काथलिक एक्शन दल से पोप : एक-दूसरे को गले लगाने से युद्धों को रोका जा सकता है
पोप फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में इटली के काथलिक एक्शन दल के करीब 40,000 सदस्यों से मुलाकात की और आलिंगन पर चिंतन करते हुए, गले लगाने के महत्व पर जोर दिया।
पोप फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में इटली के काथलिक एक्शन दल के करीब 40,000 सदस्यों से मुलाकात की और आलिंगन पर चिंतन किया। इतालवी काथलिक एक्शन दल ने अपने लिए विषयवस्तु चुना है: “खुले आलिंगन के साथ।”
पोप ने कहा, “गले लगाना मानवीय अनुभव की सबसे सहज अभिव्यक्तियों में से एक है। व्यक्ति का जीवन, एक आलिंगन से शुरू होता है, उसके माता-पिता के आलिंगन से, जो स्वागत का पहला चिन्ह है।” जीवन के शुरू से लेकर अंतिम तक कई लोगों से आलिंगन मिलते हैं “जो हमारे दिनों और वर्षों को अर्थ और मूल्य देते हैं।” लेकिन सबसे खास आलिंगन ईश्वर का है, जो हमें सबसे पहले प्यार करते हैं और हमें अपने करीब रखते, खासकर, जब हम खो जाने के बाद वापस लौटते हैं, जैसा कि दयालु पिता का दृष्टांत हमें दिखाता है।” इस आलिंगन के बिना हमारा जीवन कैसा होगा, और कलीसिया का मिशन कैसे साकार हो सकता है?
अतः पोप ने तीन प्रकार के आलिंगन के बारे बतलाया : आलिंगन जो गायब है, आलिंगन जो बचाता है, आलिंगन जो जीवन बदल देता है।
पोप ने दल के सदस्यों से कहा, जिस उत्साह को वे आज व्यक्त कर रहे हैं, उसे हमारी दुनिया में हमेशा स्वागत नहीं किया जाता है। कभी-कभी इसे बंद और प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है। कठोर हाथ भाईचारा के वाहक नहीं रह जाते बल्कि इनकार और विरोध, यहाँ तक कि हिंसा, अविश्वास, और संघर्ष की ओर ले जाते हैं। युद्ध के उद्गम में अक्सर अस्वीकृत आलिंगन होते हैं जो पूर्वाग्रह, गलतफहमी और संदेह के साथ आगे बढ़ते हैं और इस हद तक पहुँच जाते कि एक दूसरे को अपने शत्रु के रूप में देखने लगते हैं। और दुर्भाग्य से ये सारी चीजें इन दिनों हमारी नजरों के सामने के सामने हैं।
पोप ने दल के सदस्यों से कहा कि वे अपनी उपस्थिति और अपने कार्यों से सभी को दिखायें कि गले लगाने का रास्ता जीवन का रास्ता है।
“मानवीय दृष्टिकोण से, एक-दूसरे को गले लगाने का मतलब है स्नेह, सम्मान, विश्वास, प्रोत्साहन, मेल-मिलाप जैसे सकारात्मक और मौलिक मूल्यों को व्यक्त करना। लेकिन यह तब और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जब इसे विश्वास के आयाम में जिया जाए। हमारे अस्तित्व के केंद्र में करुणावान ईश्वर का आलिंगन है जो हमें बचाते हैं। भले पिता जिन्होंने अपने आपको येसु में प्रकट किया और जिनका चेहरा क्षमाशीलता, चंगाई, मुक्ति और सेवा में प्रकट होता है। उनकी प्रकाशना पवित्र यूखरिस्त में और क्रूस पर चरमबिन्दु पर पहुँचती है, जब वे दुनिया की मुक्ति के लिए अपना जीवन अर्पित करते और अपने शत्रुओं को क्षमा देते हैं। उन सभी लोगों की भलाई के लिए जो उन्हें सच्चे दिल से स्वीकार करते हैं।” संत पापा ने कहा कि ये उदाहरण हमारे लिए है ताकि हम भी वैसा ही कर सकें। अतः हमें पिता के आलिंगन को कभी नहीं खोना चाहिए। “आइये, हम बच्चों की तरह, अपने आपको उन्हें आलिंगन करने दें। ताकि हम भी अपने भाई बहनों को उसी प्रेम से आलिंगन कर सकें।”
कई संत हैं जिनका जीवन आलिंगन से बदला है, जैसे संत फ्राँसिस जिन्होंने येसु का अनुसरण करने के लिए अपना सब कुछ छोड़ दिया, जब एक कोढ़ी को अपने पास पाया। संत पापा ने कहा कि ये उदाहरण आज हमारे लिए भी प्रेरणादायक है। हमारा सामाजिक जीवन जो बहुआयामी है प्रेमपूर्ण आलिंगन में अपना सटीक रूप पाता है।(कलो 3:14; रोम 13:10) यह ख्रीस्त के शिष्यों का एकमात्र महत्वपूर्ण चिन्ह है।
पोप ने कहा, “हम इसे अपने सभी प्रयासों और सेवाओं को आकार देने दें, ताकि आप अपनी बुलाहट और अपने इतिहास के प्रति वफादार रह सकेंगे।”
उन्होंने कहा, “आप जो हैं और जो कुछ करते हैं उसके लिए धन्यवाद! माता मरियम सदैव आपका साथ दें। मैं आपके लिए प्रार्थना करता हूँ।” और अंत में अपने लिए प्रार्थना का आग्रह करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।