देवदूत प्रार्थना में पोप : संतान ईश्वर के सबसे बड़े आशीर्वाद हैं
रविवार को देवदूत प्रार्थना के दौरान पोप फ्राँसिस ने ख्रीस्तीय दम्पतियों को प्रोत्साहन दिया कि वे प्रेम और विवाह में दृढ़ बने रहें तथा जीवन के सुन्दर उपहार का स्वागत करें, जिसके बारे में वे स्वीकार करते हैं कि कठिन है, लेकिन मूल्यवान है।
वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 6 अक्टूबर को पोप फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, शुभ रविवार।
आज की धर्मविधि के सुसमाचार पाठ (मार. 10:2-16) में येसु हमें वैवाहिक प्रेम के बारे बतलाते हैं। जैसा कि फरीसी पहले भी कुछ अन्य अवसरों पर कर चुके थे, उनसे एक विवादास्पद मुद्दे पर उत्तेजक प्रश्न पूछते हैं: एक पति का अपनी पत्नी से तलाक के संबंध में। वे उन्हें झगड़े में घसीटना चाहते हैं, लेकिन येसु उन्हें ऐसा करने नहीं देते। इसके बजाय, वे उनका ध्यान एक ज्यादा महत्वपूर्ण चर्चा की ओर आकृष्ट करते है: एक पुरुष और एक महिला के बीच प्यार के मूल्य की ओर।
येसु के समय में विवाह की स्थिति
येसु के समय में, विवाहित स्त्री की स्थिति पुरुष की तुलना में बहुत खराब थी : पति अपनी पत्नी को दूर कर सकता था, मामूली कारण के लिए भी उसे तलाक दे सकता था, और धर्मग्रंथ की विधिक व्याख्याओं द्वारा उसे उचित ठहराया जाता था। इस कारण से, प्रभु अपने वार्ताकारों को प्रेम की मांग पर वापस लाते हैं। वे उन्हें याद दिलाते हैं कि सृष्टिकर्ता ने स्त्री और पुरुष को गरिमा में समान और विविधता में पूरक के रूप में चुना है। इस तरह वे एक-दूसरे के सहायक और साथी होंगे, लेकिन वे एक-दूसरे को उकसानेवाले और बढ़ने के लिए एक चुनौती भी होंगे। (उत्पत्ति 2:20-23)
और ऐसा होने के लिए, वे इस बात पर जोर देते हैं कि उनके आपसी उपहार पूर्ण और आकर्षक होने चाहिए, "आधा" नहीं होनी चाहिए - यही प्रेम है – जिससे कि एक नए जीवन की शुरुआत हो। (मार 10:7; उत्पति 2:24) यह रिश्ता "जब तक सब कुछ ठीक चलता है" तब तक के लिए केवल नहीं होता बल्कि हमेशा के लिए बना रहता है, एक-दूसरे को स्वीकार करता और "एक शरीर" के रूप में एकजुट होता है। निश्चय ही, यह आसान नहीं है, इसके लिए निष्ठा, सम्मान, वफादारी और सरलता की आवश्यकता है, कठिनाई के समय भी। (मार.10:15) इसके लिए टकराव के लिए तैयार रहने, कभी-कभी आवश्यकता पड़ने पर बहस तथा साथ ही हमेशा क्षमा करने और एक-दूसरे के साथ मेल-मिलाप करने के लिए भी तैयार रहने की आवश्यक है।
प्रेम “हाँ” की मांग करता है लेकिन खूबसूरत है
पोप ने दम्पतियों को सम्बोधित कर कहा, “पति-पत्नी, जितना मर्जी लड़ें, लेकिन दिन ढलने से पहले हमेशा मेल-मिलाप कर लें! जानते हो क्यों? क्योंकि जो शीत युद्ध दूसरे दिन आता है वह अधिक खतरनाक होता है।” और मेल-मिलाप करने के लिए एक कोमल दुलार काफी है। संत पापा ने कहा, इसलिए मेल-मिलाप किये बिना दिन का अंत न करें।”
पोप ने पति पत्नियों को याद दिलाया कि उन्हें जीवन के उपहार के लिए खुला होना है, संतान के वरदान को स्वीकारना है, जो प्रेम का सबसे सुन्दर उपहार है, ईश्वर की ओर से सबसे बड़ा आशीर्वाद है, हरेक परिवार एवं समाज के लिए खुशी और आशा का स्रोत है। इसलिए उन्होंने कहा, “बच्चे लायें।”
पोप ने एक ऐसी दम्पति के बारे बतलाया जिनके आठ बच्चे हैं, उनकी मुलाकात शनिवार को हुई थी। उन्होंने कहा, “यह देखना अत्यन्त सुन्दर था। कृपया, जीवन के लिए खुले रहें, ईश्वर जो देते हैं उसके लिए उदार बने रहें।” संत पापा ने कहा, “प्यारे भाइयो एवं बहनो, प्रेम “हाँ” की मांग करता है, लेकिन खूबसूरत है और हम जितना अधिक संलग्न होते हैं उतना ही अधिक सच्ची खुशी पाते हैं।”
मेरा प्रेम कैसा है?
उन्होंने पति पत्नियों को चिंतन हेतु प्रेरित करते हुए कहा, हम प्रत्येक अपने आप से पूछें, “मेरा प्रेम कैसा है? क्या यह वफादर है? क्या यह उदार है? रचनात्मक है? हमारा परिवार कैसा है? क्या यह जीवन, संतान के उपहार के लिए खुला है?”
तब कुँवारी मरियम से प्रार्थना करते हुए पोप ने कहा, “कुँवारी मरियम ख्रीस्तीय दम्पतियों की सहायता करे। आइये, हम पवित्र रोजरी की माता से पारंपरिक प्रार्थना के लिए पोम्पेई के तीर्थस्थल पर एकत्रित हुए श्रद्धालुओं के साथ आध्यात्मिक एकता में उनकी ओर मुड़ें।
इतना कहने के बाद पोप ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।