पोप फ्राँसिस : गिरजाघर हमारे हृदयों को ईश्वर की स्तुति हेतु प्रेरित करें
पोप फ्राँसिस ने शनिवार को बरसेलोना में पवित्र परिवार को समर्पित महागिरजाघर के “निर्माण बोर्ड" के सदस्यों से वाटिकन में मुलाकात की तथा उन्हें तीर्थयात्रियों को अपना हृदय ईश्वर की ओर उठाने में मदद करने हेतु आमंत्रित किया।
इस बात को याद करते हुए कि गिरजाघर, प्रार्थना के लिए एक उपयुक्त स्थान हैं पोप ने कहा, “इस साल को मैंने... प्रार्थना के लिए समर्पित किया है, ताकि हम जुबली वर्ष 2025 की तैयारी कर सकें।”
“यह महत्वपूर्ण है कि ईश मंदिरों में प्रार्थनामय वातारण नहीं खोया है और इसलिए यह आप जैसे उन लोगों की प्राथमिकताओं में से एक होना चाहिए, जिन्हें इसकी देखभाल की जिम्मेदारी मिली है।”
महागिरजाघर पर गौर करते हुए पोप ने कहा, “निश्चित रूप से आपने देखा होगा कि पवित्र परिवार के महागिरजाघर की संरचना इस प्रकार की गई है कि प्रत्येक बरामदे में एक विषयवस्तु है, जिसे धर्मग्रंथ के अंशों द्वारा चित्रित और एक प्रार्थना द्वारा तैयार किया गया है। इस प्रकार पहला द्वार, विश्वास का, हमें पंडितों को उपदेश देते येसु की तस्वीर के पीछे, पवित्र त्रित्व को दिखाता है।"
मुख्य द्वार, प्रेम का द्वार है, जिसका मुख्य चित्र पवित्र परिवार का है, हमें निमंत्रण देता है कि हम अपनी नजर शरीरधारण की ओर उठायें।” पोप ने रोजरी के चित्र पर ध्यान दिया जो ग्लास के माध्यम से उतरती है और डेविड के सितारे को फ्रेम करती है, मानो कह रही हो: "हमारा प्रकाश यहाँ है।"
पोप ने कहा कि आराधना और रहस्यों पर चिंतनशील प्रार्थना ही है जहांँ हम खुद को उस प्रकाश के लिए खोलते हैं, जैसे इस मंदिर की खिड़की है।
अंत में, पोप फ्राँसिस ने महागिरजाघर के निर्माण की देखरेख करनेवाले पुरुषों और महिलाओं से ईश्वर के सेवक अंतोनियो गौडी की उत्कृष्ट कृति के चिंतनशील पहलू को सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा, प्रार्थना ही पवित्र परिवार महागिरजाघर का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए। जहाँ से तीर्थयात्री शिखर और घंटी टावरों की तरह, अपनी निगाहें ऊपर उठायें और उनकी आवाजें स्वर्गदूतों के साथ उद्घोषणा करें: "हे ईश्वर, तू परमपवित्र है, सर्व शक्तिमान और अमर है।"