आदिवासी आंदोलनों के महानायक बिरसा मुंडा की 150वीं जयन्ती रोम में
छोटानागपुर के आदिवासियों ने वीर बिरसा मुण्डा की 150वीं जयन्ती, 14 नवम्बर 2025 की शाम को बड़े हर्षोल्लास के साथ रोम स्थित भारतीय राजदूतावास में मनाया तथा जनजातियों के न्याय एवं हक में उनके वीरतापूर्ण संघर्ष की याद की। राजदूत ने भगवान बिरसा की वसीयत और जीवन को सम्मान देने का आह्वान किया।
रोम के अखिल भारतीय आदिवासी समुदाय (आभास) ने वीर बिरसा मुण्डा की जयन्ती उनकी 150वें जन्म दिवस की पूर्व संध्या को मनायी। कार्यक्रम का आयोजन इटली में भारत की राजदूत श्रीमती वाणी राव के निर्देशन में किया गया था।
कार्यक्रम का शुभारम्भ एक डॉक्यूमेंटरी फिल्म प्रस्तुतिकरण के साथ हुआ। फिल्म में भगवान बिरसा मूण्डा की जीवनी का चित्रण था, जिसने उनकी विरासत की याद दिलायी तथा सभी को उनके प्रति श्रद्धा की भावना से भर दिया।
मुण्डा का जन्म 15 नवम्बर 1875 राँची जिले के उलिहातु गाँव में हुआ था। उन्होंने अंग्रेजों द्वारा थोपी गई जमींदारी व्यवस्था और राजस्व व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष के साथ-साथ जंगल और जमीन की रक्षा के लिए आंदोलन छेड़ा। यह आदिवासी स्वाभिमान, स्वतंत्रता और संस्कृति को बचाने का संघर्ष था।
“भारत के आदिवासी आंदोलनों के महानायक बिरसा मुंडा को आज भी न केवल आदिवासी लोगों के बीच बल्कि पूरे संसार में संघर्ष का नेता माना जाता है।”
रोम में भारत की राजदूत माननीया वीणा राव ने बिरसा मुंडा के योगदान की याद करते हुए, “बिरसा मुंडा के मुख्य कार्य थे आदिवासी जमीन को अतिक्रमण से बचाना, आदिवासी परम्परा एवं संस्कृति को पुनर्जीवित करना और एक ऐसे समाज का निर्माण करना जो शोषण एवं भेदभाव से मुक्त हो।” उन्होंने याद किया कि मुंडा आदिवासी समाज का उत्थान करना चाहते थे जिनसे आज भी प्रेरणाएँ ली जाती हैं।
इस अवसर पर अपने भाषण में राजदूत वीणा राव ने भारत में आदिवासियों के स्थान और महत्व को याद किया, जहाँ 730 जनजातीय समुदाय हैं जिन्हें भारत के संविधान में सूचीबद्ध किया गया है।
2011 की जनगणना के अनुसार भारत में जनजातियों की कुल आबादी 8.6 प्रतिशत एवं कुल संख्या 10.4 करोड़ है। वे भारत के समृद्ध सांस्कृतिक और सामाजिक विविधता के हिस्से हैं।
श्रीमती राव ने आदिवासियों के उत्थान के लिए भारत सरकार के प्रयासों को सामने रखा। उन्होंने आदिवासियों के लिए भारत सरकार की सुरक्षा नीतियों और संविधान में आरक्षित अधिकारों की समीक्षा की। जिनके लिए लोकसभा, राज्य सभा, स्थानीय सरकारी पदों और नौकरी में आरक्षण की याद दिलायी। जिसका मुख्य उद्देश्य उन्होंने आदिवासियों की विस्तृत सहभागिता एवं उनके सशक्तिकरण को बढ़ावा देना बतलाया। उन्होंने आदिवासों के लिए जारी परियोजनाओं और उनमें बजट की वृद्धि की जानकारी दी।
उन्होंने कार्यक्रम में भाग ले रहे सभी प्रतिभागियों से भगवान बिरसा की वसीयत और जीवन को, आज और भविष्य में सम्मान देते रहने का आह्वान किया तथा प्रकृति से आदिवासी समुदायों के गहरे संबंध से प्रेरणा लेने का प्रोत्साहन दिया। साथ ही, कामना की कि आदिवासी समुदाय राष्ट्र के विकास में पूर्ण रूपेन सहभागी हो सके और अपने लिए लाभ उठा सके।
रोम में अखिल भारतीय आदिवासी समुदाय (आभास) के अध्यक्ष फादर विजय टोप्पो ने पूरे समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हुए भगवान बिरसा मुंडा को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा का जीवन छोटा लेकिन अदभुद था। उन्होंने पूरे आदिवासी समाज के लिए उनकी वीरता और संघर्ष की याद की। जो आज भी आदिवासी लोगों को प्रेरित करते हैं।
भगवान बिरसा मुंडा के जन्म दिवस 15 नवम्बर को ही झारखंड को अलग राज्य का दर्जा मिला। 2000 में स्थापित झारखंड का अब 25 साल हो चुका है। इस अवसर पर आदिवासियों ने रंगारंग कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये और अपने नेताओं और अपनी धरती माता के गौरव को याद किया।
कार्यक्रम में राजदूत वाणी राव सहित राजदूतावास के अन्य सरकारी अधिकारी भी उपस्थित हुए। वहीँ आदिवासियों का प्रतिनिधित्व करते हुए आभास दल के अध्यक्ष फादर विजय टोप्पो एवं 25 अन्य आदिवासी भाई-बहनों ने भाग लिया।