पोप लियो : परिवार मानवता के भविष्य का पालना हैं

रविवार की सुबह, संत पेत्रुस महागिराजघर का प्राँगण परिवारों, बच्चों, दादा-दादी और बुजुर्गों की जयंती के समापन समारोह में भाग लेने के लिए विश्वासियों से भरा था। पोप लियो 14वें ने समारोही ख्रीस्तयाग की अध्यक्षता की और अपने प्रवचन में उन्होंने परिवार को एकता और विश्वास के स्रोत के रूप में दर्शाया।

परिवारों, बच्चों, दादा-दादी और बुजुर्गों की जयंती के अवसर पर, रविवार को पोप लियो 14वें ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में समारोही ख्रीस्तयाग का अनुष्ठान किया और सभी विश्वासियों को मसीह पर अपना प्रेम केंद्रित करने का प्रोत्साहन दिया, जिससे विश्व में शांति आ सके।

पोप ने उपदेश में कहा, हमने अभी जो सुसमाचार सुना है, उसमें येसु को अंतिम भोज के समय हमारी ओर से प्रार्थना करते हुए दिखाया गया है। (यो. 17:20) ईश्वर के शब्द, जो मनुष्य बने, जब वे पृथ्वी पर अपने जीवन के अंत के करीब पहुँचे, तब उन्होंने हम, अपने भाइयों और बहनों की चिंता, और पवित्र आत्मा की शक्ति में पिता के लिए एक आशीर्वाद, निवेदन और प्रशंसा की प्रार्थना बन गये। जब हम स्वयं आश्चर्य और विश्वास से भरकर, येसु की प्रार्थना में सहभागी होते हैं, तो हम, उनके प्रेम के, एक महान योजना का हिस्सा बनते हैं जो पूरी मानव जाति के लिए है।

परिवार एक वरदान है
ख्रीस्त प्रार्थना करते हैं कि हम सब “एक हो जाएँ” (पद 21)। यह सबसे बड़ी भलाई है जिसकी हम कामना करते हैं, क्योंकि यह सार्वभौमिक एकता उसके प्राणियों के बीच प्रेम की शाश्वत संगति लाती है जो स्वयं ईश्वर है: पिता जो जीवन देता है, पुत्र जो इसे ग्रहण करता है और आत्मा जो इसे साझा करती है। प्रभु नहीं चाहते कि हम इस एकता में नामहीन और चेहराहीन भीड़ बनें। वे चाहते हैं कि हम एक हो जाए: " हे पिता, जैसे तू, मुझ में है और मैं तुझ में, वैसे ही वे भी हम में हो जाएँ" (पद 21)।

इस प्रकार जिस एकता के लिए येसु प्रार्थना करते हैं, वह उसी प्रेम पर आधारित एक संगति है जिससे ईश्वर प्रेम करते हैं, जो संसार में जीवन और उद्धार लाता है। इस प्रकार, यह सबसे पहले एक उपहार है जिसे येसु लेकर आये। अपने मानवीय हृदय से, ईश्वर का पुत्र इन शब्दों में पिता से प्रार्थना करता है: "मैं तुझमें हूँ और तू मुझ में, कि वे पूरी तरह से एक हो जाएँ, ताकि संसार जाने कि तू ने मुझे भेजा है और जैसा तू ने मुझ से प्रेम रखा, वैसा ही तू ने उनसे प्रेम रखा" (पद 23)।

संत पापा ने कहा, “आइए हम इन शब्दों को विस्मय के साथ सुनें। येसु हमें बता रहे हैं कि ईश्वर हमसे वैसे ही प्रेम करते हैं जैसे वे स्वयं से करते हैं। पिता हमसे अपने इकलौते पुत्र से कम प्रेम नहीं करते। दूसरे शब्दों में, वे हमसे असीम प्रेम करते हैं। ईश्वर कम प्रेम नहीं करते, क्योंकि वे, आरंभ से ही प्रेम करते हैं! मसीह स्वयं इस बात की गवाही देते हैं जब वे पिता से कहते हैं: "आपने मुझे जगत की उत्पत्ति से पहले ही प्रेम किया" (पद 24)। और ऐसा ही है: अपनी दया में, ईश्वर ने हमेशा सभी लोगों को अपने पास बुलाने की इच्छा की है। यह उनका जीवन है, जो मसीह में हमें दिया गया है, जो हमें एक बनाता है, हमें एक दूसरे के साथ जोड़ता है।

आज परिवारों, बच्चों, दादा-दादी और बुजुर्गों की जयंती मनाते हुए इस सुसमाचार पाठ को सुनना हमें खुशी से भर देता है।

हम सभी को एक दूसरे की आवश्यकता
प्रिय मित्रों, हमें जीवन तब मिला जब हमने इसकी इच्छा भी नहीं की थी। जैसा कि पोप फ्राँसिस कहते हैं: "हम सभी बेटे और बेटियाँ हैं, लेकिन हममें से किसी ने भी जन्म लेना नहीं चुना" (देवदूत, 1 जनवरी 2025)। इतना ही नहीं। जब हम पैदा हुए, हमें जीने के लिए दूसरों की जरूरत हुई; अगर हम खुद पर छोड़ दिए जाते, तो हम जीवित नहीं रह पाते। किसी और ने हमें शरीर और आत्म से हमारी देखभाल करके बचाया। हम सभी आज एक रिश्ते की बदौलत जीवित हैं, मानवीय दयालुता और आपसी देखभाल का एक स्वतंत्र और मुक्त करनेवाला रिश्ता।