नेपल्स महाधर्माध्यक्षीय गुरुकुल समुदाय से पोप फ्राँसिस

इटली के नेपल्स शहर स्थित महाधर्माध्यक्षीय गुरुकुल समुदाय के प्रतिनिधियों ने "आलेसियो आस्केलेसी" नामक काथलिक गुरुकुल की 90 वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में शुक्रवार को पोप फ्राँसिस का साक्षात्कार कर उनका सन्देश सुना।

इस अवसर पर पोप ने नेपल्स के महाधर्माध्यक्ष दोमेनिको बातालिया तथा उनके साथ आये गुरुकुल के प्राध्यापकों और साथ ही गुरुकुल के साथ सहयोग करनेवाली धर्मबहनों एवं विवाहित जोड़ों के समूह के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि समर्पित धर्मसमाजियों एवं धर्मसंघियों के साथ विवाहित दम्पत्तियों की उपस्थिति एक महत्वपूर्ण संकेत है, जो हमें पवित्र अभिषेक और विवाह संस्कार के बीच पूरकता की याद दिलाती है। उन्होंने कहा कि पुरोहितों के प्रशिक्षण और विकास में हमें उन लोगों के योगदान की आवश्यकता है जिन्होंने विवाह का मार्ग चुना है।

गुरुकुल छात्रों को सबोधित करते हुए पोप ने कहा, प्रभु के आह्वान का प्रत्युत्तर देने तथा उनकी कलीसिया  की सेवा करने की आपकी इच्छा के लिए मैं आप सबके के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ; और आपको उत्साह और प्रतिबद्धता के साथ हर दिन निष्ठा की सुंदरता विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करता हूँ, अपने जीवन को आप पवित्र आत्मा के सामर्थ्य के सिपुर्द करें, जो येसु मसीह का रूप धारण करने में आपकी मदद करता है।

पोप ने कहा कि यह स्मरण रखा जाना चाहिये कि प्रशिक्षण कभी समाप्त नहीं होता, यह सारा जीवन चलता रहता है, और यदि इसे बीच में ही भंग कर दिया जाता है तो यह वहाँ नहीं होता जहाँ इसे छोड़ा गया था बल्कि  जो कुछ हमने सीखा है वह पूरी तरह समाप्त हो जाता।

कलीसिया एक निर्माण स्थल
पोप ने कहा कि पुरोहितों के सतत प्रशिक्षण तथा आपके गुरुकुल की 90 वीं वर्षगाँठ पर विचार करते हुए मेरे दिमाग़ में निर्माण स्थल की छवि उभर कर आ जाती है। उन्होंने कहा कि कलीसिया सबसे पहले और हमेशा खुला रहने वाला निर्माण स्थल है। यह लगातार गतिशील रहता है, पवित्रआत्मा की नवीनता के लिए खुला रहता है तथा खुद को और अपने हितों को संरक्षित करने के प्रलोभन पर काबू पाने का प्रयास करता रहता है। "कलीसियाई निर्माण स्थल" का मुख्य कार्य, उन्होंने कहा, पुनर्जीवित येसु ख्रीस्त के क्रूस की संगति में चलना तथा उनके सुसमाचार की सुंदरता को लोगों तक पहुंचाना है।

पोप ने कहा कि इसका अर्थ है काथलिक पुरोहित हर स्थिति में प्रेरितिक विवेक की शैली को अपनाना जानते हैं, यह जानते हुए कि हम सभी, पुरोहित और सामान्य लोग, पूर्णता की ओर बढ़ रहे हैं और निर्माणाधीन भवन स्थल पर श्रमिक हैं। हम आज की जटिल वास्तविकता का अखंड और पहले से तैयार उत्तर नहीं दे सकते, लेकिन हमें अपनी ऊर्जा को जो आवश्यक है उसकी घोषणा करने में निवेश करना चाहिए, और वह है ईश्वर की दया जो निकटता, पितृत्व, विनम्रता और विवेक की कला को परिष्कृत करके प्रकट होती है।

पोप ने गुरुकलीन समुदाय से अनुरोध किया कि वे अपने आप को ईश्वर के प्रेम से नए सिरे से विस्मित होने दें ताकि अपनी बुलाहट की नींव तक पहुंच सकें जिसका उन्होंने स्वागत किया है तथा विशेष रूप से आराधना और ईश वचन के संपर्क में अपनी बुलाहट को नवीकृत करें। उन्होंने कहा, "आप संयम के स्वाद को फिर से खोजें; ऐसी जीवन शैली सीखें  जो आपको पुरोहित बनने में मदद करे। ऐसे पुरोहित जो खुद को दूसरों के लिए समर्पित करने और सबसे गरीबों के प्रति चौकस रहने में सक्षम होंगे; अपने आप को छवि और दिखावे के पंथ से धोखा न खाने दें, बल्कि अपने आंतरिक जीवन का ख्याल रखें; आपकी भूमि में न्याय और सृजन, वर्तमान और ज्वलंत मुद्दों का ख्याल रखें, जो इस अर्थ में कलीसिया से साहसी शब्दों और संकेतों की प्रतीक्षा कर रहा है; शांति और सद्भाव से रहें, विभाजनों पर काबू पायें और विनम्रता के साथ भाईचारे में रहना सीखें। इस उद्यम में समस्त सन्तगण तथा नेपल्स शहर के संरक्षक सन्त जेन्नारो, जिनकी उपस्थिति और रक्त आपकी भूमि को सींचते रहें हैं, आपकी मदद करें।"  

अन्त में पोप ने कहा, "मैं आपकी जीवन यात्रा के लिए शुभकामनाएं देता हूं और प्रार्थना में आपके साथ रहने का आश्वासन देता हूँ। कृपया आप भी मेरे लिए प्रार्थना करना न भूलें।"