पोप फ्राँसिस: हर किसी को मानव तस्करी का मुकाबला करना चाहिए
पोप फ्राँसिस ने मानव तस्करी के खिलाफ प्रार्थना और जागरूकता के 10वें विश्व दिवस के लिए अपना संदेश जारी किया, और समाज से सभी स्तरों पर इस संकट से लड़ने और पीड़ितों के साथ-साथ उन लोगों की गवाही से प्रेरित होने का आग्रह किया, जिनकी आवाज अनसुनी रह गई है।
पोप ने कहा, "मैं पूरे दिल से खुद को दुनियाभर में आप सभी के साथ जोड़ता हूँ, खासकर, युवाओं के साथ, जो इस वैश्विक संकट से निपटने के लिए काम कर रहे हैं।"
पोप फ्राँसिस ने मानव तस्करी के खिलाफ 10वें विश्व प्रार्थना और जागरूकता दिवस के अवसर पर गुरुवार को जारी अपने संदेश में मानव तस्करी से लड़ने और उसे खत्म करने की जोरदार अपील की और दोहराया कि "कार्रवाई करने में कभी देर नहीं होती।"
काथलिक कलीसिया के इस वार्षिक दिवस की स्थापना संत पापा फ्राँसिस ने 2015 में की, जब उन्होंने 8 फरवरी को संत बकिता के पर्व दिवस पर, धर्मसंघों की परमाधिकारिणीयों के अंतरराष्ट्रीय संघ (यूआईएसजी) और पुरुष धर्मसंघों के सुपीरियर जनरल (यूएसजी) को इसे याद करने हेतु आमंत्रित किया था।
वर्ष 2000 में संत घोषित सिस्टर बकिता, सूडान और मानव तस्करी से बचे लोगों की संरक्षिका संत हैं। सूडान में जन्मी धर्मबहन (1869-1947) को बचपन में ही गुलामी के लिए बेच दिया गया था और इटली पहुंचने से पहले वह तस्करों की शिकार हो गई थीं, बाद में वे एक कैनोसियन धर्मबहन बन गईं।
संयुक्त राष्ट्र अलग से 30 जुलाई को मानव तस्करी के खिलाफ अपना विश्व दिवस मनाता है।
पोप ने अपने संदेश में सभी से संत बखिता के पदचिन्हों पर चलने का आग्रह किया। उन्होंने याद करते हुए कहा, "आइए हम उस गलती को याद करें, उनकी पीड़ा को जिसको उसने सहा, लेकिन साथ ही उनकी ताकत और मुक्ति एवं नए जीवन में पुनर्जन्म की यात्रा को भी न भूलें।" "संत बखिता हमें उन लोगों को देखने के लिए अपनी आंखें और कान खोलने हेतु प्रोत्साहित करती हैं जिन्हें अनदेखा किया जाता और जिनके पास कोई आवाज नहीं है, वे प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा को स्वीकार करने और तस्करी एवं सभी प्रकार के शोषण से लड़ने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।"
इस बात पर अफसोस जताते हुए कि मानव तस्करी की अक्सर अनदेखी हो जाती है, पोप ने मीडिया को धन्यवाद दिया जो गुलामी के आधुनिक रूपों के साथ-साथ इसके चारों ओर मौजूद उदासीनता की संस्कृति को भी प्रकाश में लाता है।
उन्होंने आग्रह किया, "आइए हम अधिक संवेदनशील होने के लिए, अपने जीवन और दिलों को अपनी बहनों और भाइयों के लिए खोलने हेतु एक-दूसरे की मदद करें," जिन्हें अब भी गुलामों के रूप में खरीदा और बेचा जा रहा है। कार्रवाई करने में कभी देर नहीं होती है।"
पोप ने उन कई युवाओं के लिए ईश्वर को धन्यवाद दिया जिन्होंने इस दिन की चुनौती को स्वीकार किया है, उन्होंने कहा कि उनका उत्साह और प्रतिबद्धता "हमें रास्ता दिखाती है," हमें याद दिलाती है कि "हमें तस्करी का मुकाबला करने के लिए सुनने, सपने देखने और कार्य करने के लिए बुलाया गया है।"
पीड़ितों की पुकार सुनें
पोप ने पीड़ितों की बात सुनने की अपील की है, "मैं युद्धों और संघर्षों के पीड़ितों, जलवायु परिवर्तन से प्रभावित लोगों, पलायन करने को मजबूर लोगों और विशेषकर, महिलाओं और बच्चों के बारे में सोचता हूँ, जिनका यौन या कार्यस्थल पर शोषण किया जाता है।"
उन्होंने कहा, "क्या हम मदद के लिए उनकी पुकार सुन सकते हैं और उनके द्वारा बताई गई कहानियों से चुनौती महसूस कर सकते हैं।"
संत पापा ने उन सभी प्रयासों को प्रोत्साहित किया जो लोगों को स्वतंत्रता और सम्मान के साथ जीने में सक्षम बनाते हैं।
पोप ने सभी लोदों को तस्करी से निपटने के लिए कार्रवाई करने का आग्रह किया। उन्होंने आह्वान करते हुए कहा, "आइए हम उत्साहपूर्वक प्रार्थना करें और इस उद्देश्य, मानव गरिमा की रक्षा के लिए सक्रिय रूप से काम करें।" उन्होंने सुझाव दिया, “जब हम जानते हैं कि तस्करी के खिलाफ लड़ाई जीती जा सकती है, समस्या की जड़ तक पहुंचना और इसके कारणों को खत्म करना आवश्यक है।"
पोप ने संत बखिता के उदाहरण का अनुसरण करते हुए इस संकट का जवाब देने के सभी प्रयासों को प्रोत्साहित किया। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, "यह कार्रवाई करने, मानव तस्करी से निपटने के लिए अपने सभी संसाधनों को जुटाने और इसके शिकार लोगों के लिए पूर्ण सम्मान बहाल करने का आह्वान है। अगर हम अपनी आँखें और कान बंद कर लें, अगर हम कुछ नहीं करें, तो हम मिलीभगत के दोषी होंगे।"
पोप फ्रांसिस ने इस दिवस में शामिल सभी लोगों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए और तस्करी एवं सभी प्रकार के शोषण से निपटने के लिए प्रतिबद्ध सभी लोगों को आशीर्वाद देते हुए अपना संदेश समापन किया।