जी20 से पोप : विश्व से भूखमरी दूर करने के लिए निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता
अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहे ब्राजील के राष्ट्रपति को संबोधित संदेश में, पोप फ्रांसिस ने विश्व से भूख और गरीबी मिटाने के लिए तत्काल और एकजुट प्रयास करने का आह्वान किया है।
पोप फ्राँसिस ने विश्व में भूखमरी की समस्या की ओर ध्यान आकर्षित किया है, जो आज हमारे विश्व में सशस्त्र संघर्षों के कारण और भी बदतर हो गई है, तथा भोजन या पर्याप्त पोषण से वंचित हमारे विश्व के तीन अरब लोगों को भोजन उपलब्ध कराने में मदद करने के बजाय हथियारों पर भारी मात्रा में धन खर्च किया जा रहा है।
पोप फ्राँसिस के संदेश को वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन ने प्रस्तुत किया। जो ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा को सम्बोधित था। ब्राजील दो दिवसीय जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है, जो 18 नवंबर को रियो डी जेनेरियो में शुरू हुआ, जिसमें 19 सदस्य देशों के अलावा अफ्रीकी संघ और यूरोपीय संघ के नेता भी उपस्थिति हैं।
बेहतर विश्व के लिए योगदान
जी-20 के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में सम्मेलन को सुविधाजनक बनाने के लिए राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा को बधाई देते हुए, पोप ने भाग लेनेवाले सभी लोगों के प्रति अपनी शुभकामनाएँ और आशा व्यक्त की ताकि उनकी चर्चा और परिणाम वास्तव में आनेवाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर दुनिया और समृद्ध भविष्य बनाने में योगदान दें।
विश्व में भूखमरी के कलंक को दूर करना
संत पापा ने हमारे विश्व से भूखमरी दूर करने की तत्काल एवं प्राथमिक आवश्यकता पर जोर दिया, क्योंकि अब भी लाखों लोग भूखमरी से पीड़ित और परेशान हैं जबकि टनभर खाना फेंक दिया जाता है, अपने विश्वपत्र फ्रातेल्ली तत्ती से उद्धरण देते हुए, कि कैसे "यह एक वास्तविक कलंक है" इस बात पर जोर दिया कि "भूखमरी एक अपराध है; भोजन एक अविभाज्य अधिकार है।"
युद्ध लंगड़ा है, स्थायी शांति का निर्माण करें
युद्धों, संघर्षों और अन्याय से होनेवाली समस्याओं को स्वीकार करते हुए, पोप ने "संघर्ष से जुड़े सभी क्षेत्रों में स्थिर और स्थायी शांति स्थापित करने के लिए नए तरीके खोजने के महत्व को रेखांकित किया, जिसका उद्देश्य प्रभावित लोगों की गरिमा को बहाल करना है।" उन्होंने बताया कि इन युद्धों के कारण होनेवाली मौतें और विनाश भी अकाल और गरीबी को बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं, जिसका असर संघर्षों से दूर के स्थानों पर भी पड़ रहा है, क्योंकि आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान आ रहा है और इसके परिणामस्वरूप हथियारों और शस्त्रों पर भारी मात्रा में धन खर्च हो रहा है।
भूखमरी की त्रासदी का सामना
संदेश में पोप लिखते हैं कि आज सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि दुनिया ने अभी तक भुखमरी की त्रासदी से निपटने के तरीके नहीं खोजे हैं, और समाज द्वारा इसे "चुपचाप स्वीकार करना" "एक निंदनीय, अन्याय और गंभीर अपराध है।" यह विशेष रूप से तब सच होता है जब सूदखोरी या लालच के कारण लोग अपने भाइयों और बहनों को भूख से मार देते हैं, जो "एक हत्या" है। इसलिए, वे इस बात पर जोर देते हैं कि "लोगों को गरीबी और भूख से बाहर निकालने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जानी चाहिए।"
गरीबी भूख के संकट में योगदान दे रही है
पोप आगे कहते हैं कि सामाजिक और आर्थिक अन्याय भूख की वास्तविकता को और बढ़ा देते हैं, और यह गरीबी "आर्थिक और सामाजिक असमानताओं के एक चक्र को बनाए रख सकती है जो हमारे वैश्विक समाज में व्याप्त है।"
"इस प्रकार यह स्पष्ट है कि भूख और गरीबी के अभिशाप को मिटाने के लिए तत्काल एवं निर्णायक कार्रवाई की जानी चाहिए। इस तरह की कार्रवाई संयुक्त और सहयोगात्मक तरीके से की जानी चाहिए, जिसमें पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भागीदारी हो।" संत पापा कहते हैं कि प्रभावी उपायों के लिए "सरकारों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और पूरे समाज की ओर से ठोस प्रतिबद्धता" की आवश्यकता है, और इनमें बुनियादी वस्तुओं तक पहुंच, महत्वपूर्ण संसाधनों का उचित वितरण शामिल है जो "प्रत्येक व्यक्ति की ईश्वर प्रदत्त मानवीय गरिमा का सम्मान करता है।
भोजन बर्बाद करने से रोकना
भोजन बर्बाद न हो इसके लिए भी एक सामूहिक कदम उठाये जाने की आवश्यकता है। संत पापा ने कहा है कि आज भी सभी को खिलाने के लिए पर्याप्त भोजन उपलब्ध है, लेकिन विभिन्न कारणों से यह असमान रूप से वितरित है। पोप लिखते हैं कि इन चुनौतियों से निपटने के प्रयासों के लिए "दीर्घकालिक दृष्टि और रणनीति की आवश्यकता होगी... जो कुपोषण से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए आवश्यक है।"
इस उद्देश्य के लिए, उन्होंने अपना समर्थन दिया कि भूख और गरीबी के विरुद्ध वैश्विक गठबंधन भूख और गरीबी को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, साथ ही होली सी के एक लंबे समय से चले आ रहे प्रस्ताव को भी लागू कर सकता है, जिसमें "हथियारों और अन्य सैन्य व्ययों के लिए वर्तमान में आवंटित धन को एक वैश्विक कोष की ओर पुनर्निर्देशित करने की बात कही गई है, जो भूख को दूर करने और सबसे गरीब देशों में विकास को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है।"
विचारधारा के उपनिवेशवाद को दूर करना
पोप ने उन परियोजनाओं की आवश्यकता पर भी जोर दिया जो बाहर से थोपी न गई हों, बल्कि "लोगों और उनके समुदायों की जरूरतों के जवाब में योजनाबद्ध और कार्यान्वित की गई हों।"
अंत में, पोप ने आश्वासन दिया कि वाटिकन मानवीय गरिमा को बढ़ावा देने के अपने प्रयासों को जारी रखेगी और दुनिया भर में काथलिक संस्थानों के अनुभवों और जुड़ाव को साझा करने के माध्यम से अपना योगदान देगी, "ताकि हमारी दुनिया में कोई भी इंसान, ईश्वर द्वारा प्रिय व्यक्ति के रूप में, अपनी दैनिक रोटी से वंचित न रहे।"