पुरोहिताभिषेक में पोप : पुरोहित का जीवन पारदर्शी और विश्वसनीय होना चाहिए

वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर में शनिवार को पोप लियो 14वें ने रोम धर्मप्रांत के 11 उपयाजकों का पुरोहित अभिषेक सम्पन्न किया तथा पुरोहितों से आग्रह किया कि वे ईश्वर की कृपा को ग्रहण करें ताकि वे उन लोगों के करीब रह सकें जिनके लिए वे विश्वसनीय गवाह के रूप में काम करते हैं।

पोप ने उपदेश में कहा, “प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज का यह दिन कलीसिया और आप सभी जो पुरोहित अभिषेक प्राप्त कर रहे हैं, साथ ही आपके परिवार, दोस्तों और आपके प्रशिक्षण काल में आपके साथ चले साथियों के लिए भी बहुत खुशी का दिन है। जैसा कि अभिषेक की धर्मविधि के पाठों में बताया गया है, आज हम जो मना रहे हैं और ईश्वर के लोगों के बीच का संबंध महत्वपूर्ण है। हम जो ईश्वरीय आनन्द महसूस कर रहे हैं उसकी लम्बाई, चौड़ाई और गहराई भी सीधे उन संबंधों के समानुपाती है, जो आप और उन लोगों के बीच विद्यमान है जहाँ से आप आये हैं, जिनके आप हिस्से हैं और जिनके पास आपको भेजा गया है।

पोप ने एक पुरोहित एवं ईश्वर तथा लोगों के साथ उनके संबंध पर चर्चा करते हुए याजक की पहचान को सर्वोच्च और शाश्वत याजक मसीह के साथ संयुक्ति पर निर्भर बतलाया।

उन्होंने कहा, “हम ईश प्रजा हैं। द्वितीय वाटिकन महासभा ने इसे अधिक सजीव बनाया है।” आप इस बात के प्रमाण हैं कि ईश्वर अपने बच्चों को एकत्रित करने से कभी नहीं थकते, भले ही वे अलग-अलग हों, और वे उन्हें एक गतिशील एकता में ढालते हैं। यह कोई आवेगपूर्ण कार्य नहीं है, बल्कि मंद-मंद बहनेवाली हवा के समान है जिसने निराशा के समय में नबी एलिय्याह को आशा दी (1राजा 19:12)। ईश्वर का आनन्द शोरगुल वाला नहीं है, बल्कि इतिहास बदल देता है और हमें एक दूसरे के करीब लाता है। कुँवारी मरियम के एलिजाबेथ से मुलाकात का रहस्य, जिस पर कलीसिया मई के अंतिम दिन चिंतन करती है, इसी का प्रतीक है। कुँवारी मरियम और उनकी कुटुम्बनी एलिजाबेथ के बीच मुलाकात से हम मरिया के भजन को उभरते हुए देखते हैं, जो अनुग्रह से मिलनेवाले लोगों का गीत है।

पवित्र आत्मा संबंधों को मजबूत करता है
पाठ हमें उन बातों की भी व्याख्या करने में मदद करते हैं जो हमारे बीच घट रहा है। सुसमाचार में, सबसे पहले, येसु हमें मृत्यु से कुचले हुए नहीं दिखाई देते, न ही टूटे हुए या अधूरे संबंधों के कारण निराश दिखाई देते हैं। इसके विपरीत, पवित्र आत्मा खतरों में पड़े उन संबंधों को और मजबूत करता है। प्रार्थना में वे मृत्यु से भी अधिक बलवान बनते हैं। अपने खुद के भाग्य के बारे में सोचने के बजाय, येसु उन संबंधों को पिता के हाथों सौंपते हैं जिनको उन्होंने जोड़ा है। हम भी इसके हिस्से हैं! वास्तव में, सुसमाचार उन संबंधों के माध्यम से हमारे पास आया है जिन्हें दुनिया कमजोर कर सकती है, लेकिन नष्ट नहीं कर सकती।

पोप ने पुरोहित अभिषेक के उम्मीदवारों से कहा, प्रिय अभिषिक्तो, आप अपने आप को येसु के मार्ग में देखें! ईश्वर का होना हमें पृथ्वी से जोड़ता है: किसी काल्पनिक दुनिया से नहीं, बल्कि वास्तविक दुनिया से। येसु की तरह आप मांस और रक्त के लोग हैं, जिन्हें पिता हमारे मार्ग में रखते हैं। अपने आपको अलग किये बिना, खुद को अलग रखे बिना, अपनी क्षमताओं को विशेषाधिकार माने बिना उनके लिए खुद को समर्पित करें। संत पापा फ्राँसिस ने हमें इसके विरुद्ध कई बार चेतावनी दी है, क्योंकि आत्म-केंद्रित होना मिशन की आग को बुझा देता है।

कलीसिया बहिर्मुखी है, ठीक वैसे ही जैसे येसु का जीवन, दुखभोग, मृत्यु और पुनरुत्थान बहिर्मुखी हैं। आप हर यूखरिस्त में उनके शब्दों को अपना बनायेंगे: यह "तुम्हारे लिए और बहुतों के लिए" है। किसी ने कभी ईश्वर को नहीं देखा। लेकिन हम विश्वास करते हैं कि वे हमारी ओर मुड़े, खुद से बाहर आये। पुत्र एक जीवित कहानी है। और उन्होंने हमें ईश्वर की संतान बनने की शक्ति दी है। इसलिए हम किसी और शक्ति की तलाश न करें! हाथों को माथे पर रखने का भाव, जिसके साथ येसु ने बच्चों का स्वागत किया और बीमारों को चंगाई दी, आप में मसीह की प्रेरिताई की मुक्तिदायी शक्ति को नवीनीकृत करता है। प्रेरित चरित में, हम पवित्र आत्मा द्वारा प्रदान किये जाने के बारे सुनते हैं जिसे हम जल्द ही दोहराएँगे। इस प्रकार, ईश्वर का राज्य अब आपकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता के साथ एक हो गया है, जिससे आप खुद से बाहर आने, अपनी बुद्धि और अपनी युवा शक्ति को जयंती मिशन में लगाने के लिए तैयार हैं जिसे येसु ने अपनी कलीसिया को प्रदान किया है।

मालिक नहीं सेवक
एफेसुस समुदाय के बड़े बुजूर्गों का अभिवादन करते हुए संत पौलुस उन्हें मिशन का रहस्य बतलाते हैं, “पवित्र आत्मा ने आपको एक सेवक बनाया है, मालिक या संरक्षक नहीं। मिशन येसु का है। वे जी उठे हैं इसलिए वे जीवित हैं और हमसे पहले हैं। हम में से कोई भी उनका स्थान लेने के लिए नहीं बुलाये गया है। अपने स्वर्गारोहन के दिन वे हमें अपने अदृश्य उपस्थिति के बारे बतलाते हैं। वे हम पर भरोसा करते हैं। वे हमारे लिए स्थान बनाने गये हैं, धर्माध्यक्ष भी मिशन के माध्यम से आपके लिए जगह बनाते हैं। और आप विश्वासियों एवं हर प्राणी के लिए जगह बनाते हैं, जिनके लिए पुनर्जीवित प्रभु करीब है और जिनके माध्यम वे हमसे मिलने आते और हमें आश्चर्यचकित करना चाहते हैं। विश्वासियों की संख्या हमारी तुलना में अधिक है। आइए हम उनकी सीमाओं को परिभाषित न करें।