पोप : वाटिकन प्रतिनिधि कलीसिया की शांति की इच्छा की सार्वभौमिकता को मूर्त रूप देते हैं

पोप लियो 14वें ने मंगलवार को विश्वभर के प्रेरितिक राजदूतों एवं प्रतिनिधियों से मुलाकात की, तथा उनसे आग्रह किया कि वे विश्व के प्रति कलीसिया के प्रेम तथा जरूरतमंद लोगों के पक्ष में खड़े होने के लिए हर संभव प्रयास करने की उसकी इच्छा का साक्ष्य दें।

दुनिया भर के प्रेरितिक राजदूतों और पोप के अन्य प्रतिनिधियों ने मंगलवार को वाटिकन में पोप लियो 14वें से मुलाकात की।

जैसा कि अन्य संत पापाओं ने अपने राजनयिक प्रतिनिधियों से अपनी पहली मुलाकात में किया है, पोप लियो ने प्रत्येक को पेत्रुस के उत्तराधिकारी के साथ उनके संबंध का प्रतीक एक अंगूठी भेंट की, जिस पर "सुब उम्ब्रा पेट्री" लिखा हुआ है।

पोप ने अपने संबोधन में कहा, "हमेशा संत पेत्रुस से जुड़े हुए, संत पेत्रुस द्वारा संरक्षित और संत पेत्रुस द्वारा भेजे गए महसूस करें।" "केवल पोप के साथ आज्ञाकारिता और प्रभावी संवाद में ही आपकी प्रेरिताई स्थानीय धर्माध्यक्षों के साथ संवाद में कलीसिया के निर्माण के लिए प्रभावी हो सकता है।"

उन्होंने कहा कि पोप के प्रतिनिधि काथलिक कलीसिया और उसकी सार्वभौमिकता की छवि हैं, क्योंकि वे कई देशों से आते हैं और दुनियाभर में पोप का प्रतिनिधित्व करने के लिए भेजे जाते हैं।

साथ ही, पोप ने कहा कि कोई भी अन्य राजनयिक दल परमधर्मपीठ के राजनयिक कर्मियों की तुलना में एकता और उद्देश्य में इतना एकजुट नहीं है।

उन्होंने कहा, "परमधर्मपीठ की कूटनीति अपने कर्मियों में एक आदर्श स्थापित करती है - निश्चित रूप से परिपूर्ण नहीं, लेकिन अत्यन्त महत्वपूर्ण - जो लोगों के बीच मानवीय भाईचारा और शांति का संदेश है।"

पोप ने कहा कि वाटिकन प्रतिनिधियों की प्रेरिताई "अपूरणीय" है, और कहा कि धर्माध्यक्ष के लिए उम्मीदवारों को चुनने में उनकी सहायता वास्तव में आवश्यक है।

पोप लियो ने अपने तैयार भाषण में, संत पेत्रुस के उतराधिकारी के रूप में अपनी प्रेरिताई की पहली कार्यवाही के दौरान उनकी सेवा के लिए आभार व्यक्त किया, उन्होंने कहा कि वे किसी भी देश से संबंधित मुद्दों और स्थितियों को समझने में उनकी सहायता की सराहना करते हैं।

उन्होंने उनकी प्रेरितिक शैली और आस्था की भावना की सराहना की, और पोप पॉल छटवें  के शब्दों को याद किया, जो स्वयं एक राजनयिक थे।

उन्होंने कहा, "विभिन्न देशों में रहनेवाले अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से, पोप अपने बच्चों के जीवन में भागीदार बनते हैं और, खुद को इसमें शामिल करते हुए, उनकी जरूरतों और आकांक्षाओं को अधिक तेजी से एवं सुरक्षित रूप से जान जाते हैं।"

पोप लियो ने फिर प्रेरितों के कार्य (3:1-10) में संत पेत्रुस द्वारा लंगड़े व्यक्ति को चंगा करने की ओर इशारा करते हुए, परमधर्मपीठ के प्रतिनिधियों के मिशन को दर्शाने के लिए बाइबिल की छवि की ओर ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने कहा कि मंदिर के द्वार पर भीख मांगता हुआ लंगड़ा व्यक्ति मानवता की खोई हुई आशा और त्याग को दर्शाता है, जिसने अपना आनंद पूरी तरह खो दिया था।

पेत्रुस ने लंगड़े व्यक्ति से कहा कि उसके पास देने के लिए पैसे नहीं है, लेकिन वह उस व्यक्ति को अपना सब कुछ दे देगा, और उससे कहा: "येसु मसीह नासरी के नाम पर, चलो!"

पोप ने उल्लेख किया कि पेत्रुस ने लंगड़े व्यक्ति से कहा कि वह उसकी ओर देखे, जो दर्शाता है कि उनकी प्रेरिताई संबंध बनाने का प्रयास करता है, ठीक वैसे ही जैसे पोप के प्रतिनिधि राष्ट्रों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ करना चाहते हैं।

उन्होंने कहा, "हमेशा संत पेत्रुस की नजर में रहें!" "ऐसे व्यक्ति बने जो उस समय भी संबंध बनाने में सक्षम हों जहाँ यह सबसे कठिन हो।"

पोप ने कहा कि येसु को देने का अर्थ है "प्रेम देना, उस प्रेम की गवाही देना जो हर चीज के लिए तैयार है।"

पोप लियो ने कहा कि कलीसिया प्रेम से कुछ भी करने के लिए तैयार है और यह हमेशा छोटों और गरीब लोगों के पत्र में है।

उन्होंने कहा, "वह (कलीसिया) हमेशा ईश्वर में विश्वास करने के पवित्र अधिकार की रक्षा करेंगी, यह विश्वास करने के लिए कि यह जीवन इस दुनिया की शक्तियों की दया पर नहीं है, बल्कि एक रहस्यमय अर्थ से व्याप्त है।" उन्होंने कहा कि यह मिशन उन जगहों पर विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जहाँ युद्ध, हिंसा और अन्याय लोगों को सूली पर चढ़ा देते हैं। अंत में, पोप लियो ने अपने प्रतिनिधियों को पोप द्वारा भेजे गए मिशनरी बनने के लिए आमंत्रित किया ताकि वे "मानव गरिमा की सेवा में सहभागिता और एकता के साधन" बन सकें।

पोप ने कहा, "आज यहाँ आपकी उपस्थिति इस जागरूकता को पुष्ट करती है कि सतं पेत्रुस की भूमिका विश्वास में सुदृढ़ करना है।" "दुनिया के हर हिस्से में इसके संदेशवाहक, दृश्यमान संकेत बनने के लिए, आपको पहले खुद इस सुदृढ़ता की आवश्यकता है।"