हैदराबाद के सेवानिवृत महाधर्माध्यक्ष का निधन
हैदराबाद के सेवानिवृत महाधर्माध्यक्ष थुमा बाला का निधन 30 मई को हुई। वे 80 साल के थे।
उनका निधन सुबह 10:25 बजे वारंगल के करुणा पुरम में उस समय हुआ जब वे अपनी बहन से मिलने गए थे।
उन्होंने 2011 से 2020 तक हैदराबाद के महाधर्माध्यक्ष और 1987 से 2011 तक वारंगल के बिशप के रूप में अपनी सेवा दी है।
24 अप्रैल,1944 को वारंगल धर्मप्रांत के नारिमेट्टा में जन्मे, महाधर्माध्यक्ष थुमा बाला का पुरोहिताभिषेक 21 दिसंबर, 1970 को हुआ था। ईशशास्त्र की पढ़ाई रोम में करने के बाद, वे हैदराबाद के संत जॉन्स सेमिनरी में प्रवेश किये। वे स्वास्थ्य देखभाल के लिए परमधर्मपीठीय समिति के सदस्य, और स्वास्थ्य देखभाल के लिए सीबीसीआई आयोग के सदस्य भी थे।
धर्माध्यक्ष के रूप में उनकी नियुक्ति से पहले, वे 1978-1980 तक सेंट पॉल्स रीजनल कटेकिस्ट ट्रेनिंग सेंटर, नुजिविद, विजयवाड़ा धर्मप्रांत के रेक्टर और 1984 से 1986 तक सेंट जॉन्स रीजनल सेमिनरी, हैदराबाद में कटेकेटिक्स के प्रोफेसर थे। उन्होंने 1984-1986 तक सेंट जॉन्स रीजनल सेमिनरी हैदराबाद में प्रॉक्यूरेटर के रूप में कार्य किया।
42 वर्ष की उम्र में उन्हें 17 नवंबर, 1986 को वारंगल का दूसरा धर्माध्यक्ष नियुक्त किया गया और 12 मार्च, 1987 को उनका धर्माध्यक्षीय अभिषेक हुआ। पोप बेनेडिक्ट 16वें ने उन्हें 66 वर्ष की आयु में 12 मार्च, 2011 को हैदराबाद के महाधर्माध्यक्ष नियुक्त किया। उन्हें 5 मई, 2011 को हैदराबाद का दसवाँ महाधर्माध्यक्ष नियुक्त किया गया। पोप फ्रांसिस ने 19 नवंबर, 2020 को हैदराबाद महाधर्मप्रांत की प्रेरितिक देखभाल से उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया था।
एक धर्माध्यक्ष के रूप में वे 1987-1995 तक तेलुगु क्षेत्रीय युवा आयोग के अध्यक्ष, 1990 से 1995 तक ज्योतिर्मय सोसाइटी के अध्यक्ष, 1987-1995 तक क्षेत्रीय कटेकेटिकल आयोग के अध्यक्ष, 2002-2006 तक सीबीसीआई स्वास्थ्य आयोग के अध्यक्ष तथा 2002-2007 तक वाटिकन में स्वास्थ्य देखभाल धर्मप्रचार के लिए परमधर्मपीठीय परिषद के सदस्य रहे।
उन्होंने रोम के परमधर्मपीठीय सलेशियन विश्वविद्यालय (1980-1983) में प्रेरितिक ईशशास्त्र कटेकेटिक्स में लाइसेंस प्राप्त किया थी।