एआई ने तीर्थयात्रियों के लिए बढ़ाया संत पेत्रुस महागिरजाघर का उन्नत अनुभव

वाटिकन और माइक्रोसॉफ्ट के बीच साझेदारी ने एक नये डिजिटल पोर्टल को जन्म दिया, जिसका उद्देश्य है संत पेत्रुस महागिरजाघर को वैश्विक दर्शकों के करीब लाना और तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अनुभव बढ़ाना।

जब कलीसिया 2025 में जयंती समारोह की तैयारी कर रही है, सोमवार को माइक्रोसॉफ्ट और इकोनेम (एक हेरिटेज डिजिटलाइजेशन कंपनी) के सहयोग से "संत पेत्रुस महागिरजाघर: एआई- उन्नत अनुभव" नामक एआई-सक्षम परियोजना का अनावरण किया गया।

प्रेस सम्मेलन में वक्ताओं के बतलाया कि संत पेत्रुस महागिरजाघर की प्रतिकृति का डिजिटल निर्माण, वर्चुअल पर्यटन और डिजिटल प्रदर्शनी के गहरे अनुभव का अवसर देता है जो पुनर्जागरण आश्चर्य की भव्यता को और अधिक स्पष्ट रूप से सामने लाता है।

संत पेत्रुस महागिरजाघर के महापुरोहित कार्डिनल मौरो गम्बेत्ती ने ब्रीफिंग के दौरान अपनी प्रसन्नता व्यक्त की तथा इस अनुभव की तुलना “गर्मियों की रात में तारों से भरे आकाश” को देखने से की।

उन्होंने कहा, “नया उपकरण बेहतर दर्शन के लिए एक टेलेस्कोप के समान काम करता है, जो इस अनूठे डिजिटल विस्तार का सार प्रस्तुत करता है।

प्राचीन और आधुनिक के बीच साझेदारी
माइक्रोसॉफ्ट के अध्यक्ष ब्रैड स्मिथ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए कहा कि वाटिकन और माइक्रोसॉफ्ट के बीच साझेदारी न केवल अपनी महत्वाकांक्षा के लिए है बल्कि आस्था और विरासत की सेवा में प्रौद्योगिकी के अपने नयेपन के साथ उपयोग के लिए भी उल्लेखनीय है।

वाटिकन न्यूज पत्रकार फाबियो कोलाग्रंदे के साथ एक साक्षात्कार में स्मिथ ने गौर किया कि तकनीकी अतीत और वर्तमान के बीच सेतु के रूप में एक खास भूमिका निभाती है।  

उन्होंने कहा, “मेरा मानना ​​है कि यह रोम आनेवाले तीर्थयात्रियों के आध्यात्मिक अनुभव को बढ़ाता है, कल खुद इसे पढ़ने से मुझे संत पेत्रुस की यादों, उनके जीवन और उनके विचारों के बारे में और भी अधिक जानकारी मिली। यह उस इतिहास को जीवंत कर देता है।"

स्मिथ ने बतलाया कि आभासी अनुभव एक नया दृष्टिकोण प्रदान करता है, दर्शकों को महागिरजाघर के उन हिस्सों को भी देखने का अवसर देता है जिसे कोई नहीं देख सकता और डिजिटल प्रदर्शनी के माध्यम से, आगंतुक पहुंच से बाहर के स्थानों तक भी पहुंच सकते हैं, जैसे कि नीचे रोमी कब्रें और महागिरजाघर के उच्च गुंबद में जटिल कलाकृति।

इस पहल को प्रस्तुत करते हुए उन्होंने बताया कि महागिरजाघर के हर विवरण को कैप्चर करने के लिए अत्याधुनिक ड्रोन, कैमरा और लेजर स्कैनिंग तकनीक का उपयोग करके आभासी प्रतिकृति बनाई गई है, इसके बाद डेटा को एक साथ जोड़ने के लिए उन्नत एआई एल्गोरिदम का उपयोग किया गया है। इसका उद्देश्य नई पीढ़ी को भव्य महागिरजाघर के ऐसे प्रारूप से जोड़ना है जो उनके साथ प्रतिध्वनित हो।

स्मिथ ने कहा, "हम संत पेत्रुस को न केवल दुनिया के सामने बल्कि नई पीढ़ी के लोगों के सामने भी ले जा रहे हैं, वह भी ऐसी भाषा में जो हमारे समय के हिसाब से ज़्यादा सुलभ है।" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह सुलभता दुनियाभर के लोगों के लिए आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व लाती है, भले ही वे शारीरिक रूप से रोम न जा सकें।

साझा मूल्यों पर निर्माण
स्मिथ ने इस साझेदारी के व्यापक महत्व पर भी जोर दिया, इसे इस बात का प्रदर्शन मानते हुए कि जब लोग अलग-अलग दृष्टिकोणों से, अलग-अलग विशेषज्ञता के क्षेत्रों से एक आम समस्या पर आते हैं, तो क्या हासिल किया जा सकता है।

उन्हें उम्मीद है कि यह सहयोग की शक्ति पर चिंतन को प्रेरित करेगा, खासकर, ऐसे समय में जब मतभेदों के बीच गहरी समझ की आवश्यकता होती है।

विश्वास और तकनीकी
स्मिथ ने सहमति जताई कि यह परियोजना विश्वास को आगे बढ़ाने और अपने खजाने को पहले से अकल्पनीय तरीकों से सुलभ बनाने के साधन के रूप में नई तकनीक को अपनाने की वाटिकन की इच्छा को उजागर करती है।

इस चिंता को संबोधित करते हुए कि एआई जैसी नई तकनीक विश्वास के साथ टकराव कर सकती हैं, उन्होंने कहा "अक्सर, कोई यह मान सकता है कि नई तकनीक धर्म या आस्था के साथ तनाव में है," लेकिन यह परियोजना दिखाती है कि इस तनाव को समेटने का एक तरीका है। यह इसे इस तरह से लेता है कि तनाव खत्म हो जाता है और "लोगों को उनकी कल्पना से कहीं बड़ा कुछ करने का अवसर मिलता है।"