बेरहामपुर धर्मप्रांत की स्वर्ण जयन्ती में 15,000 विश्वासियों ने भाग लिया
ओडिशा के बेरहामपुर धर्मप्रांत की स्वर्ण जयंती समारोह में 9 मई को भारत और नेपाल के लिए वाटिकन के प्रेरितिक राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोल्दो जिरेली सहित लगभग 15,000 लोग शामिल हुए।
बेरहामपुर धर्मप्रांत के संत पीटर पल्ली मोहना में जुबली मिस्सा के दौरान उपदेश में प्रेरितिक राजदूत ने कहा, "मैं आपके साथ रहकर और आपके इस जयंती समारोह में भाग लेकर खुश हूँ।"
वाटिकन राजदूत ने खुशी व्यक्त की कि 1974 में प्रेरितिक धर्मसंघ द्वारा स्थापित धर्मप्रांत में, अब 26 पल्लियों में 71,000 काथलिक हैं, जहाँ 29 महिला और 10 पुरुष धर्मसमाजी समुदायों तथा धर्मप्रांतीय पुरोहितों के अलावा 379 प्रचारक सेवा प्रदान करते हैं।
उन्होंने कहा कि आपके पूर्वजों ने 50 साल पहले जो बीज बोया था, उसमें खूब फल आए हैं।
समारोह में 10 बिशप और 100 से अधिक पुरोहित और धर्मबहनें भी शामिल हुए।
इस क्षेत्र में काथलिक धर्म पहली बार 17वीं शताब्दी में शुरू हुआ था जब यह मद्रास-माइलापुर महाधर्मप्रांत की देखरेख में था।
1845 में ओडिशा विशाखापटनम धर्मप्रांत के अंतर्गत आ गया। पहले मिशनरी फ्रांसेलियन थे, जो गंजम और फुलबनी के पहाड़ी क्षेत्र और बेरहामपुर एवं कटक के तटीय क्षेत्र में काम करते थे।
18 जुलाई, 1928 को पोप पियुस 11वें ने कटक मिशन को स्वशासी घोषित किया गया और फादर वेलेरियन गम्स को इसका प्रशासक और कलीसिया का वरिष्ठ नियुक्त किया था।
1937 में मिशन को धर्मप्रांत का दर्जा मिला। 24 जनवरी 1974 को कटक मिशन; कटक भुनेश्वर महाधर्मप्रांत एवं बेरहामपुर धर्मप्रांत में बंट गया।
बेरहामपुर के पहले धर्माध्यक्ष बने माननीय बिशप थॉमस थिरूथलिल, जिन्होंने 1990 तक धर्मप्रांत की सेवा की। उनके बाद बिशप जोसेफ दास ने 1993-2007 तक धर्मप्रांत की बागडोर संभाली। वर्तमान में बेरहामपुर धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष हैं, बिशप सरत चंद्र नायक।