शहीद सन्त स्टीफन के पर्व पर पोप फ्राँसिस का चिन्तन

क्रिसमस के तुरन्त बाद, पवित्र धर्मविधि ख्रीस्तीय धर्म के सर्वप्रथम शहीद सन्त स्टीफन का पर्व मनाती है। उनपर पत्थरों से प्रहार किये जाने का विवरण हमें प्रेरित चरित ग्रन्थ के जो यह प्रस्तुत करता है कि मरते समय में भी वे अपने हत्यारों के लिए प्रार्थना करते रहे थे।

सन्त स्टीफन के पर्व दिवस के उपलक्ष्य में गुरुवार 26 दिसम्बर को देवदूत प्रार्थना से पूर्व पोप फ्रांसिस ने सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्र तीर्थयात्रियों को इन शब्दों से सम्बोधित कियाः

"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
आप सबको पर्व दिवस की शुभकामनाएँ!

आज, क्रिसमस के तुरन्त बाद, पवित्र धर्मविधि ख्रीस्तीय धर्म के सर्वप्रथम शहीद सन्त स्टीफन का पर्व मनाती है। उनपर पत्थरों से प्रहार किये जाने का विवरण हमें प्रेरित चरित ग्रन्थ के (दे. 6:8-12; 7:54-60) छठवें और सातवें अध्यायों में मिलता है जो यह प्रस्तुत करता है कि मरते समय में भी वे अपने हत्यारों के लिए प्रार्थना करते रहे थे।"

सन्त पापा ने कहा, "सन्त स्टीफन का यह व्यवहार हमें सोचने पर विवश करता है: वस्तुतः, यद्यपि पहली नज़र में स्टीफन असहाय रूप से हिंसा सहते हुए प्रतीत होते हैं, वास्तव में, वे एक सच्चे स्वतंत्र व्यक्ति के रूप में, अपने हत्यारों से भी प्रेम करना जारी रखते हैं और उनके लिए अपना जीवन अर्पित करने के लिये तैयार हो जाते हैं, जैसे क्रूस पर येसु ने किया था (दे. योहन 10:17-18; लूकस 23:34), ताकि वे पश्चाताप करें और क्षमा पाकर अनन्त जीवन प्राप्त करें।"

इस तरह, सन्त पापा ने कहा, "उपयाजक स्तेफनुस हमारे सामने उन प्रभु ईश्वर के साक्षी के रूप में प्रकट होते हैं, जिनकी एक महान इच्छा है: कि “सब मनुष्यों का उद्धार हो” (1 तिमोथी 2:4) और उनमें से एक का भी सर्वनाश न हो (दे. योहन 6:39; 17:1-26)।"

सन्त स्टीफन पिता के साक्षी
सन्त पापा ने कहा कि "सन्त स्टीफन उस पिता के साक्षी हैं जो अपनी प्रत्येक सन्तान के लिए सदैव भला और भला  चाहते हैं; जो किसी का बहिष्कार नहीं करते, जो उनकी तलाश करते कभी थकते नहीं (लूकस 15:3-7) और जब वे भटक जाने के बाद पश्चाताप करते हुए उनके पास लौट आते हैं, तो वे उनका स्वागत करते हैं, जैसा कि सन्त लूकस रचित सुसमाचार के 15 वें अध्याय के 11 से लेकर 32 तक के पदों में निहित उड़ाऊ पुत्र के वृत्तान्त में हम पाते हैं।"  

दुर्भाग्यवश, सन्त पापा ने कहा, "आज भी दुनिया के विभिन्न भागों में ऐसे कई पुरुष और महिलाएँ हैं जिन्हें सुसमाचार के कारण सताया जाता है, कभी-कभी तो उनकी मृत्यु तक हो जाती है। स्टीफन के बारे में हमने जो कहा है, वह उन पर भी लागू होता है। वे न तो अपनी कमज़ोरी के कारण स्वतः को मारे जाने देते हैं, न ही किसी विचारधारा का बचाव करने के लिए, बल्कि वे सभी को प्रभु येसु मसीह से प्राप्त उद्धार के वरदान में भागीदार बनाना चाहते हैं, और वे ऐसा सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण रूप से अपने हत्यारों की भलाई के लिए करते हैं, जिन्हें दूसरों की तुलना में क्षमा और मुक्ति की अधिक आवश्यकता है।"

धन्य क्रिश्चियन डे शेरगे
उन्होंने कहा, "हमारे समय के शहीद धन्य क्रिश्चियन डे शेरगे ने हमारे समक्ष इसका एक सुंदर उदाहरण प्रस्तुत किया है। अपनी आसन्न मृत्यु को दृष्टिगत रखते हुए उन्होंने अपनी आध्यात्मिक वसीयत में, अपने भावी हत्यारे को "अंतिम क्षण का मित्र" कहा और उसके प्रति यह इच्छा व्यक्त की: "यदि यह हमारे पिता ईश्वर को प्रसन्न है तो प्रभु ऐसा करें कि हम दोनों, धन्य चोर, स्वर्ग में फिर से एक दूसरे से मिलें" (आध्यात्मिक नियम, अल्जीयर्स - तिबिहरीन, 1993-1994)।"

सन्त पापा ने तीर्थयात्रियों को सम्बोधित कर कहा कि वे इस तथ्य को समझें कि यह सोचकर कि कौन उन्हें  मारेगा, "उन्होंने उसे ‘मित्र’ और ‘भाई’ कहा और स्वर्ग में उसे अपने साथ रखने की कामना की। यही है ईश्वर का प्रेम, वह प्रेम जो संसार को बचाता है! हमें इस प्रेम की कितनी आवश्यकता है! तो फिर, आइए हम खुद से पूछें: क्या मैं चाहता हूँ कि सभी लोग ईश्वर को जानें और बचाए जाएँ? क्या मैं उन लोगों का भी भला चाहता हूँ जो मुझे कष्ट देते हैं? क्या मैं उन कई भाइयों और बहनों में दिलचस्पी लेता हूँ और उनके लिए प्रार्थना करता हूँ जो अपने विश्वास के कारण सताए जाते हैं?"

फिर, सन्त पापा फ्राँसिस ने प्रार्थना की, "शहीदों की रानी, ​​ माता मरियम, हमें विश्व के उद्धार के लिए सुसमाचार के साहसी गवाह बनने में सहायता करें।" इन शब्दों से शहीद सन्त स्टीफन पर अपना चिन्तन समाप्त कर सन्त पापा फ्राँसिस उपस्थित तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।