एक बुद्धिमान दादा ने एक बार मुझसे कहा था कि दुनिया में सिर्फ़ दो ही अजूबे हैं, जिनकी वे प्रशंसा और जिज्ञासा दोनों से सराहना करते हैं। पहला अजूबा प्रकृति की लुभावनी सुंदरता है, जो हमेशा भगवान की महानता और महिमा को दर्शाती है। फिर उन्होंने अपना हाथ थामे बच्चे की ओर देखा और कहा, "वह मेरा दूसरा अजूबा है, हमेशा मुझे हैरान करता है।"