टेक्नोलॉजी ईसाई धर्म को जीने में मदद कर सकती है
इन्डियानापोलिस शहर में राष्ट्रीय काथलिक युवा सम्मेलन के लिये एकत्र लगभग 15,000 युवाओं को सन्देश देकर पोप लियो ने कहा कि टेक्नोलॉजी हमें ख्रीस्तीय धर्म को जीने में मदद कर सकती है।
अमरीका के इन्डियाना प्रान्त के इन्डियानापोलिस शहर में राष्ट्रीय काथलिक युवा सम्मेलन के लिये एकत्र लगभग 15,000 युवाओं को सन्देश देकर पोप लियो ने कहा कि टेक्नोलॉजी हमें ख्रीस्तीय धर्म को जीने में मदद कर सकती है।
ऑनलाईन मुलाकात
शुक्रवार को अमरीका के युवा काथलिकों से ऑनलाईन मुलाकात के अवसर पर पोप लियो 14 वें ने युवाओं से प्रभु येसु ख्रीस्त के साथ मैत्री को बढ़ाने और अपने विश्वास को गहरा करने के लिए टेक्नोलॉजी के सही इस्तेमाल का आग्रह किया तथा कलीसिया के विषय में बातचीत के अवसर पर राजनीति को बीच में न लाने का सन्देश दिया।
इस अवसर पर छः युवाओं ने पोप से संस्कारों, मानसिक स्वास्थ्य, कृत्रिम बुद्धिमत्ता तथा कलीसिया के भविष्य पर अपने विचार रखने का आग्रह किया।
पोप ने एक-दूसरे से मिलने के लिए समय निकालने तथा अपनी-अपनी पल्ली के सक्रिय सदस्य बनने के लिये अमरीकी युवाओं की सराहना की। सम्मेलन के दौरान युवाओं को ख्रीस्तयाग में शामिल होने, पवित्रतम संस्कार के समक्ष प्रार्थना करने तथा पुनर्मिलन संस्कार प्राप्त करने का अवसर दिया गया जिसके विषय में पोप ने कहा कि ये क्रियाएं “येसु से मिलने के यथार्थ मौके हैं।”
संस्कारों में जीवन
प्रथम प्रश्न पापस्वीकार संस्कार पर रहा जिसपर पोप ने स्वीकार किया कि सभी को ईश्वर की दया की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा, “पाप कभी आखिरी शब्द नहीं होता।” “जब भी हम ईश्वर से करुणा की याचना करते हैं, तो वे हमें माफ कर देते हैं। उन्होंने स्मरण दिलया कि पोप फ्रांसिस कहते थे कि ईश्वर कभी माफ करने से नहीं थकते—हम मांगते-मांगते थक जाते हैं!” पुनर्मिलन संस्कार में येसु मसीह से मुलाकात करने, अपने पापों को खुलकर कबूल करने और पुरोहित द्वारा पापों को माफ़ करने में येसु की क्षमा का स्वागत करने हेतु सन्त पापा ने युवाओं को आमंत्रित किया।
मानसिक स्वास्थ्य पर
उदासी, अवसाद और निराशा भरे जीवन से जूझ रहे युवाओं को पोप ने आमंत्रित किया कि वे येसु ख्रीस्त में अपने विश्वास को सुदृढ़ करें तथा प्रार्थनाओं में अपनी कठिनाइयों को उनके सिपुर्द कर दें। उन्होंने कहा, “शांति में, हम ईमानदारी से अपने दिल की बात कह सकते हैं।” “यूखारिस्तीय आराधना के दौरान, आप परम पवित्र संस्कार में येसु के दर्शन करते हैं और उनके प्रेम का एहसास पा सकते हैं।”
पोप ने कहा कि युवाओं को ऐसे भरोसेमंद वयस्कों जैसे माता-पिता, अध्यापक, पुरोहित और यूवा प्रेरिताई में लगे लोगों को भी ढूंढना चाहिए जिन पर वे भरोसा कर सकें, ताकि ईश्वर उनसे दूसरों के ज़रिए बात कर सकें। उन्होंने उन्हें सच्चे मित्रों के वरदान हेतु प्रार्थना करने के लिए भी आमंत्रित किया जो “ज़िंदगी में उलझन या मुश्किल होने पर येसु की खोज” हेतु प्रेरित करते हैं।
विश्वास और तकनीकी
विश्वास पर पड़नेवाले तकनीकी के परिणामों पर पोप ने हज़ारों मील दूर रहने वाले लोगों को जोड़ने के लिए आधुनिक तकनीकी की उपयोगिता को सही ठहराया। उन्होंने कहा, “तकनीकी हमें कई काम करने में मदद कर सकती है और सच में हमारे ख्रीस्तीय धर्म को जीने में भी मदद कर सकती है।” उन्होंने कहा, “यह हमें प्रार्थना करने, बाइबिल पढ़ने और हमारे विश्वास के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने का शानदार उपकरण प्रदान करती है।”
तथापि, पोप ने यह भी स्मरण दिलाया कि इतनी अधिक शक्तिशाली होने के बावजूद तकनीकी कभी भी यथार्थ, आमने-सामने के रिश्तों और यूखारिस्त में सहभागिता की जगह नहीं ले सकती, इसलिये यह ध्यान में रखा जाना चाहिये तकनीकी का उपयोग जीवन के लिये किया जाये जीवन का उपयोग तकनीकी के लिये न किया जाये।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विषय में उन्होंने कहा, “ध्यान रखें कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल आपकी वास्तविक मानवीयता के विकास को कम न करे।” उन्होंने कहा, “इसे इस तरह इस्तेमाल करें कि अगर यह कल गायब हो जाए, तो भी आपको पता हो कि खुद से कैसे सोचना, रचना करना और काम करना है। याद रखें: कृत्रिम बुद्धिमत्ता कभी भी उस विशेष वरदान की जगह नहीं ले सकती जो आप दुनिया के लिए हैं।”
कलीसिया के भविष्य
कलीसिया के भविष्य पर पोप ने कहा कि युवा लोग कलीसिया के भविष्य ही नहीं अपितु उसका वर्तमान भी हैं। उन्होंने उनसे रविवारीय ख्रीस्तयागों और युवा कार्यक्रमों में शामिल होकर अपने विश्वास को सुदृढ़ करने का आग्रह किया।
पोप ने कहा, “यदि आपको लगता है कि ईश्वर आपको किसी खास काम के लिए बुला रहे हैं, तो आप अपने पल्ली पुरोहित या किसी दूसरे भरोसेमंद व्यक्ति से बात करें ताकि आप यह समझ सकें कि ईश्वर की इच्छा आपके लिये क्या है।”