पोप लियोः सपने देखें, योजना बनायें- उसे पूरा करें
पोप लियो 14वें ने लेबनान की प्रेरितिक यात्रा में बेकेरके, आंतियोक मारोनाईट के प्रधिगिरजाघर के प्राँगण में लेबनान के युवाओं से भेंट की।
पोप ने “अस्सलामु अलैकुम”,शांति आप सभों के साथ हो, के साथ युवाओं का अभिवादन करते हुए कहा कि पुनर्जीवित येसु ख्रीस्त का यह अभिवादन हमारी मिलन की खुशी को बनाये रखें।
उन्होंने कहा कि हमारे हृदय में व्याप्त खुशी ईश्वर की निकटता को व्यक्त करती है जो हमें भाई-बहनों के रुप में, उन पर अपने विश्वास को एक दूसरे के संग एकता में साझा करने हेतु आमंत्रित किये जाते हैं।
गर्मजोशी से मिले स्वागत के लिए संत पापा ने सभों के प्रति कृतज्ञता के भाव प्रकट किये और सीरियाई, ईराक और लेबनानी युवाओं का अभिवादन किया। “हम सभी एक दूसरों को सुनने और ईश्वर से अपने भविष्य के लिए आशीष की कामना करने हेतु यहाँ जमा हुए हैं। पोप ने खुले दिल से साक्ष्य प्रस्तुत करने वाले युवाओं, आंतोनी, मरिया एलिया और जेवेल्ल को धन्यवाद दिया।
लेबनान का इतिहास गौरवपूर्ण
पोप ने कहा कि उनकी कहानी हमारे लिए तकलीफों के मध्य साहस, निराशा में आशा और युद्ध के दौरान आंतरिक शांति के भाव व्यक्त करती है। वे रात्रि के समय में चमकते हुए सितारे की भांति हैं, जो हमें भोर की पहली किरण स्वरुप आशा प्रदान करती है। इन युद्धों में हम सब ने अपने अच्छे और बुरे अनुभवों का एहसास किया है। लेबनान का इतिहास गौरव का ताना-बाना है लेकिन इसके साथ ही हम इसके गहरे घावों को धीरे से चंगाई प्राप्त करता पाते हैं। इन घावों के कारण हम देश की सीमाओं को गहरी सामाजिक और राजनीतिक आयमों से उलझा पाते हैं।
युवाओं का समय
प्रिय युवाओ, शायद आप को युद्ध और सामाजिक अन्याय से टूटी दुनिया में होने का मलाला होता है। फिर भी आप के अंदर आशा है, एक उपहार जिसे हम व्यस्क अपने में खोया पाते हैं। आप के पास समय है। आप के पास सपने देखने, योजना बनाने और अच्छा करने का समय है। आप वर्तमान है और भविष्य आप के हाथों में सुसज्जित हो रहा है। आप के पास इतिहास को बदले का जोश है। बुराई का सच्चा विरोध बुराई नहीं अपितु प्रेम है, एक प्रेम जिसमें स्वयं के घावों के साथ दूसरों के घावों की देख-रेख और चंगाई करने की शक्ति है।
पोप ने जरुरतंमद लोगों के लिए अंतोनी और मरियम के समर्पण, एलिया के धैर्य और जोयेल्ल की उदारता का जिक्र किया जो भविष्य की भविष्यवाणी को इंगित करते हैं जो मेल-मिलाप और पारस्परिक सहायता से फलहित होगा। इस तरह हम येसु की वाणी को पूर्ण होते देखते हैं, “धन्य हैं वे जो नम्र हैं, स्वर्ग राज्य उन्हीं का है। धन्य हैं वे जो मेल करते हैं वे ईश्वर के पुत्र कहलायेंगे।” सुसमाचार के प्रकाश में, प्रिय युवाओं आप ईश्वर की निगाहों में धन्य होंगे।
लेबनानी देवदार की भांति
पोप ने कहा कि आपका देश, लेबनान, एक बार फिर फलेगा-फूलेगा, देवदार की तरह सुंदर और मज़बूत होगा, जो लोगों की एकता और फलने-फूलने की निशानी है। हम अच्छी तरह जानते हैं कि देवदार की ताकत उसकी जड़ों में होती है, जो उसकी डालियों की भांति ही बड़ी होती हैं। डालियों की संख्या और ताकत उसकी जड़ों की संख्या और ताकत के हिसाब से होती है। इसी तरह, लेबनानी समाज में हम जो अच्छी चीज़ें देखते हैं, वे अच्छे इरादे वाले लोगों की विनम्रता, गुप्त और ईमानदारीपूर्ण मेहनत का नतीजा है, वे अच्छी जड़ें, जो लेबनानी देवदार की सिर्फ़ एक डाल नहीं, बल्कि पूरे पेड़ की सुंदरता को दिखलाती है। हम उन लोगों की अच्छी जड़ों से सीखें जो समाज की सेवा करने के लिए समर्पित हैं, न कि अपने फ़ायदे के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। वे न्याय के लिए समर्पित हैं, शांति और विकास के भविष्य के लिए मिलकर योजना बनाते हैं। हम उस उम्मीद की किरण बनें जिसका देश इंतज़ार कर रहा है!
ईश्वर- जीवन का सिद्धांत
पोप ने युवाओं के द्वारा पूछे गये सवाल के बारे में कहा कि शांति के लिए समर्पित बने रहने के लिए मज़बूत नींव कहाँ मिलेगी। यह मजबूत नींव एक विचार, अनुबंध (कोनटैक्ट) या सिद्धांत मात्र नहीं है। सच्चे जीवन का सिद्धांत आशा है जो हमारे लिए ऊपर से आती है-वो हमारे लिए स्व्यं ख्रीस्त हैं। वे मर गये और सबों के लिए पुनः जी उठे। वे जीवित हैं, जो हमारे विश्वास का आधार है, वे करूणा के साक्ष्य हैं जो दुनिया को बुराई से बचाते हैं। संत पौलुस की याद करते हुए इसे संत अगुस्टीन घोषित करते हैं, “उनमें हम शांति को पाते हैं और उनके द्वारा हमारे लिए शांति आती है। शांति यदि किसी फायदे हेतु हो तो वह असली नहीं है। यह तभी सच्ची होती है जब मैं दूसरों के साथ वैसा ही करता हूँ जैसा मैं चाहता हूँ कि दूसरे मेरे साथ करें (मत्ती 7:12)। संत जोन पौल द्वितीय ने अपनी प्रेरणा में एक बार कहा था, “न्याय के बिना शांति नहीं है, क्षमा के बिना न्याय नहीं है” यह वास्तव में सच है- क्षमा हमें न्याय की ओर ले चलती है जो शांति की नींव है।
प्रेम और मित्रता का मर्म
आप के दूसरे सावल का उत्तर उसी रुप में दिया जा सकता है। यह सच है कि हम उस समय में जीते हैं जहाँ व्यक्तिगत संबंध हमारे लिए क्षणभंगुर और उपभोग की वस्तुओं की भांति है। युवाओं में भी, कभी-कभी दूसरों पर भरोसे के बजाय निजी फायदे को पाते हैं, और दूसरों की परवाह करने के बदले हम उनसे लाभ उठाते हैं। ये मनोभाव हमारे लिए मित्रता और प्रेम की सुन्दरता को छिछले बना देते हैं, हम दूसरों का उपयोग व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए करते हैं। यदि हमारा अहम हमारी मित्रता या प्रेम का केन्द्र-बिन्दु होता तो यह फलदायक नहीं होता है। उसी भांति, यह सच्चा प्रेम नहीं है यदि हम थोड़े समय के लिए प्रेम करते हैं, सिर्फ हमारी भावनाओं तक। यदि प्रेम की समय सीमा है तो यह सच्चा प्रेम नहीं है।