पवित्रआत्मा को सुनने के लिये मौन और श्रवण ज़रूरी
वाटिकन रेडियो एवं वाटिकन न्यूज़ के संपादकीय निर्देशक आन्द्रेया तोरनियेली ने पत्रकारों का आह्वान किया है कि वे इस समय वाटिकन में जारी विश्व धर्माध्यक्षीय धर्मसभा की रिपोर्टिंग में पोप फ्राँसिस की प्रस्तावित पद्धति और कार्यक्रम पर ध्यान केन्द्रित कर पवित्रआत्मा की आवाज़ को सुनने का प्रयास करें।
धर्माध्यक्षीय धर्मसभा का शुभारम्भ करते हुए पोप फ्राँसिस ने इस बात पर ज़ोर दिया था कि कलीसियाई सभा कोई संसद नहीं है, इसलिये इसे किसी राजनीतिक बैठक से अलग होना चाहिये जिसमें पवित्र आत्मा की आवाज़ को सुनने की केंद्रीयता को प्रकाशित किया जाये।
रोम के धर्माध्यक्ष पोप फ्राँसिस ने धर्मसभा के सदस्यों तथा पत्रकारों से अनुरोध किया है कि वे खोखली रिपोर्टिंग तक सीमित न रहें बल्कि धर्मसभा में विचारित विषयों पर पवित्रआत्मा की आवाज़ सुनें। इसका अर्थ स्पष्ट करते हुए पोप ने कहा था कि अन्यों को सुनना तथा दूसरों को क्या कहना है और जो लोग "मुझसे दूर" हैं उन्हें क्या कहना है, उसे सुनना तथा उनके साथ अपना अनुभव साझा करना ही पवित्रआत्मा को सुनना है।
पोप ने कहा कि ऐसा करने के लिए तप की आवश्यकता होती है। यह भी आवश्यक है कि व्यक्तिगत स्थिति और नायकत्व के प्रलोभन में न पड़ा जाये बल्कि समरसता एवं सद्भाव द्वारा एक संरक्षित माहौल बनाया जाये। इस माहौल को सुरक्षित रखने के लिए उन्होंने इधर-उधर की सुनने से परहेज करने के लिए एक प्रकार के "उपवास" का आह्वान किया। इस बात की भी चेतावनी उन्होंने दी थी कि लोग कह सकते हैं कि धर्माध्यक्ष भयभीत हैं इसीलिये वे पत्रकारों के साथ रुबरु नहीं होना चाहते हैं, जो सरासर ग़लत है। धर्माध्यक्षों को मौन रखने और सुनने का परामर्श इसलिये दिया गया है कि वे सोच समझकर विवेकपूर्ण ढंग से अपनी बात विश्व के समक्ष रखें, जो धर्मसभा के आवश्यक दृष्टिकोण और विवेक को दर्शाता है।
धर्मसभा के पहले दिन की शाम को कार्य प्रक्रियाओं के संबंध में नियमों का खुलासा किया गया, जिसमें कहा गया कि "प्रत्येक प्रतिभागी अपने स्वयं के हस्तक्षेप और अन्य प्रतिभागियों के हस्तक्षेप दोनों के संबंध में गोपनीयता के लिए बाध्य है"। तथापि, इसका यह अर्थ नहीं कि किसी को यह जानने की अनुमति नहीं दी जाएगी कि क्या हो रहा है। वास्तव में, यह इतिहास की सर्वाधिक लाइव-स्ट्रीम धर्मसभा है, जिसमें अभिवादन से लेकर विचार-विमर्श तक की सामग्री पर दैनिक ब्रीफिंग शामिल है।
04 अक्टूबर को शुरु हुई धर्मसभा में दुनिया के हर हिस्से से धर्माध्यक्ष, पुरोहित, धर्मसमाजी और धर्मसंघी पुरुष और महिलाएं, आम आदमी और सामान्य महिलाएं मौज़ूद हैं, जो एक साथ मिलकर, विरोध या ध्रुवीकरण के परे, प्रार्थना के माहौल में, पवित्रआत्मा के तौर-तरीकों को समझने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि सुसमाचार प्रचार के मार्गदर्शन प्राप्त कर सकें तथा उन मार्गों को अपना सकें जो कलीसिया के दरवाज़ों को सबके लिये खुला रखे, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति के लिए जगह होऔर कोई भी हाशिये पर न छोड़ा जाये।"