क्रिसमस उरबी एत ओरबी में पोप : हम आशा और शांति के तीर्थयात्री बनें
पोप फ्रांसिस ने ख्रीस्त जयंती महापर्व के अवसर पर वाटिकन संत पेत्रुस महागिरजाघर के झरोखे से जयंती वर्ष का मर्म समझाते हुए पूरे विश्व को शांति एवं आशा का संदेश प्रेषित किया।
पोप फ्रांसिस ने ख्रीस्त जयंती महोत्सव के अवसर पर अपनी प्रथावत वाटिकन संत पेत्रुस महागिरजाघर के झरोखे से उरबी एत ओरबी याने रोम और विश्व को अपना शांति और मेल-मिलाप का संदेश प्रेषित किया।
पोप ने अपने संदेश के प्रारंभ में ख्रीस्त जयंती के मर्म पर ध्यान आकर्षित कराते हुए कहा कि रहस्य जो हमें आश्चर्यचकित और प्रभावित करने में कभी नहीं चूकता है इस रात को पुनः नवीकृत किया है- कुंवारी मरियम ने बालक येसु को जन्म दिया, जो ईश्वर के पुत्र हैं, वह उसे कपड़ों में लपेट कर एक चरनी में लिटा देती है। बेतलेहम के चरवाहे जो आनंद से भर हुए हैं उन्हें ऐसा ही पाते हैं, जबकि स्वर्गदूत गाते थे, “ईश्वर की महिमा और भले लोगों को शांति।”
ईश्वर की पुकारः लौट आओ
यह घटना, जो आज से दो हजार साल पहले घटित हुई, वास्तव में, पवित्र आत्मा में अपनी नवीनता को प्राप्त करती है, प्रेम और जीवन के उसी पवित्र आत्मा में जिन्होंने मरियम के गर्भ को फलहित किया जहाँ येसु ख्रीस्त मानव शरीरधारण करते हैं। आज, कठिनाइयों के दौर में, दिव्य मुक्तिदायी शब्द ने पुनः एक बार सचमुच में शरीरधारण किया है, जो हर एक नर और नारी से, पूरे विश्व से कहता है, “मैंने तुम्हें प्रेम किया है, मैंने तुम्हें क्षमा किया है, मेरे पास लौट आओ, मेरे हृदय का द्वार खुला है।”
पोप ने कहा, “प्रिय भाइयो एवं बहनों, ईश्वर के हृदय का द्वार सदैव खुला है, हम उनकी ओर लौटकर आयें। आइए हम उस हृदय की ओर लौटें जो हमें प्रेम और क्षमा करता है। आइए हम उनके द्वारा क्षमा प्राप्त करें, आइए हम उनसे मेल-मिलाप कर लें।”
जयंती वर्ष के द्वारः मुक्ति द्वार का अर्थ
जयंती वर्ष के पवित्र द्वार का अर्थ यही है, जिसे मैंने यहाँ पिछली रात संत पेत्रुस महागिरघर में खोला है- यह येसु का प्रतिनिधित्व करता है, जो सभों के लिए मुक्ति के खुले द्वार हैं। येसु वे द्वार हैं जिसे पिता ने हमारे लिए करूणा के द्वार स्वरूप विश्व के मध्य, इतिहास के मध्य में खोला है जिससे हम सब उनकी ओर लौट आयें। हम सभी अपने में खोयी हुए भेड़ की भांति हैं, हमें एक चरवाहे की जरुरत है और एक द्वार की जिससे हम पिता के घर की ओर लौट सकें। येसु हमारे लिए वे चरवाहे और वह द्वार हैं।
आपस में मेल-मिलाप कर लें
प्रिय भाइयो एवं बहनों हम भयभीत न हों। द्वार हमारे लिए खुला है यह पूरी तरह खुला है। आइए हम येसु के संग मेल-मिलाप कर लें और तब हम स्वयं से मेल-मिलाप कर पायेंगे और जो हमें दूसरों के संग मेल-मिलाप करने में मदद करेगा यहाँ तक कि अपने शत्रुओं से भी। ईश्वर की दया हमारे लिए सब कुछ कर सकती है। यह हमारे लिए सभी गांठों को खोलती है, यह सभी विभाजन की दीवारों को तोड़ती है, यह हमारे बीच से घृणा और प्रतिकार के भाव को दूर करती है। आइए हम शांति के द्वार येसु के पास आयें।
पोप फ्रांसिस ने कहा कि बहुधा हम द्वार के चौखट पर रुक जाते हैं, हम अपने में इसे पार करने में साहस की कमी को पाते हैं क्योंकि यह हमारे जीवन का अवलोकन करने की चुनौती प्रस्तुत करती है। इस द्वार से प्रवेश करना हमारे लिए त्याग की मांग करता है, जहाँ हम अपने अतीत के सारे संघर्षों और विभाजनों को छोड़ने हेतु बुलाये जाते और अपने को बालक की फैलाई बाहों से घिरने को कहे जाते हैं जो शांति के राजकुमार हैं। इस ख्रीस्त जयंती काल में, जयंती साल के शुरूआत में, “मैं हर व्यक्ति और देशों के सभी लोगों को निमंत्रण देता हूँ जिससे हम अपने में साहस बटोरते हुए, आशा के तीर्थयात्रियों की भांति, हाथियारों की आवाज और अपने बीच के विभाजनों को खत्म कर सकें।”