विश्व खाद्य दिवस : पोप की नेताओं से अपील, खाद्य श्रृंखला में आखरी लोगों की सुनें
विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर पोप फ्राँसिस ने कहा कि आर्थिक नेताओं को खाद्य श्रृंखला के अंतिम छोर पर रहनेवालों की मांगों को सुनना चाहिए। और एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने सैन्य खर्च की निंदा की और भूख से लड़ने के लिए निवेश का आह्वान किया।
पोप फ्राँसिस ने बुधवार सुबह विश्व खाद्य दिवस 2024 के अवसर पर एक पोस्ट में कहा, "युद्ध मानवता में सबसे निकृष्टतम बुराइयों को सामने लाता है: स्वार्थ, हिंसा और बेईमानी।" उन्होंने कहा, "आइए हम हथियारों को गले लगाने वाली तर्क-पद्धति को अस्वीकार करें और इसके बजाय भूख और स्वास्थ्य सेवा एवं शिक्षा की कमी से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर सैन्य व्यय को निवेश में बदल दें।"
जैसा कि वे आमतौर पर इस वार्षिक आयोजन में करते हैं, उन्होंने रोम स्थित खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) को भी एक संदेश दिया, जिसमें उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक नेताओं से अपील की कि वे “खाद्य श्रृंखला के अंतिम छोर पर रहनेवाले लोगों, जैसे छोटे किसानों, और परिवारों जैसे मध्यस्थ सामाजिक समूहों की मांगों को सुनें, जो लोगों को भोजन उपलब्ध कराने में सीधे तौर पर शामिल हैं।”
संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठनों और निकायों में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष किका अरेलानो द्वारा पढ़े गए संदेश में, पोप ने इस वर्ष विश्व दिवस के लिए चुने गए विषय - "बेहतर जीवन और बेहतर भविष्य के लिए खाद्य पदार्थों का अधिकार" पर चिंतन किया - और कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रत्येक व्यक्ति को पौष्टिक और किफायती भोजन तक पहुंच हो, एकजुटता, न्याय और खाद्य प्रणालियों में परिवर्तन की आवश्यकता है।
उन्होंने लिखा, "यह एक प्राथमिकता है, क्योंकि यह मनुष्य की बुनियादी ज़रूरतों में से एक को पूरा करता है: पर्याप्त गुणात्मक और मात्रात्मक मानकों के अनुसार खुद को खिलाना।" उन्होंने कहा, इसके बावजूद, "हम अक्सर इस अधिकार को कमतर आँकते और अन्यायपूर्ण तरीके से लागू होते देखते हैं, जिसके हानिकारक परिणाम होते हैं।" संत पापा ने अपने संदेश में हाशिए पर पड़े लोगों की आवाज़ सुनने, "खाद्य श्रृंखला के अंतिम छोर" पर रहने वालों की जरूरतों पर अधिक ध्यान देने का आह्वान किया।
उन्होंने निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में इन समूहों को शामिल करने के महत्व पर बल दिया, विशेष रूप से खाद्य नीतियों और कार्यक्रमों को डिजाइन करते समय, और कहा कि "नीचे से आनेवाली वास्तविक जरूरतों; श्रमिकों, किसानों, गरीबों, भूखों और अलग-थलग रहनेवाले ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।"
पोप फ्राँसिस ने वैश्विक नेताओं को याद दिलाते हुए कि न्याय और भाईचारे को उनके प्रयासों का मार्गदर्शन करना चाहिए, कहा कि कार्रवाई का यह आह्वान येसु मसीह की सुसमाचारी शिक्षा पर आधारित है: "दूसरों से अपने प्रति जैसा व्यवहार चाहते हो, तुम भी उनके प्रति वैसा ही किया करो।" (मत्ती 7:12)
खाद्य प्रणालियों का परिवर्तन
पोप फ्राँसिस ने खाद्य प्रणालियों को बदलने के लिए एफएओ की पहल की प्रशंसा की, खाद्य उत्पादन में स्थिरता, समावेशिता और विविधता की ओर बदलाव का आग्रह किया, और उन्होंने एक व्यापक दृष्टिकोण का आह्वान किया जो न केवल आर्थिक और पर्यावरणीय कारकों पर विचार करता बल्कि खुद को पोषित करने के सामाजिक और सांस्कृतिक आयामों को भी महत्व देता है।
उन्होंने यह सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर दिया कि खाद्य प्रणालियाँ "पौष्टिक, किफायती, स्वस्थ और टिकाऊ खाद्य पदार्थों की बहुलता और विविधता" प्रदान करें ताकि वैश्विक खाद्य सुरक्षा और सभी के लिए स्वस्थ आहार प्राप्त किया जा सके।
समग्र पारिस्थितिकी और मानव गरिमा
पोप फ्राँसिस ने समग्र पारिस्थितिकी के महत्व को दोहराया और कहा कि खाद्य संकट का समाधान पर्यावरण की रक्षा और हर इंसान की गरिमा को बनाए रखने के साथ सामंजस्य में किया जाना चाहिए।
उन्होंने लिखा, "हमारे ग्रह, जिसको ईश्वर ने हमें दिया है, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए खुला एक बगीचा होना चाहिए।" उन्होंने आगे कहा कि भूख के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए नैतिक प्रतिबद्धता की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, "केवल न्याय के आदर्श को अपने कार्यों के मार्गदर्शक के रूप में अपनाकर ही हम लोगों की जरूरतों को पूरा कर सकते हैं।"
कलीसिया की प्रतिबद्धता
अंत में, पोप ने भूख और गरीबी को मिटाने के लिए कलीसिया के समर्पण की पुष्टि की और सभी के लिए भोजन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एफएओ और अन्य वैश्विक प्रयासों के लिए वाटिकन के समर्थन को व्यक्त किया।
उन्होंने कहा, "कलीसिया दृढ़ता से योगदान देना जारी रखेगा ताकि सभी को मात्रा और गुणवत्ता दोनों में पर्याप्त भोजन मिल सके," उन्होंने इस महान उद्देश्य के लिए काम करनेवाले सभी लोगों पर ईश्वर के आशीर्वाद का आह्वान किया।