कार्डिनल पारोलीन "चीन हमारे दिल के करीब है"
वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पियेत्रो पारोलीन ने कहा, "चीन हमारे दिल के करीब है" फिलहाल समय अपरिपक्व प्रतीत होता है, लेकिन "यदि किसी भी मामले में चीनियों की ओर से खुलापन होता, तो सन्त पापा फ्रांसिस भी तुरंत चीन जाते"। उन्होंने कहा कि चीन ऐसी भूमि है जिसके इतिहास और संस्कृति के प्रति उन्होंने हमेशा बहुत सराहना और सम्मान दिखाया है।
वाटिकन और चीन सम्बन्ध
गुरुवार को कार्डिनल पियेत्रो पारोलीन ने रोम स्थित परमधर्मपीठीय ऊरबानियाना विश्वविद्यालय में कार्डिनल कॉस्तानतीन को समर्पित एक पुस्तक का विमोचन किया। इस अवसर पर चीन एवं वाटिकन के बीच सम्बन्धों पर पत्रकारों के प्रश्नों का उन्होंने जवाब दिया।
बैजिंग के साथ कार्डिनल ने बातचीत की पुष्टि करते हुए कहा: “हम इस समय हस्ताक्षरित समझौते को लागू करने के लिये सर्वोत्तम प्रक्रियाओं को खोजने की कोशिश कर रहे हैं, जिसे इस साल के अंत में नवीनीकृत किया जाएगा। हमें उम्मीद है कि यह रास्ता सकारात्मक निष्कर्ष तक पहुंचेगा।"
वाटिकन राज्य सचिव, कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन ने सन्त पापा फ्रांसिस की इस "महान" एशियाई देश की एक दिन की यात्रा करने की इच्छा को दोहराया। उन्होंने कहा कि सन्त पापा अवश्य ही चीन की यात्रा करना चाहेंगे।
संवाद की नींव रखनेवाले कॉस्तानतीन
परमधर्मपीठीय ऊरबानियाना विश्वविद्यालय में उक्त पुस्तक के विमोचन समारोह में कार्डिनल पारोलीन ने कार्डिनल कॉस्तानतीनी की प्रेरिताई को याद किया, विशेष रूप से, चीन में जब वे परमधर्मपीठ के प्रथम प्रेरितिक राजदूत पद पर रहे थे। उन्होंने कहा कि कार्डिनल कॉस्तानतीन ने चीन और वाटिकन के बीच संवाद की नींव रखी, जिसका एक फल, दशकों के बाद, धर्माध्यक्षों की नियुक्तियों पर परमधर्मपीठ के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करना माना जा सकता है और जिस पर पहली बार 2018 में हस्ताक्षर किए गए थे और जो 2020 और 2022 में दो बार फिर से नवीनीकृत किया गया। उन्होंने बताया कि धर्माध्यक्षों की नियुक्ति पर समझौते को वर्ष के अंत में नवीनीकृत किया जाएगा।
चीन के प्रति पोप फ्राँसिस के गहन सम्मान को याद करते हुए कार्डिनल पारोलीन ने साप्ताहिक आम दर्शन पर कहे सन्त पापा के शब्दों को दुहराया, "कार्डिनल कॉस्तानतीनी के मित्र" नामक संघ को बधाई देते हुए, सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा थाः "प्रिय चीनी लोगों के प्रति शुभकामना। हम हमेशा इस महान, साहसी जनता की सराहना करते हैं, जिनकी संस्कृति इतनी सुंदर है, उनके लिए हम प्रार्थना करते हैं।"
पोप फ्राँसिस यदि चीन की यात्रा करते हैं तो यह किसी काथलिक परमाध्यक्ष की चीन में प्रथम प्रेरितिक होगी। इसकी सम्भावना पर बोलते हुए कार्डिनल पारोलीन ने सावधानीपूर्वक जवाब देते हुए कहा: "निश्चित रूप से सन्त पापा फ्रांसिस चीन जाने के लिए उपलब्ध हैं, वास्तव में वह चीन जाना चाहते हैं। तथापि, मुझे ऐसा नहीं लगता कि सन्त पापा की यह इच्छा पूरी होने की अभी तक स्थितियाँ मौजूद हैं।"