वर्तमान चुनौतियों का उपयुक्त उत्तर देने के लिये तैयार रहें

वाटिकन में पोप फ्राँसिस के साक्षात्कार हेतु पधारे परमधर्मपीठीय सुसमाचार प्रचार परिषद की पूर्णकालिक सभा में भाग ले रहे सदस्यों को सम्बोधित कर सन्त पापा ने कहा कि हर कलीसियाई संस्था का दायित्व है कि वह वर्तमान विश्व की वास्तविकताओं और चुनौतियों का उपयुक्त उत्तर देने के लिये तैयार रहे।
 
परमधर्मपीठीय अर्बन विश्वविद्यालय की पहचान, मिशन, अपेक्षाओं और भविष्य पर विचार करने हेतु इन दिनों रोम में एकत्र सुसमाचार प्रचार परिषद की पूर्णकालिक सभा के सदस्यों ने शुक्रवार को सन्त पापा फ्राँसिस का साक्षात्कार कर उनका सन्देश सुना।

चुनैतियों का प्रत्युत्तर दें
वर्तमान चुनैतियों का प्रत्त्युत्तर देने के लिये पोप ने कहा, कलीसिया संबंधी अध्ययन संस्थाएं हमारे युग के  पुरुषों और महिलाओं को ज्ञान, कौशल तथा अनुभव हस्तांतरित करने तक ही सीमित नहीं रह सकते हैं, बल्कि नैतिक-धार्मिक बहुलवाद द्वारा चिह्नित दुनिया में उन्हें खुद को कार्रवाई और विचार के प्रतिमानों के रूप में प्रस्तुत करने में सक्षम बौद्धिक उपकरण विकसित करने का तत्काल प्रयास करना चाहिए, जो सुसमाचार की उद्घोषणा के लिए उपयोगी हो।"

उन्होंने स्मरण दिलाया कि "हम एक ख्रीस्तीय समाज में जीवन यापन नहीं कर रहे हैं, तथापि हमें आज के बहुलवादी समाज में ख्रीस्तानुयायी के रूप में अपना जीवन व्यतीत करने के लिये बुलाया गया है।"

सन्त पापा ने कहा कि कलीसियाई शिक्षण संस्थाओं के लिये यह ज़रूरी है कि वे प्रशिक्षण प्रस्ताव और अनुसंधान की गुणवत्ता को बढ़ायें तथा मानव और आर्थिक संसाधनों के आवश्यक युक्तिकरण का प्रयास करें। इसके लिये, उन्होंने कहा, "आज से परे देखने में सक्षम एक दृष्टि की आवश्यकता है, जो कलीसिया और सामाजिक स्थिति, कलीसियाई संरचनाओं की जीवन शक्ति और उनकी स्थिरता, स्थानीय कलीसियाओं की ज़रूरतों, पुरोहिती और समर्पित जीवन की बुलाहटों तथा आम जनता की ज़रूरतों पर विचार करने में सक्षम हो।"

लक्ष्यों की पहचान करें
सन्त पापा ने कहा, "हम अच्छी तरह से जानते हैं कि प्राप्त करने के साधनों की पर्याप्त सामुदायिक खोज के बिना लक्ष्यों की पहचान महज कल्पना में तब्दील हो सकती है, क्योंकि उचित रास्ते खोजने के लिए स्वस्थ रचनात्मकता की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि परमधर्मपीठीय शैक्षणिक संस्थानों में इस तथ्य के प्रति सचेत रहा जाना चाहिये कि विश्वविद्यालय का एक नवीनीकृत मॉडल केवल पाठ, क्रेडिट और परीक्षाओं की पूर्ति तक ही सीमित न रहे बल्कि वह ज्ञान के समुदाय के रूप में विकसित होता जाये।

परमधर्मपीठीय शैक्षणिक संस्थानों की गुणवत्ता को बढ़ाने तथा फिज़ूलखर्ची के जोखिम से बचने के लिये सन्त पापा ने कहा, "एक शैक्षणिक संस्थान को आकर्षक और प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए समर्पित शिक्षकों, वैज्ञानिक जांच और सिद्धांत में महत्वपूर्ण योगदान देने की क्षमता की आवश्यकता होती है। संसाधनों का अच्छा उपयोग करने का अर्थ है समान पथों को एकजुट करना, बर्बादी को खत्म करना, गतिविधियों की सावधानीपूर्वक योजना बनाना और साथ ही पुरानी प्रथाओं और परियोजनाओं को त्याग कर नवीन रास्तों की तलाश करना।"

परमधर्मपीठीय अर्बन विश्वविद्यालय के विशिष्ट मामले में, सन्त पापा ने कहा, यह महत्वपूर्ण है कि, प्रशिक्षण  प्रस्ताव की गुणवत्ता में इसकी मिशनरी और अंतर-सांस्कृतिक विशिष्टता और भी अधिक उभर कर सामने आये, ताकि जो लोग प्रशिक्षित होते हैं वे अन्य संस्कृतियों और धर्मों के साथ संबंधों में मौलिकता के साथ ख्रीस्तीय संदेश की मध्यस्थता करने में सक्षम बन सकें।