मेजोगोरे युवा मिलन उत्सव से पोप : कोई भी अकेला नहीं चलता

पोप लियो 14वें ने मेजोगोरे में 36वें अंतरराष्ट्रीय युवा उत्सव के लिए एकत्रित युवाओं से कहा कि वे “एक साथ चलें, एक दूसरे का सहयोग करें और एक दूसरे को प्रेरित करें।”
मेजोगोरे में 36वें अंतरराष्ट्रीय युवा उत्सव के लिए एकत्रित हजारों युवाओं से पोप लियो 14वें ने अपील की है कि वे सच्चा मानवीय जुड़ाव की खोज करते हुए धन्य कुँवारी मरियम के आदर्शों पर चलें।
युवा उत्सव बोसिन्या और हेरजेगोविना के मेजोगोरे मरियम तीर्थस्थल पर युवा उत्सव इस साल 4 से 8 अगस्त तक आयोजित है जो दुनियाभर से हजारों युवाओं को आकर्षित करता है।
पोप लियो ने कहा कि इस वर्ष इस उत्सव की विषयवस्तु है, "आओ! हम ईश्वर के मन्दिर चलें।" (स्तोत्र 122:1)
उन्होंने इसे "एक ऐसी यात्रा, एक ऐसी लालसा का प्रतीक बताया जो हमें ईश्वर की ओर, उनके निवास स्थान की ओर ले जाती है, जहाँ हम सचमुच घर जैसा महसूस कर सकते हैं—क्योंकि यहीं उनका प्रेम हमारी प्रतीक्षा कर रहा है।"
येसु, एकमात्र सच्चे मार्ग
पोप ने प्रश्न किया, "हम अपना रास्ता खोए बिना प्रभु के घर की ओर कैसे चल सकते हैं?" उत्तर में, उन्होंने येसु के ही शब्दों का हवाला दिया: "मार्ग मैं ही हूँ।" (यो.14:6)।
उन्होंने कहा, "स्वयं मसीह हमारे साथ चलते हैं, हमारा मार्गदर्शन करते, और हमें रास्ते पर मजबूती देते हैं।" "उनकी आत्मा हमारी आँखें खोलती और हमें वह देखने में मदद करती है जिसको हम खुद से कभी नहीं समझ सकते।"
पोप लियो ने जोर दिया, जीवन पथ पर, "कोई भी अकेला नहीं चलता।" हमारे मार्ग हमेशा दूसरों के मार्गों से जुड़े होते हैं। उन्होंने कहा, "हम मुलाकात करने, साथ चलने, और एक साझा लक्ष्य की खोज के लिए बने हैं।"
संत अगुस्टीन के चिंतन को लेते हुए पोप ने जोर दिया कि प्रभु का घर कोई दूर का लक्ष्य नहीं है, बल्कि एक साझा यात्रा का आनंद है—एक तीर्थयात्री के रूप में वे एक-दूसरे से कहते हैं: "आओ चलें, चलो चलें!" और ऐसा करते हुए, "वे एक-दूसरे को सुलगाते हैं और एक ज्वाला बन जाते हैं। एक ऐसी ज्वाला, जो उन लोगों से उत्पन्न होती है जो अपने भीतर की ज्वाला को साझा करते हैं, आगे का मार्ग रोशन करती है।"
पोप लियो ने दोहराया, "कोई भी अकेला नहीं चलता। हम एक-दूसरे को प्रोत्साहित करते हैं। हम एक-दूसरे को प्रज्वलित करते हैं। हमारे हृदय की ज्वालाएँ मिलकर एक महान अग्नि बन जाती हैं जो आगे का मार्ग रोशन करती हैं। आप भी, प्रिय युवाओ, अकेले तीर्थयात्री नहीं हैं। यह मार्ग प्रभु की ओर जानेवाला, वह है जिस पर हम साथ-साथ चल रहे हैं। यही कलीसिया में जीए गए विश्वास की सुंदरता है।"
कुँवारी मरियम की छवि में
पोप ने कहा, "इन दैनिक मुलाकातों के जरिए, हम प्रभु के घर की तीर्थयात्रा पर साथ-साथ चल सकते हैं।" लेकिन एक ऐसी दुनिया में जो तेज़ी से वैश्वीकृत हो रही है और कृत्रिम बुद्धिमत्ता व डिजिटल तकनीक से प्रभावित है, पोप लियो ने एक कड़ा संदेश दिया:
"याद रखें: कोई भी एल्गोरिथ्म (कंप्यूटर प्रोग्राम में एल्गोरिदम का उपयोग गणनाएँ करने या डाटा को प्रोसेस करने के लिए किया जाता है।) आलिंगन, नजर, या सच्ची मुलाकात की जगह नहीं ले सकता—न ईश्वर से, न अपने दोस्तों से, न अपने परिवारों से।"
उन्होंने आग्रह किया, "कुँवारी मरियम के बारे सोचें।"
पोप ने याद किया कि कुँवारी मरियम भी अपनी चचेरी बहन एलिज़ाबेथ से मिलने के लिए एक कठिन यात्रा पर निकली थीं। उन्होंने कहा, "यह आसान नहीं था, लेकिन वे गईं—और उस मुलाक़ात से उन्हें खुशी मिली। योहन बपतिस्ता अपनी माँ के गर्भ में ही उछल पड़े, और मरियम में प्रभु की जीवंत उपस्थिति को पहचान लिया।"
मरियम के उदाहरण का अनुसरण करते हुए, पोप ने युवाओं को वास्तविक जुड़ाव की तलाश करने के लिए प्रोत्साहित किया: "एक साथ आनंद मनाएँ, और रोने वालों के साथ रोने से नहीं घबरायें।"
विश्वास एवं प्रेम की भाषा
एक ऐसी दुनिया में जो सांस्कृति एवं भाषाई विवधता के प्रभावित है पोप लियो ने युवाओं को प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा, क्योंकि "किसी भी बाधा से ज्यादा मजबूत एक भाषा है: ईश्वर के प्रेम से पोषित विश्वास की भाषा।"
उन्होंने उत्सव के प्रतिभागियों को याद दिलाया कि वे सभी "उनके शरीर, कलीसिया के सदस्य" हैं। इसलिए उनका निमंत्रण है: "एक-दूसरे से मिलें, एक-दूसरे को जानें, एक दूसरे से बातचीत करें। साथ-साथ चलने, एक-दूसरे का समर्थन करने और एक-दूसरे को प्रेरित करने से ही हम प्रभु के घर पहुँच पाएँगे।"