संत पापा ने यूखारिस्तीय बलिदान से सिनोड की शुरूआत
संत पापा फ्रांसिस 02 अक्टूबर को धर्मध्यक्षों की धर्मसभा की दूसरी सत्र का उद्घाटन मिस्सा वाटिकन के संत पेत्रुस महागिरजा के प्रांगण में अर्पित किया।
संत पापा ने अपने प्रवचन में कहा कि हम पवित्र रक्षकदूतों की यादगारी की धर्मविधि का मिस्सा बलिदान अर्पित करते हुए धर्माध्यक्षों की धर्मसभा के पुनःउद्घाटन कर रहे हैं। ईश्वर वचन को सुनने के बाद आइए हम तीन चिन्हों- आवाज, शरण और एक बालक पर चिंतन करें।
आवाज पर चिंतन करते हुए संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि प्रतिज्ञात देश के मार्ग में ईश्वर अपनी प्रजा को स्वर्गदूत की आवाज सुनने का आहृवान करते हैं जिसे उन्होंने भेजा था। यह चिन्ह हमारे लिए महत्वपूर्ण है। धर्मसभा के मार्ग में आगे बढ़ने के क्रम में, ईश्वर इतिहास, सपनों और एक बड़ी ईश प्रजा को हमारे हाथों में रखते हैं। वे हमारे भाई-बहनें हैं जो विश्व के भिन्न स्थानों में बिखरते हुए हैं जो हमारे संग एक ही विश्वास और पवित्रता की चाह के प्रेरित हैं। उनके संग और उनके लिए, हम उस मार्ग को समझने की कोशिश करें जहाँ पहुंचने की चाह येसु हम सभों से रखते हैं। लेकिन हम कैसे “स्वर्गदूत की आवाज” को सुन सकते हैंॽ
ईश्वर की वाणी सुनें
हम ऐसा एक तरह से प्रार्थना और ईश वचन के प्रकाश में उन सारी बातों को आदर और सजगता में ग्रहण करते हुए कहते हैं जिन्हें विगत तीन सालों से संग्रहित किया गया है। ये हमारे लिए वर्षों के गहन कार्य हैं जिसे हमने वार्ता और विचारों को साझा करते हुए, निरंतरता में पवित्र मन और हृदयों से किया है। पवित्र आत्मा की सहायता में हम इन वाणियों को सुनें और समझें- अर्थात विचारों, आशाओं और सुझावों को जिससे हम एक साथ मिलकर उन बातों की आत्म-परख कर सकें जिसे ईश्वर कलीसिया के लिए कहते हैं। संत पापा ने कहा कि हमने इस बात को बारंबार दुहराया है कि हम संसद भवन की तरह नहीं हैं बल्कि एकता में सुनने हेतु एक स्थल जिसके बारे में संत ग्रेगोरी महान कहते हैं, “किसी एक के पास जो बातें अधूरी हैं वह दूसरों में पूरी होती हैं, और यद्यपि कुछ के पास विशेष उपहार हैं, “पवित्र आत्मा के प्रेम” में हर चीज का सहभागी हर कोई होता है।”
कृतज्ञता और नम्रता सुनने की शैली
इसके लिए हमें चाहिए कि हम अपने को उन हर चीजों से मुक्त करें जो “पवित्र आत्मा के प्रेम” में रोड़ा उत्पन्न करती हैं जिससे भिन्नता में एकता उत्पन्न हो सके। वे जो अपने घंमड में विशेष रुप में ईश्वर की बातों को सुनने की बात कहते हैं वे उसे नहीं सुनते हैं। हर शब्द को हमें कृतज्ञता और नम्रता में सुनने की आवश्यकता है जो यह घ्वनित करता है कि ईश्वर ने हमारे भाई-बहनों के लिए अच्छी चीजें प्रदान की हैं। हम इस बात के लिए सतर्क रहें कि हम उन बातों का बचाव हर कीमत में करने या थोपने की कोशिश नहीं करते हैं। संत पापा ने कहा कि मैं आशा करता हूँ हम अपनी ओर से जहाँ तब बन पड़े सहयोग करने की कोशिश करेंगे, त्याग करने को तैयार रहें जिससे ईश्वरीय योजना के अनुरूप जीवन हेतु नये बातें उभर कर आए। ऐसा नहीं होने से हम, हमारी वार्ता बहरों से होने लगेगी, जहाँ प्रतिभागी अपनी बातों या योजना पर बिना सुनें कार्य करते जायेंगे, यहाँ तक की ईश्वर की आवाज को सुनें बिना भी।।
समस्याओं का समाधान ईश्वर के पास
हमारी समस्याओं का समाधान हमारे पास नहीं है लेकिन ईश्वर के पास जरुर है। हम इस बात को याद रखें कि हम मरूभूमि में अपनी ध्यान नहीं भटका सकते हैं। यदि आप अपने निर्देशक की बातों से दूर हो जाते, अपने को आत्म-निर्भर सोचते, तो आप भूखे-प्यासे मरेंगे ही दूसरों को भी ले डूबेंगे। अतः हम ईश्वर और उसके दूत की आवाज सुनें जिससे हम सुरक्षित आगे बढ़ सकें, अपनी कमजोरियों और मुश्किलों से ऊपर उठ सकें।
पंखों का महत्व
यह हमें दूसरे शब्द शरण की ओर लेकर आता है जो पंखों के द्वारा प्रकट किया गया है जहाँ हम सुरक्षा को पाते हैं। पंखों को हम शक्तिशाली साधन के रुप में पाते हैं जो शरीर को धरती से ऊपर उठता है। इसका उपयोग एकत्रित करने के लिए किया जाता है जहाँ घोंसले में हम छोटे बच्चों के लिए गर्मी और सुरक्षा को हम पाते हैं।
यह हमारे लिए ईश्वर के कार्य को व्यक्त करता है, एक शैली जिसका अनुसरण हमें करने की जरुरत है विशेष कर इन दिनों जब हम एक साथ मिलते हैं। हमारे बीच में बहुत सारे लोग हैं जो बहुत-सी बातों में सक्षम और कई रुपों में शक्तिशाली हैं। यह हमारे लिए एक बहुत बड़ी फायदे की बात है। यह हमें चुनौती प्रदान करती और हमें खुले रुप में आगे बढ़ने को मदद करती है। यह हमें चुनौतियों और मुश्किल की स्थितियों में भी विश्वास में सुद्ढ बनें रहने को मदद करती है। हृदय का खुला होना, वार्ता करना है। अपने में बंद होना ईश्वर की आत्मा का कार्य नहीं है। ये सारे उपहार हमें एक-दूसरें का आलिंगन करने हेतु मदद करना चाहिए जैसे कि संत पापा पौल छवें इसे “एक निवास... भाई-बहनों के लिए, गहन कार्य स्थल, आध्यात्मिकता का उच्च स्थल” की संज्ञा देते हैं।
एक परिस्थिति जहाँ हम लोगों को प्यार और सम्मान देते उन्हें अपनी बातों को सहज, स्वभाविक और स्वतंत्र रुप में अपने विचारों को व्यक्त करने में मदद करती है।