पोप : दूसरों के लिए ज्योति बनें
पोप फ्रांसिस ने 05 जनवरी को रविवारीय देवदूत प्रार्थना के पूर्व दिये गये संदेश में दूसरों के लिए अपनी खिड़की खोलते हुए ज्योति बनने का आहृवान किया।
देवदूत प्रार्थना के पूर्व पोप फ्रांसिस ने वर्षा की स्थिति में भी डटे रहे सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, शुभ रविवार, वर्षा में भी आप बहुत सहासी बनें हैं, शुभ रविवार।
आज का सुसमाचार हमें येसु के बारे में बतलाता है,शब्द ने जो शरीरधारण किया, यह कहता है कि अंधेरे में ज्योति का उदय हुए और वह उस विजय नहीं हुई। यह हमें इस बात की याद दिलाती है कि ईश्वर का प्रेम कितना शक्तिशाली है, जो किसी भी चीज से पराजित नहीं होता है, जो बाधाओं और अस्वीकृतियों के बावजूद चमकता रहता और हमारी राह को प्रज्वलित करता है।
येसु के आने में जीत
पोप ने कहा कि हम इसे ख्रीस्त जयंती में देखते हैं, जब ईश्वर का पुत्र मानव बना तो वे बहुत-सी दीवारों और बहुत से विभाजनों में विजय होते हैं। वे अपने महान समय के बंद मन और हृदय वालों को चुनौती प्रदान करते हैं, जो ईश्वर की खोज करने के बदले अपनी शक्ति को बचाने की चिंता मे लगे रहते हैं। वे मरियम और योसेफ के संग एक नम्रता का जीवन साझा करते हैं, जो सीमित सांधनों और जीवन की कठिनाइयों में भी प्रेम से उनका स्वागत करते और उनकी देखरेख करते हैं। वे अपने को चरवाहों से भेंट हेतु अर्पित करते हैं जो अपने में कमजोर और सुरक्षाहीन हैं, जिनका हृदय जीवन की कठोरता और समाज के तिरस्कार का सामना करता है, और इसके बाद वे अपने को ज्योतिषियों को प्रस्तुत करते जो उसे जानने की इच्छा से प्रेरित होकर, एक लम्बी यात्रा पूरी करते और उसे अत्यंत गरीबी में साधारण लोगों के एक घर में पाते हैं।
ईश्वर हमारे बीच आते हैं
पोप फ्रांसिस ने कहा कि इन सारी और दूसरी अन्य चुनौतियों के सामने जो हमारे लिए विऱोधाभाव लगाते ईश्वर नहीं रुकते हैं, वे हमारे बीच में और हर के बीच में पहुंचने हेतु हजारों तरीके खोजते हैं, चाहे हम कहीं भी हों, बिना किसी तोल-मोल के और बिना किसी शर्त के, यहां तक कि मानवता की सबसे अंधेरी रातों में भी वे हमारे लिए प्रकाश की खिड़कियां खोल देते हैं जिन्हें अंधकार धूमिल करता है। यह सच्चाई है जो हमें सांत्वना और प्रोत्साहन प्रदान करती है, विशेष रुप हमारे एक ऐसे समय में जहां हमें एक बड़ी ज्योति, आशा और शांति की आवश्यकता है, जहाँ मानव कभी-कभी ऐसे जटिल परिस्थितियाँ उत्पन्न करता है जहाँ से उन्हें निकलना मुश्किल जान पड़ता है।
दूसरों के लिए ज्योति बनें
पोप फ्रांसिस ने कहा कि आज ईश्वर का संदेश हमें बतलाता है कि ऐसी बात नहीं हैं बल्कि यह हमें ईश्वर के प्रेम का अनुसरण करने का आहृवान देता है, चाहे हम जहाँ कहीं भी हों, हम जिस किसी से भी मिलें, हम दूसरों के लिए जगमगाती ज्योति बनें, परिवार में, समाज में अंतरराष्ट्रीय स्तर में। ईश्वर हमें आज इसके लिए बुलाते हैं। इसके लिए हमें साहस की जरुरत है। यह हमें प्रथम कदम लेने से नहीं डरने को कहता है, हम अपनी खिड़कियों को अपने पड़ोसियों के लिए खोलें जो दुःखित हैं, जिन्हें क्षमा, करूणा और मेल-मिलाप की जरुरत है, जिससे जीवन की यात्रा स्पष्ट, सुरक्षित और सभों के लिए संभव हो सके। और यह निमंत्रण इस जयंती वर्ष में जिसकी ठीक शुरूआत हुई है विशेष रुप से ध्वनित होता है, यह हमें साधारण लेकिन ठोस रूप में जीवन को “हाँ” द्वारा आशा के संदेशवाहक होने का आग्रह करता है, क्योंकि चुनाव हमारे लिए जीवन लेकर आती हैं। आइए हम ऐसा करें, हम सभी कोई, यह हमारे लिए मुक्ति का मार्ग है।
और इस भांति, पोप फ्रांसिस ने कहा कि नये वर्ष के शुरू में, हम अपने आप से पूछ सकते हैं, मैं कैसे अपनी परिस्थिति और संबंधों में ज्योति की एक खिड़की खोल सकता हूँ? मैं कहाँ ईश्वरीय ज्योति का एक पुंज बन सकता हूँ जो ईश्वर के प्रेम को प्रसारित करता हो? मुझे आज पहला कदम क्या लेना चाहिए?
माता मरियम, एक तारा जो हमें येसु की ओर ले चलती हैं, हमें पिता के प्रेम का चमकता साक्ष्य हर किसे के लिए बनने हेतु मदद करें।