सन्त जॉन बपतिस्ता पर कार्डिनल कानातालामेस्सा का चिन्तन

वाटिकन में आगमन कालीस साधना के अवसर पर शुक्रवार को कार्डिनल रानियेरी कान्तालामेस्सा ने प्रचारक सन्त योहन बपतिस्ता की भूमिका पर चिन्तन करते हुए कहा कि येसु मसीह के आगमन की घोषणा करनेवाले योहन बपतिस्ता ने हम मनुष्यों से मनपरिवर्तन द्वारा प्रभु येसु के जन्म के लिये तैयार होने का आह्वान किया था।

कार्डिनल कान्तालामेस्सा ने कहा कि योहन बपतिस्ता ही प्रथम प्रचारक एवं ख्रीस्तीय धर्म के प्रथम नबी थे, जिन्होंने ईशराज्य के आगमन की घोषणा प्रभु येसु मसीह के आगमन से पूर्व की थी।  

सन्त लूकस रचित सुसमाचार का उल्लेख करते हुए कार्डिनल महोदय ने कहा कि बपतिस्मा लेने के लिये निकले जनसमुदाय से सन्त योहन ने कहा था, “हे सांप के बच्चों! तुम्हें आने वाले क्रोध से भागने की चेतावनी किसने दी? अपने पश्चाताप के प्रमाण के रूप में अच्छे फल लाओ... जनसमुदाय ने जब उनसे पूछा "फिर हमें क्या करना चाहिए?" तो उन्होंने उत्तर में उनसे कहा, “जिसके पास दो कुरते हों, वह उस व्यक्ति से बाँट ले जिसके पास एक भी नहीं। और जिसके पास भोजन हो वह वैसा ही करे।” नाकेदार भी बपतिस्मा लेने आए, और उन्होंने उनसे कहा, “हे गुरू, हमें क्या करना चाहिए?” उन्होंने उन्हें उत्तर दिया, "जितना निर्धारित है उससे अधिक एकत्र करना बंद करो।" सैनिकों ने भी उनसे पूछा, “और हमें क्या करना चाहिए?” तब उन्होंने उनसे कहा, “जबरन वसूली मत करो, किसी पर झूठा दोष मत लगाओ, और अपनी मज़दूरी से संतुष्ट रहो।”

कार्डिनल ने कहा कि इस बिंदु पर सुसमाचार हमें यह देखने की अनुमति देते हैं कि योहन बपतिस्ता के उपदेश और येसु मसीह के उपदेश में क्या अंतर है। प्रभु येसु के शब्दों में गुणवत्ता की झलक मिलती है, जबकि योहन बपतिस्ता सीधे कठोर शब्दों में लोगों से मनपरिवर्तन का आह्वान करते हैं। इस विषय में सन्त लूकस रचित सुसमचार में हम पढ़ते हैं, "योहन तक संहिता अथवा कानून और नबियों का समय था। उसके बाद ईश्वर के राज्य का सुसमाचार सुनाया जाता है।"

कार्डिनल कान्तालामेस्सा ने कहा कि हमें कानून और सुसमाचार के बीच सरल विरोधाभासों से बचना चाहिए। इसलिये कि प्रभु येसु स्वयं कहते हैं: "आकाश और पृथ्वी टल जायें, तो टल जायें, परन्तु संहिता की एक मात्रा भी नहीं टल सकती" (लूकस16:17)। उन्होंने कहा कि सुसमाचार संहिता अथवा कानून अर्थात् ईश आज्ञाओं को समाप्त नहीं करता है; बल्कि सुसमचार संहिता के साथ एक नए और अलग रिश्ते का उद्घाटन करता है।

उन्होंने कहा कि आज्ञा और उपहार के बीच जो क्रम है, वह संहिता और अनुग्रह के बीच का क्रम है। योहन बपतिस्ता के उपदेश के आधार पर मनुष्यों को यह सन्देश मिला कि वे पश्चाताप करें और इस प्रकार ईशराज्य उनके पास आयेगा, जबकि प्रभु येसु का कथन है, "पश्चाताप करो क्योंकि ईश्वर का राज्य तुम्हारे पास आ गया है, वह तुम्हारे बीच में है!"

कार्डिनल कान्तालामेस्सा ने कहा कि इसका अर्थ यह है कि आज्ञाओं का पालन ईश्वर के राज्य को आने की अनुमति नहीं देता; बल्कि  ईश राज्य का आगमन आज्ञाओं के पालन की अनुमति देता है। उन्होंने कहा कि ईश्वर ने समय पूरा होने पर अपने इकलौते पुत्र को भेजा, और इस प्रकार मनुष्यों को पश्चाताप कर मनपरिवर्तन करने और एक नया जीवन जीने की संभावना दी। "क्योंकि संहिता तो मूसा के द्वारा दी गई, परन्तु अनुग्रह येसु मसीह की ओर से हमें मिला है।"