धर्माध्यक्ष स्यूकुर ने कार्डिनल बनने से इंकार किया
पोप फ्राँसिस ने इंडोनेशिया के बोगोर धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष्य पास्कालिस ब्रूनो स्यूकुर के आग्रह को स्वीकार कर लिया है जिन्होंने अगले 7 अक्टूबर 2024 को कार्डिनल नहीं बनाये जाने का आग्रह किया था।
62 वर्षीय इंडोनेशियाई फ्राँसिस्कन धर्माध्यक्ष पास्कलिस ब्रूनो स्यूकुर, जिन्हें 2001 से 2009 तक इंडोनेशिया में फ्रायर्स माइनर धर्मसंघ के प्रोविंशल के रूप में सेवा देने के बाद 21 नवंबर 2013 को पोप फ्राँसिस ने धर्माध्यक्ष नियुक्त किया था, आगामी कार्डिनल निर्माण कार्यक्रम (कंसिस्ट्री) में कार्डिनल न बनाए जाने की मांग की थी।
वाटिकन प्रेस कार्यालय के निदेशक ने मंगलवार शाम को कहा कि धर्माध्यक्ष स्यूकुर ने "कलीसिया और ईश्वर के लोगों की सेवा में" अपने व्यक्तिगत विकास को जारी रखने की इच्छा व्यक्त की है, यह एक ऐसा विकल्प है, जिसको मात्तेओ ब्रूनी ने कहा, जोकि उनके पुरोहितीय जीवन को और गहरा करने की इच्छा से उपजा है।
परिणामस्वरूप, संत पापा से लाल टोपी प्राप्त करनेवाले कार्डिनलों की संख्या 21 के बजाय 20 होगी।
धर्माध्यक्ष स्यूकुर की जीवनी
पास्कलिस ब्रूनो स्यूकुर का जन्म 17 मई, 1962 को इंडोनेशिया के फ्लोरेस द्वीप पर रुतेंग धर्मप्रांत के रंगगु में हुआ था। प्राथमिक विद्यालय पूरा करने के बाद, उन्होंने किसोल में पीयुस 10वें लघु सेमिनरी में प्रवेश किया और फिर जकार्ता में ड्रियाकारा दर्शनशास्त्र संकाय में दार्शनिक अध्ययन किया, और बाद में योग्याकार्ता में ईशशास्त्र संकाय में धर्मशास्त्रीय अध्ययन पूरा किया।
उन्होंने 22 जनवरी, 1989 को फ्रायर्स माइनर धर्मसंघ में व्रतधारण किया और 2 फरवरी, 1991 को पुरोहिताभिषेक प्राप्त किया।
फादर स्यूकुर ने प्रेरिताई और नेतृत्व की कई भूमिकाएँ निभाई हैं। 1991 से 1993 तक, उन्होंने जयापुरा (पश्चिम पापुआ) के मोनेमानी पल्ली में एक पुरोहित के रूप में सेवा की। 1993 से 1996 तक, उन्होंने रोम में अंतोनियनुम में आध्यात्मिकता विषय में लाइसेंस प्राप्त किया।
अपनी पढ़ाई के बाद, वे 1996 से 2001 तक डेपॉक में नोविस मास्टर बने, तथा 1998 से 2001 के बीच, वे डेपॉक में फ्रांसिस्कन समुदाय के संरक्षक और प्रोविंशल समिति के सदस्य भी रहे।
2001 से 2009 तक, उन्होंने इंडोनेशिया में धर्मसंघ के प्रोविंशल के रूप में कार्य किया, और 2009 में, उन्हें रोम में एशिया और ओशिनिया के लिए जनरल डिफिनिटर नियुक्त किया गया।
21 नवंबर, 2013 को, पोप फ्राँसिस ने उन्हें बोगोर धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष नियुक्त किये।