देवदूत प्रार्थना में पोप : सच्चा धन ईश्वर का प्रेम पाने में है
रविवार को देवदूत प्रार्थना के दौरान अपने संदेश में पोप फ्राँसिस ने सुसमाचार के उस पाठ पर चिंतन किया जहाँ एक धनी युवक येसु से पूछता है कि अनन्त जीवन पाने के लिए क्या करना चाहिए।
वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 13 अक्टूबर को पोप फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, शुभ रविवार।
आज की धर्मविधि का सुसमाचार पाठ (मरकुस 10,17-30) हमें एक धनी व्यक्ति के बारे बताता है जो येसु से मिलने के लिए दौड़ता है और उनसे पूछता है: "भले गुरु, अनन्त जीवन पाने के लिए मुझे क्या करना चाहिए?" (17) येसु उसे सब कुछ छोड़कर अपने पीछे आने के लिए आमंत्रित करते हैं, लेकिन वह दुःखी होकर चला जाता है क्योंकि - पाठ बतलाता है - "वास्तव में उसके पास बहुत सारी संपत्ति थी।" (23)
पोप ने कहा, “सब कुछ छोड़ना महंगा पड़ता है।”
हम इस व्यक्ति की दो हरकतें देखते हैं: शुरुआत में वह, येसु के पास जाने के लिए दौड़ता है; हालाँकि, अंत में, वह उदास होकर चला जाता है। पहले मिलने के लिए दौड़ता है, और फिर चला जाता है। संत पापा ने इसपर चिंतन करने हेतु आमंत्रित करते हुए कहा, “आइए हम इस पर ध्यान दें।”
सबसे पहले, यह व्यक्ति येसु के पास दौड़ता है। ऐसा लगता है जैसे उसके दिल में कुछ उसे धक्का दे रहा है: वास्तव में, इतनी संपत्ति होने के बावजूद, वह असंतुष्ट है, वह अपने भीतर एक बेचैनी महसूस करता है, वह एक पूर्ण जीवन की तलाश में है। जैसा कि बीमार और पीड़ित लोग अक्सर महसूस करते हैं (मार. 3.10; 5.6),
वह गुरूजी के चरणों में पड़ता है; वह अमीर है, फिर भी उसे चंगाई की आवश्यकता है। येसु उसपर प्रेमभरी नजर डालते हैं (21); फिर, उसे एक "उपाय" बताते हैं: अपने पास जो कुछ भी है उसे बेच दो, गरीबों को दे दो और मेरा अनुसरण करो। लेकिन, इस बिंदु पर, एक अप्रत्याशित परिणाम निकलता है: वह व्यक्ति उदास होकर चला जाता है! येसु से मिलने की उसकी इच्छा जितनी तीव्र थी जितनी कि उसकी ठंडी और त्वरित विदाई हो गई।
पोप ने कहा, “हम भी अपने हृदय में खुशी और अर्थ से भरे जीवन की अति आवश्यकता महसूस करते हैं; हालाँकि, हम यह सोचकर भ्रम में पड़ सकते हैं कि इसका उत्तर भौतिक चीज़ों और सांसारिक सुरक्षा हासिल करने में निहित है।” इसके बजाय येसु हमें हमारी इच्छाओं की सच्चाई पर वापस लाना चाहते हैं और हमें यह बतलाना चाहते हैं कि, वास्तव में, जिस भलाई की हम इच्छा करते हैं वह ईश्वर ही हैं, हमारे लिए उनका प्रेम और अनन्त जीवन है जिसे केवल वे ही दे सकते हैं।
उन्होंने कहा, “सच्ची समृद्धि और प्रभु द्वारा प्रेम से देखा जाना - एक महान धन है - और जैसा कि येसु उस व्यक्ति के साथ करते हैं, और अपने जीवन को दूसरों के लिए उपहार बनाकर एक-दूसरे से प्यार करते हैं।” येसु हमें जोखिम लेने और "प्रेम को जोखिम में डालने" के लिए आमंत्रित करते हैं: गरीबों को देने के लिए सब कुछ बेच देना, जिसका अर्थ है खुद को और अपनी झूठी सुरक्षा से ऊपर उठना, जरूरतमंदों पर ध्यान देना और अपना सामान साझा करना, सिर्फ चीजें ही नहीं बल्कि हम जो हैं उसे भी : हमारी प्रतिभाएँ, हमारी दोस्ती, हमारा समय, इत्यादि।
पोप ने कहा, “भाइयो एवं बहनो, वह अमीर व्यक्ति जोखिम नहीं उठाना चाहता था।” किस चीज का जोखिम? वह प्यार का जोखिम नहीं लेना चाहता था और उदास होकर चला गया। “और हम? आइए, अपने आप से पूछें: हमारा दिल किस चीज पर आसक्त है? हम हमारे जीवन और खुशी के भूख को कैसे संतुष्ट करते हैं? क्या हम जानते हैं कि उन लोगों के साथ कैसे बांटें, जो गरीब हैं, जो कठिनाई में हैं या जिन्हें थोड़ा सुनने की जरूरत है, जिन्हें मुस्कान की आवश्यकता है, जिन्हें एक ऐसे शब्द की जरूरत है जो आशा खोजने में मदद करे?”
पोप ने कहा, “आइए हम याद रखें: सच्ची दौलत इस दुनिया की चीजों में नहीं, बल्कि ईश्वर द्वारा प्यार किये जाने और उनके जैसा प्यार करना सीखने में है।”
तब माता मरियम से प्रार्थना करते हुए उन्होंने कहा, “और अब हम येसु में जीवन के खजाने को खोज में मदद करने के लिए कुँवारी मरियम की मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना करें।”
इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपने प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।