जैसे ईश्वर ने इंसानियत का मार्ग और पुरुषों एवं महिलाओं की भाषा चुनी, उसी प्रकार कलीसिया को भी उस मार्ग का अनुसरण करने के लिए बुलाया गया है, ताकि सुसमाचार का आनंद सभी तक पहुंच सके और हमारे समय की संस्कृतियों और भाषाओं के माध्यम से संप्रेषित हो सके।"
पोप ने कहा कि राज्य सचिवालय को एक काथलिक, सार्वभौमिक दृष्टिकोण भी बनाए रखना चाहिए, जो कलीसिया को विविध संस्कृतियों और संवेदनाओं का सम्मान करने की अनुमति देता है।
यह सार्वभौमिकता रोमन कूरिया को मित्रता के बंधन के आधार पर रोम और स्थानीय कलीसियाओं के बीच सामंजस्य स्थापित करने में मदद करती है।
पोप लियो 14वें ने अपने पूर्वाधिकारी पोप पॉल छठवें के कूरिया सुधार की ओर इशारा किया, जिसको कहा कि उन्होंने "इतिहास की चुनौतियों के प्रति कलीसिया की सजगता" की आवश्यकता महसूस की। उन्होंने कहा, "इसलिए शरीरधारण हमें वास्तविकता की ठोस और कूरिया के विभिन्न निकायों द्वारा संबोधित विशेष मुद्दों की ओर बुलाता है, जबकि सार्वभौमिकता, कलीसिया की बहुमुखी एकता के रहस्य को उजागर करते हुए, संश्लेषण के कार्य की मांग करती है जो पोप के कार्यों में सहायता कर सकती है।"
पोप ने कहा कि राज्य सचिवालय को इन दोनों पहलुओं के बीच कड़ी के रूप में काम करना चाहिए, जिसे पोप पॉल षष्ठम ने परमधर्मपीठीय विभाग और संस्थानों के बीच "समन्वय का केंद्र" बनाने की कोशिश की। हाल ही में, पोप फ्राँसिस द्वारा 2022 में प्रख्यापित प्रेरितिक संविधान प्रेदिकाते इवांजेलियुम, इस समन्वयकारी भूमिका की पुष्टि करता है, जिसके बारे में पोप लियो ने कहा कि यह बहु अपेक्षित है और "पूरी तरह से नहीं समझा गया" है।
पोप लियो 14वें ने राज्य सचिवालय के अधिकारियों की विशेषज्ञता और सुसमाचारी भावना के लिए अपना सामीप्य और गहरी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए अपने संबोधन का समापन किया, जिसमें उन्होंने 1963 में पोप पॉल षष्ठम द्वारा दिए गए एक प्रबोधन को भी शामिल किया गया।
पोप लियो ने अपने पूर्वाधिकारी का हवाला देते हुए कहा, "इस स्थान को महत्वाकांक्षाओं या प्रतिद्वंद्विता से कलंकित न होने दें, बल्कि यह विश्वास और उदारता का एक सच्चा समुदाय हो - 'भाइयों और पोप के बच्चों का' - जो कलीसिया की भलाई के लिए खुद को उदारतापूर्वक खर्च करते हैं।"