तिमोर लेस्ते में स्वतंत्रता के संघर्ष से काथलिक विश्वास मज़बूत

तिमोर-लेस्ते में पोप फ्रांसिस की प्रेरितक यात्रा की तैयारी में संलग्न दिली महाधर्मप्रान्त के प्रतिधर्माध्यक्ष ग्रत्सियानो सान्तोस बताते हैं कि इस कार्यक्रम का आदर्श वाक्य पूर्वी तिमोर के लोगों में जमी काथलिक विश्वास की गहन जड़ों और उनकी संस्कृति तथा हाल के संकटपूर्ण इतिहास के बीच घनिष्ठ संबंध पर ज़ोर देता है।

पोप फ्रांसिस तिमोर-लेस्ते की यात्रा करने वाले दूसरे पोप होंगे। इससे पहले सन्त जॉन पॉल द्वितीय 12 अक्टूबर 1989 को सुदूर पूर्व की अपनी प्रेरितिक यात्रा के दौरान राजधानी दिली में थोड़े समय के लिए रुके थे तथा उन्होंने दमनकारी इंडोनेशियाई शासन के तहत पूर्वी तिमोर के लोगों की दुर्दशा के प्रति अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया था।

अपने तीन दिवसीय प्रवास के दौरान पोप फ्राँसिस स्थानीय पुरोहितों और धर्मसमाजियों एवं धर्मसंघियों तथा युवा लोगों से मिलेंगे। दिली में तासी टोलू परिसर में वे ख्रीस्तयाग की अध्यक्षता करेंगे, यह वही स्थान है जहाँ 35 साल पहले सन्त जॉन पौल द्वितीय ने ख्रीस्तयाग अर्पित किया था। सन्त पापा फ्राँसिस की यात्रा के दौरान तिमोर-लेस्ते और पड़ोसी इंडोनेशिया तथा अन्य देशों से 700,000 से अधिक श्रद्धालुओं के भाग लेने की उम्मीद है।

तिमोर लेस्ते की जनता
तिमोर लेस्ते एशिया का सर्वाधिक नवीन देश है जिसने 2002 में इण्डोनेशिया से स्वतंत्रता प्राप्त की है। यहाँ की कुळ आबादी का 96 प्रतिशत काथलिक धर्मानुयायी है, जो इस समय पोप फ्राँसिस की प्रेरितिक यात्रा की तैयारी में संलग्न है।

दिली के प्रतिधर्माध्यक्ष फादर सान्तोस ने फीदेस समाचार को बताया कि यात्रा का आदर्श वाक्य तिमोर के काथलिकों को अपनी सांस्कृतिक विरासत के साथ सामंजस्य में अपने विश्वास को जीने का निमंत्रण देता है तथा साथ ही उन्हें काथलिक विश्वास और इंडोनेशियाई कब्जे के परेशान दशकों के बीच घनिष्ठ संबंध की भी याद दिलाता है। उन्होंने कहा, "विश्वास हमारे हर कदम पर साथ रहा है, दुख और उम्मीद में।"

उन्होंने कहा, "आज, स्वतंत्रता के लिए जनमत संग्रह के 25 साल बाद, हम अपने इतिहास को एक सामंजस्यपूर्ण दिल से देख सकते हैं, ईश्वर के काम को पहचान सकते हैं जिसने कई महत्वपूर्ण क्षणों में लोगों के दिमाग और दिल को रोशन किया है"।