पोप : स्वर्गीय रोटी, येसु का स्वागत करें
पोप फ्रांसिस ने अपने रविवारीय देवदूत प्रार्थना में जीवन की रोटी, येसु ख्रीस्त के प्रति दो मनोभावओं, आश्चर्य और कृतज्ञता पर चिंतन किया।
पोप फ्रांसिस ने अपने रविवार देवदूत प्रार्थना के पूर्व वाटिकन, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित सभी विश्वासियों एवं तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, शुभ रविवार।
आज का सुसमाचार हमारे लिए येसु के वचनों को घोषित करते हुए कहता है, “स्वर्ग से उतरी हुई जीवन की रोटी मैं हूँ।” भीड़ के सामने ईश पुत्र अपने को साधरण और जनसामान्य के लिए रोटी के रुप में प्रकट करते हैं। उनके सुनने वालों में से कुछ लोग इसके बारे में टीका-टिप्पणी करने लगते हैं, “वह अपना मांस हमें कैसे खाने को दे सकता है?” आज भी हम इसके बारे में अपने में सवाल करते हैं, लेकिन यह आश्चर्य और कृतज्ञता में होता है। हम इन दो मनोभावओं पर चिंतन करें।
आश्चर्य
आश्चर्य पर चिंतन करते हुए पोप फ्रांसिस ने कहा कि येसु ख्रीस्त के वाक्य मुझे आश्चर्यचकित करते हैं। स्वर्ग की रोटी एक उपहार है जो हमारी सारी इच्छाओं के परे जाती है। वे जो येसु को नहीं समझते वे उनके ऊपर संदेह करते हैं- यह अपने में असंभव है, यहाँ तक की यह अमानवीय भी है, कोई किसी व्यक्ति के मांस और रक्त को कैसे खा सकता है। मांस और रक्त यद्यपि मुक्तिदाता येसु ख्रीस्त के मानवता की निशानी हैं, उनका जीवन जो हमारे लिए पोषण स्वरुप दिया जाता है।
कृतज्ञता के भाव
यह हमें दूसरे मनोभाव कृतज्ञता की ओर लेकर आती है, क्योंकि हम येसु ख्रीस्त को पहचानते हैं जहाँ वे अपने को हमारे लिए और हमारे साथ उपस्थित रखते हैं। “जो मेरा मांस खाता और मेरा रक्त पीता है वह मुझमें और मैं उसमें निवास करता हूँ।” येसु ख्रीस्त, जो सच्चे मानव हैं इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि किसी को जीवित रहने के लिए खाने की जरुरत है। लेकिन वे इस बात को भी जानते हैं यह अपने को काफी नहीं है। भौतिक रोटियों के चमत्कार उपरांत वे उससे भी बड़े उपहार को हमारे लिए तैयार करते हैं- वे स्वयं हमारे लिए सच्चा भोजन और सच्चा पेय बनते हैं। इसके लिए हम प्रभु येसु ख्रीस्त का धन्यवाद करते हैं।
स्वर्गीय रोटी जो हमारे लिए पिता की ओर से आती है, हमारे लिए शरीरधारी पुत्र है। यह रोटी हमारे लिए जरुरी है क्योंकि यह हमारी आशा की तृप्ति करती है, सत्य की भूख को मिटाती है और मुक्ति की चाह को पूरा करती है जिसका अनुभव हम अपने पेट में नहीं बल्कि हृदयों में करते हैं।
येसु की चिंता
येसु हमारी सबसे बड़ी आवश्यकता की चिंता करते हैं। वे हमें बचाते हैं, वे अपने जीवन के द्वारा सदैव हमारा पोषण करते हैं और वे हमारे लिए सदा ऐसा करेंगे। हम उनके प्रति कृतज्ञता के भाव प्रकट करें जिसकी सहायता से हम ईश्वर के संग और एक दूसरे के साथ एकता में बने रह सकते हैं। जीवित और सच्ची रोटी अतः अपने में कोई चमत्कारिक चीज नहीं जो एकाएक हमारी सारी समस्याओं का समाधान करती हो, लेकिन यह येसु ख्रीस्त का वास्ताविक शरीर है जो गरीबों को आशा प्रदान करती और उनके अहम पर विजय होते हैं जो स्वयं के घमंड के कारण अपने को हानि पहुंचाते हैं।
करूणा का चमत्कार
पोप फ्रांसिस ने कहा अतः हम स्वयं से पूछें कि क्या मैं सिर्फ अपनी मुक्ति के लिए भूखा और प्यासा हूँ या अपने भाई और बहनों की मुक्ति की भी चाह रखता हूँ?। जब मैं परमप्रसाद ग्रहण करता हूँ, करूणा जो चमत्कार है, क्या मैं येसु के शरीर के सामने आश्चर्य में खड़ा होता हूँ, जो मरे और हमारे लिए जी उठे?
हम सब मिलकर कुंवारी मरियम से निवेदन करें कि वे हमें स्वर्गीय रोटी का स्वागत करने में मदद करें जो रोटी की निशानी स्वरुप हमारे लिए आते है।