पोप: एकता ईश्वर से आती है
पोप फ्रांसिस ने येसु के पवित्र हृदय (देहोनियन) धर्मसमाजी पुरोहितों के प्रतिनिधियों से भेंट की जो रोम में अपनी 25वीं आमसभा में सहभागी हो रहे थे।
देहोनियम धर्मसमाज की 25वीं आमसभा में भाग ले रहे प्रतिभागियों को अपने संदेश में पोप फ्रांसिस ने कहा कि ख्रीस्त के हृदय की धड़कन आपके दिन को लय में रखे, आप के स्वर को नियंत्रित करे और करूणा के कार्य हेतु आपको उत्साह से भर दे।
एकता ईश्वर का कार्य है
धर्मसभा की विषयवस्तु- बदली दुनिया में एक होने हेतु निमंत्रण, जिससे विश्व विश्वास कर सकें, पर ध्यान क्रेन्दित करते हुए संत पापा ने धर्मसभा के प्रतिभागियों से कहा कि येसु ने अपने जीवन अंतिम घड़ी में एकता हेतु प्रार्थना की। संत पापा ने कहा कि यह एक परियोजना की भांति नहीं था और न ही एक लक्ष्य के रुप में, बल्कि येसु ने अपने पिता से इसकी मांग एक उपहार के रुप में की। “एकता हमारा कार्य नहीं है हम इसे स्वयं अ पने में हासिल नहीं कर सकते है। हम अपना कार्य कर सकते हैं लेकिन हमें इसके लिए ईश्वर से मदद की जरुरत है।”
एकता हासिल के माध्यम
उन्होंने कहा कि हम जितना ईश्वर से संयुक्त रहते उतना निकट हम एक दूसरे के आते हैं। इस एकता को हासिल करने हेतु पोप ने धर्मसमाजियों को संस्कारीय जीवन, ईशवचन पर चिंतन, व्यक्तिगत और सामुदायिक प्रार्थना और आराधना पर ध्यान देने का आहृवान किया, जिससे वे व्यक्तिगत और भातृत्व में बढ़ते हुए “कलीसिया की सेवा” कर सकें।
येसु की धड़कन
एकता पर बल देते हुए पोप ने कहा कि आपके निवास में प्रार्थनालय, नम्रता और दीनता में सदैव प्रार्थना का स्थल बने जिससे आपका हृदय ख्रीस्त की धड़कन में लयमय रहे, आप के वचन उनमें संचालित हों और आप कारूणा के कार्य हेतु सदैव उत्साहित रहें। “येसु का हृदय सदैव अनंत प्रेम से धड़कता है जो हमारे लिए शांति, एकता, उत्साह का कारण बनता है विशेषकर जीवन की कठिन परिस्थितियों में।” इसके लिए हमें चाहिए कि हम उन्हें निष्ठा और निरंतरता में स्थान दें, हम व्यर्थ की बातों और विचारों से मुक्त होते हुए सारी चीजों को उनके पास लायें।
प्रार्थना की महत्ता
पोप ने कहा, “हमें प्रार्थना करने की जरुरत है, हम इस बात को याद रखें कि इसके बिना हम न तो अपने धर्मसंघी जीवन और प्रेरिताई में ही विकास करते और न ही दृढ़ता में बने रहते हैं। प्रार्थना के बिना कुछ भी संभव नहीं है।” इसके साथ ही संत पापा ने उन्हें एक-दूसरे के विरूद्ध निंदा-शिकायत करने की कमजोरी से बचे रहने का आहृवान किया।
एकता चुनौती से भरा है
दूसरे बिन्दु, एक होने जिससे विश्व विश्वास करें पर प्रकाश डालते हुए संत पापा ने कहा कि यह हमारे लिए एक चुनौतीपूर्ण लक्ष्य है जो विभिन्न सवालों को हमारे लिए लाता है। इस जटिल और चुनौती भरी दुनिया में हम अपनी प्रेरिताई को कैसे पूरा करते हैंॽ विभिन्न प्रेरितिक कार्य के मध्य आप एक दुनिया के लिए कुछ अर्थपूर्ण क्या कह सकते हैं जो अपना हृदय खोई हुई हैॽ
प्रेम के शब्द
आदरणीय लियोन गुस्ताव देहोन के चिंतन को व्यक्त करते हुए संत पापा ने कहा कि इसका उत्तर हमें उनके पत्रों में मिलता है जिसमें वे येसु ख्रीस्त के दुःखभोग पर चिंतन करते हुए प्रस्तुत करते हैं। “कोड़े, कांटें, कीलें हमारे मुक्तिदाता के शरीर में लिखे गये प्रेम के शब्द हैं।” उन्होंने कहा कि हम केवल उनके दिव्य लेखों को पढ़ते हुए केवल बाह्य रुप में आनंदित न हों बल्कि यह हमारे हृदय प्रवेश करें जो हमारे लिए चमत्कार लायेगा।
पोप ने कहा कि हम येसु के प्रेम रूपी शब्द को अपने ठोस कार्य में पूरा करें। हम इसे दृढ़ता के साथ, कठोर निर्णयों, परेशान करने वाली समस्याओं और हमारे दिलों को पीड़ा पहुंचाने वाले द्वेष का सामना करते हुए करें। यह हमारे भाई-बहन के प्रति अटूट स्नेह में, मानवता के पापों के लिए प्रायश्चित करने की इच्छा में मुक्तिदाता मसीह के साथ एकजुटता में प्रदर्शित हो। “हम अपने को क्रूसित और पुनर्जीवित येसु के संग एकता में बनाये रखते हुए उस ईश्वर पर पूर्ण विश्वास करें जो किसी को प्रति न्याय नहीं करते हैं।” हमारा ऐसा करना हममें वह शांति लाती है जो हमें दुनिया के सभी तूफानों से बचाये रखती है।
पोप ने कहा कि पूज्यनीय देहोन ने इस तथ्य को समझा और इसका अनुसरण जीवन भर किया जैसे कि हम उनके शब्दों में पाते हैं, “मैं उनके लिए जीया और उनके लिए मरा। वे मेरे सब कुछ हैं, मेरा जीवन, मेरी मृत्यु, मेरा अनंत।”