विश्व शरणर्थी दिवसः बेहतर जीवन की खोज

विश्व शरणार्थी दिवस हमें उन भाई-बहनों की याद दिलाती है जो बेहतर जीवन की चाह में पलायन करते हुए शोषण का शिकार होते हैं।

विश्व शरणार्थी दिवस हमें विश्व भर के हमारे उन भाई-बहनों की याद दिलाती है जो बेहतर जीवन की चाह में पलायन करते हैं लेकिन बहुधा उन्हें शोषण का शिकार होना पड़ता है, उक्त बातें जेआरएस की कार्यकर्ता दानियेला वेल्ला ने वाटिकन समाचार से वार्ता करने के दौरान कही।

हर साल हजारों की संख्या में शरणार्थी बेहतर की चाह लिए खतरनाक यात्राओं को करते हैं। हर साल इस प्रक्रिया में कितने की जाने चली जाती हैं। वेल्ला ने कहा कि आकड़ों के मुताबिक मई 2024 तक उत्पीड़न, संघर्ष, हिंसा और मानवाधिकारों के उल्लंघन के परिणामस्वरूप दुनिया भर में करबीन 120 मिलियन से अधिक लोगों को विस्थापन का शिकार होना पड़ा है।

येसु समाजियों के प्रेरितिक कार्य में से एक जेसुइट रिफ्यूजी सर्विस (जेआरएस) की दानियेला वेल्ला ने यूरोप में शरण लेने वाले अनगिनत लोगों से साक्षात्कार लिया है। वह उनसे पूछती हैं, "आप अपना देश छोड़कर क्यों चले गएॽ" "यात्रा बहुत खतरनाक है।” उनका जवाब हमेशा की तरह एक जैसा ही होता है, वे कहती हैं: “मैंने इसलिए छोड़ा क्योंकि मुझे जाना था।” वाटिकन समाचार के संग वार्ता करते हुए अपने अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने कहा,“एक उत्तर ने, खास रुप से मुझे प्रभावित किया,“बेहतर जीवन के लिए नहीं... बस जीवन के लिए।”

शरणार्थियों की आवाज के प्रति सजग हों
दानियला वेल्ला कहा कि 20 जून को विश्व शरणार्थी दिवस मनाते हुए हमें चाहिए कि हम उनकी आवाज को सुनने हेतु सदैव सजग रहें। 2024 में उनकी संख्या में वृद्धि हुई है और यह बढ़कर 120 मिलयन तक पहुंच जायेगी। उन्होंने कहा,“आइए हम इस वास्तविकता को देखें कि उन लाखों लोगों में से प्रत्येक व्यक्ति एक मानव है, जिसकी एक अनूठी कहानी है जो सुने जाने की मांग करती है जिससे उनकी गरिमा, पीड़ा और उनकी आशा को सम्मान मिलन सकें।”

शरणार्थियों के संबंध में संत पापा की आपील
अपने आमदर्शन समारोह में संत पापा ने शरणार्थियों की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करते हुए अपनी अपील दुहराई है कि यह विश्व शरणार्थी दिवस हमारे लिए एक अवसर बनें जहाँ हम अपनी निगाहें और भातृत्वमय ध्यान उनकी ओर फेर सकें जिन्हें अपने घरों को, शांति और सुरक्षा की चाह हेतु छोड़ने के लिए बध्या किया है। संत पापा की इस अपील में हम दो मुख्य शब्दों को पाते हैं, निगाहें और भातृत्व ध्यान।

निगाहें और भातृत्व
निगाहें जो हमारा ध्यान उनकी ओर इंगित करती है, वेल्ला कहती हैं कि यह हमारे लिए रुककर उनके बारे में चिंतन का एक अवसर बनें जो उन्हें जीवन की सुरक्षा हेतु सब कुछ छोड़ कर विस्थापन के लिए बाध्य करता है क्योंकि इसके सिवाय उनके पास की कोई दूसरा विकल्प नहीं रह जाता है।

उन्होंने कहा कि उनके प्रति भातृत्व की भावना हमारे विश्वास को व्यक्त करता हैं, “क्यों यही हमारे विश्वास का सार है।” वे इस बात पर जोर देते हुए कहती हैं कि यदि हम सामाजिक न्याय की ख्रीस्तीय शिक्षा का आलिंगन करते तो हम सारी मानवता को एक परिवार की तरह, ईश्वरीय संतान की भांति देखते हैं, जिसके फलस्वरुप हम एकता के सही अर्थ को जीते और सभों के प्रति उत्तरदायी होते हैं।

भूमध्यसागरीय प्रांत मौत का मार्ग
लम्पेदूसा की यात्रा, 11 साल पूर्व संत पापा की बातों की याद करते हुए वे कहती हैं, “तुम्हारा भाई कहाँ हैॽ” उसका खून मुझे पुकारता है।” यह सवाल दूसरों की ओर इंगित नहीं करता बल्कि यह हममें से प्रत्येक जन के लिए है। संत पापा ने अपनी लम्पेदूसा की प्रेरितिक यात्रा में इस सवाल को रखा जहाँ जोखिम भरी समुद्री यात्रा करते हुए हजारों की संख्या में शरणार्थी और पलायन कर्ता हर साल आते हैं। भूमध्यसागर का मार्ग हजारों की संख्या में लोगों को अपने में निगल गया है।

सरकारें उत्तरदायी
सन् 2023, भूमध्यसागरीय प्रांत में करीबन तीन हजार एक सौ पांच लोगों ने अपनी जाने गवाई हैं या वे लपता हो गये, जो यूरोप में प्रवेश करने के उद्देश्य से समुद्री यात्रा कर रहे थे। वेल्ला ने कहा “मैं विश्वास करती हूँ इसके लिए हमारी सरकारें उत्तरादायी हैं।” यहाँ हमारे लिए शरणार्थियों का पलायन समस्या नहीं है बल्कि सरकारों द्वारा एनजीओ बचाव नौकाओं का अपराधिकारण और समुद्री बचाव कार्य में टालमटोल करना है, वे समुद्री गश्ती दलों को रोकते जो हजारों लोगों की जान बचाती थी; बचाव हेतु नौकाओं को देरी से भेजा जाना साथ ही शरणार्थियों को वापस धकेलने की जिम्मेदारी उनकी है”। दानियेला वेल्ला ने इस बिन्दुओं को रखने के उपरांत इस बात पर जो दिया कि वह किसी भी तरह से यूरोपीय संघ के नौसैनिक अभियानों को न्यूनतम आंकना चाहती हैं, जिन्होंने वर्षों से इतने सारे लोगों को बचाया है।

लेकिन प्रवासियों को वापस भेजना “प्रवासियों का समुद्र में डूबना मात्र नहीं है। यह उन्हें उन जगहों पर वापस धकेले जाने के बारे में भी है जहाँ उन्हें क्रूरता, जबरन मज़दूरी, तस्करी...यातना का सामना करना पड़ता है।” वह लीबिया के साथ हुए समझौते की बातों को व्यक्त करती हैं जो शरणार्थियों को लीबिया वापस भेजने की सुविधा प्रदान करता है, जहाँ “उन्हें हिरासत केंद्रों में भयानक व्यवहार का सामना करना पड़ता है"।

भय की राजनीति को रोकना
दुःख की बात है कि युद्ध के कारण दुनिया में शरणार्थियों की संख्या में वृद्धि होना तय है। इस विश्व शरणार्थी दिवस पर हमें यह सोचना चाहिए कि हम क्या कर सकते हैं। दानियेला वेल्ला ने कहा कि हमें रूढ़िवादिता का इस्तेमाल बंद करना चाहिए। उन्होंने कहा,“उनकी सुरक्षा की मांग सदैव अनसुनी कर दी जाती है। वहीं शरणार्थियों को बोझ या हिंसक खतरों के रूप में प्रस्तुत किया जाता है जो शरणार्थियों के संबंध में शत्रुतापूर्ण और सार्वजनिक माहौल उत्पन्न करते हैं। उन्होंने कहा कि यह डर की राजनीति है जो वास्तव में हमें और भी अधिक भयभीत बनाती है।"

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