कृत्रिम बुद्धिमत्ता से समाज में गहन बदलाव, पोप लियो
पोप लियो ने चेन्तेसिमुस आन्नुस परमाध्यक्षीय न्यास तथा काथलिक अनुसन्धान विश्वविद्यालयों के संगठन द्वारा आयोजित सम्मेलन के सदस्यों का साक्षात्कार कर उन्हें अपना सन्देश दिया।
वाटिकन में शुक्रवार को सन्त पापा लियो ने चेन्तेसिमुस आन्नुस परमाध्यक्षीय न्यास तथा काथलिक अनुसन्धान विश्वविद्यालयों के संगठन द्वारा कृत्रिम बुद्धिमत्ता और हमारे सामान्य धाम की रक्षा पर आयोजित सम्मेलन के सदस्यों का साक्षात्कार कर उन्हें अपना सन्देश दिया।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता और समाज
पोप ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के आगमन ने हमारे समाज को तीव्रता से तथा गहनतम ढंग से परिवर्तित कर दिया है, जो मानव के आवश्यक पहलुओं जैसे आलोचनात्मक विचार, समझदारी, शिक्षा और अन्तर वैयक्तिक रिश्तों को प्रभावित करता है।
पोप ने कहा कि एक ज़रूरी सवाल यह है कि कैसे हम आश्वस्त हो सकते हैं कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता का विकास वास्तव में, आम लोगों की भलाई के लिए है, और इसका इस्तेमाल सिर्फ़ कुछ लोगों के हाथों में पैसा और ताकत जमा करने के लिए न हो? क्योंकि यह तकनीकी पहले से ही विश्व के हर कोने में प्रतिदिन लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित कर रही है।
काथलिक कलीसिया की शिक्षा
इस सन्दर्भ में काथलिक कलीसिया की शिक्षा का उल्लेख कर पोप ने कहा कि कलीसिया की सामाजिक शिक्षा हमें एक मूल भूत प्रश्न का स्मरण दिलाती है और वह यह कि इतिहास के इस क्षण में इंसान होने का मतलब क्या है?
उन्होंने कहा कि काथलिक कलीसिया की शिक्षा सिखाती है कि मानव प्राणियों को मात्र कृत्रिम बुद्धिमत्ता से निर्मित सामग्री के निष्क्रिय उपभोक्ता के तौर पर नहीं अपितु विश्व की सृष्टि में सहयोग देने के लिये बुलाया गया है। उन्होंने कहा, हमारी प्रतिष्ठा इसी में है कि हम स्वतंत्र रूप से सोचें और समझें, बिना शर्त प्रेम करें और दूसरों के साथ वास्तिवक रिश्ते बनाने के योग्य बनें।
पोप ने कहा कि इस बात को नाकार नहीं जा सकता कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता ने रचनात्मकता के नये दरवाज़े खोले हैं तथापि सत्य और सौन्दर्य के प्रति मानव की उदारता, आश्चर्य एवं चिन्तन की उसकी योग्यता के प्रति इसने गंभीर चिंताएँ भी उत्पन्न की है। उन्होंने कहा, मनुष्य की विशेषताओं को पहचानना, और उसके संतुलित विकास की गारंटी देना, कृत्रिम बुद्धिमत्ता के परिणामों को व्यवस्थित करने के लिए अति आवश्यक है।
मानव क्षमता को पुनः जगाया जाये
इस सन्दर्भ में, उन्होंने कहा, "हमें तनिक रुककर अपने बच्चों और युवाओं की आज़ादी, उनकी अंदरूनी ज़िंदगी और उनके दिमागी विकास पर तकनीकी से होने वाले प्रभावों पर खास ध्यान देना होगा।"
पोप ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि युवाओं के साथ मिलकर ऐसा भविष्य बनाने के लिए जिससे सबका भला हो और कृत्रिम बुद्धिमत्ता की क्षमता का इस्तेमाल हो, इन तकनीकियों के विकास को मार्गदर्शन देने की मनुष्य की क्षमता को फिर से जगाना और मज़बूत करना ज़रूरी है। इसके लिए, पोप ने कहा, "राजनीति, संस्थाओं, व्यावसाय, वित्त व्यवस्था, शिक्षा, संचार माध्यम तथा नागर एवं धार्मिक समुदायों को मिलकर काम करने की नितान्त आवश्यकता है।"