“यूखरिस्त से पोषित एक सच्ची पवित्रता”, फ्रसाती की जीवनी पर संसोनेत्ती

अपनी किताब “पियेर जोर्जो फ्रसाती। आनन्द की कोई सीमा नहीं होगी।” में लेखक विंचेनत्सो संसोनेत्ती ने पीदमोंते के उस युवक के बारे में बताया है, जिसे 7 सितंबर को संत घोषित किया जाएगा। वे अपने समय के एक ऐसे युवा थे, जो सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय थे और ख्रीस्तीय मूल्यों से भरे उस समय में करुणा और साहसपूर्ण विश्वास के उदाहरण थे, "वे जरूरतमंदों की मदद के लिए अपनी नींद और पढ़ाई का समय भी कुर्बान कर देते थे।"
पियर जोर्जो फ्रसाती जब छोटे थे, एक सुबह एक भिखारी महिला ने उनके दरवाजे पर दस्तक दी। ठिठुरते ठंढ में नंगे पांव बच्चे को गोद में लिये एक महिला को देखकर उसे बड़ी दया आयी। फ्रसाती के पास उसे देने के लिए पैसे नहीं थे, इसलिए उसने अपने जूते उतारकर उसे दे दिया। फ्रसाती जिनका 1925 में चौबीस वर्ष की आयु में निधन हो गया, उनकी पवित्रता को दर्शानेवाली कई घटनाएँ हैं, जिन्हें विंचेन्सो सनसोनेत्ती ने अपनी किताब में बड़ी मेहनत से दर्ज की है।
वे लिखते हैं, "उनका पहला सदगुण उनके हृदय का मनोभाव, ईश्वर की इच्छा को स्वीकार करना था।" फ्रसाती एक ऐसे व्यक्ति थे जो नागरिक और राजनीतिक प्रतिबद्धता के साहस को गहन उदारता के साथ जोड़ने में सक्षम थे, जो यूखरिस्त में प्रभु के प्रति प्रेम से पोषित था। उनकी पवित्रता को पूर्ण मान्यता, जैसा कि पाविया के धर्माध्यक्ष, कोराडो संगुइनेटी ने पुस्तक पढ़ने के अपने निमंत्रण में कहा है, कार्लो अकुतिस के साथ-साथ उस दिन दी जाएगी जब "हमारे समय के दो संत, दुनियाभर के सभी युवाओं के लिए एक उज्ज्वल आदर्श" के रूप में सम्मानित किये जायेंगे।
“मैं ख्रीस्तीय बना रहा”
संसोनेत्ती ने उस चुनौतीपूर्ण ऐतिहासिक संदर्भ को काफी जगह दी है जिसमें फ्रसाती ने काम किया: "नई सदी ने एक नई परिस्थिति देखी: साम्राज्यों की जगह धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण वाले राष्ट्र-राज्य ले ली, और पुनःजागरण एवं एकीकरण के बाद समय कलीसिया के लिए कुछ हद तक चुनौतीपूर्ण थे। और न केवल पोर्ता पिया के उल्लंघन और संत पापाओं की भौतिक शक्ति के अंत के बाद की स्थिति के कारण, बल्कि जीवन के एक अलग दृष्टिकोण के कारण भी, जिसने ख्रीस्तीय आयाम को कम जगह दी।" फ्रैसाती ने इस स्थिति को एक नए दृष्टिकोण से देखा, जिसमें उनकी जेसुइट शिक्षा और काथलिक एक्शन दल, इटालियन काथलिक यूनिवर्सिटी फेडरेशन में शामिल होने पॉपुलर पार्टी में सक्रियता एवं विभिन्न लोगों से मुलाकात से मदद मिली।
जिस दृढ़ता और तत्परता से उन्होंने ख्रीस्तीय आदर्शों की रक्षा की, वह उन पन्नों से झलकता है जिनमें संसोनेत्ती ने 1921 में रोम में इतालवी काथलिक युवाओं के राष्ट्रीय सम्मेलन के लिए एकत्रित युवाओं के जुलूस, घुड़सवार सुरक्षाकर्मियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले और पियर जोर्जो की गिरफ्तारी का वर्णन किया है। जब अधिकारियों को पता चला कि वे किसके बेटे हैं, तो उन्हें तुरंत रिहा करने की पेशकश की गई, लेकिन फ्रसाती ने जवाब दिया, "जब मेरे साथी बाहर निकलेंगे, तभी मैं बाहर निकलूँगा।" एक अन्य अवसर पर, फ्रसाती के विश्वविद्यालय के एक सहपाठी ने जब तूरीन के क्रोचेत्ता गिरजाघर से उसे हाथ में रोजरी माला लेकर निकलते देखा और पूछा कि क्या वे कट्टर पंथी हो गए हैं, तो उन्होंने उत्तर दिया, "नहीं, मैं अब भी ख्रीस्तीय हूँ।"
जरूरतमंदों के करीब
20 मई, 1990 को पोप जॉन पॉल द्वितीय द्वारा धन्य घोषित किए गए फ्रसाती की पवित्रता की कई घटनाएँ हैं। संसोनेत्ती एक ऐसे युवक की उदारता के कई ठोस कार्यों का वर्णन करते हैं, जिनका गहरा विश्वास एक ऐसे पारिवारिक परिवेश में भी प्रकट हुआ, जहाँ उसके ख्रीस्तीय विचारों को उदासीनता से देखा जाता था। लेखक बताते हैं कि तूरीन में, गरीब लोग अक्सर गंदी झोपड़ियों में रहते और अमीर लोगों के घरों में काम करते थे, जो ऊपरी मंजिलों में थे। पियर जोर्जो अक्सर इन ज़रूरतमंद लोगों से मिलने जाते थे, उनसे बातचीत करते थे और उनकी समस्याएँ सुनते थे। इन लोगों को अक्सर घर बदलना पड़ता था, और फ्रसाती उनकी मदद करते थे: "चूँकि ये लोग," संसोनेत्ती बताते हैं, "घर बदलने का इंतजाम और खर्चा नहीं उठा पा रहे थे, इसलिए उन्होंने एक गाड़ी किराए पर ली जिस पर इन गरीब परिवारों का थोड़ा-बहुत सामान लादा जाता था, और वे अपने एक-दो दोस्तों के साथ मिलकर तूरीन की सड़कों से होते हुए उस गाड़ी को घसीटते हुए उनके नए गंतव्य तक पहुँचाते थे। जिसके कारण इटालियन काथलिक यूनिवर्सिटी फेडरेशन (एफयूसीआई) में उनके साथियों ने तो यह भी मान लिया था कि उन्होंने 'फ्रसाती ट्रांसपोर्ट' की एक कंपनी बना ली है।" जीवनी में लिखा है, "जो बात उन्हें दूसरों से अलग करती है, वह यह है कि उन्होंने दीन-हीन, कमजोर लोगों की मदद के लिए खुद को विनम्र बनाया, और यह किसी पितृसत्तात्मक भाव से नहीं, बल्कि एक जीवंत विश्वास के कारण हुआ।" एक रात, सड़क पर ठिठुरते एक गरीब आदमी को देखकर, उन्होंने अपना सुंदर नया कोट उतारकर दे दिया। वे अक्सर बीमारों को सांत्वना देने अस्पताल जाते थे।
पियर जोर्जो का अंतिम संस्कार
सनसोनेत्ती लिखते हैं, "6 जुलाई को, पियर जोर्जो के अंतिम संस्कार के दिन, उनके अविश्वासी माता-पिता और उनके परिचित एवं रिश्तेदार, तूरीन के सबसे वंचित, परित्यक्त, साधारण, दीन तथा गरीब इलाकों से हज़ारों पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को गिरजाघर की ओर जानेवाली सड़कों पर कतार में खड़ा देखकर आश्चर्यचकित और स्तब्ध थे।" यह चित्र फ्रसाती के जीवन, दूसरों के प्रति उनके प्रेम, बहिष्कृत लोगों के प्रति उनके वास्तविक, अनौपचारिक समर्पण और उनके परिवार द्वारा उन्हें समझ पाने में हुई कठिनाई की कहानी कहता है, जिन्हें बाद में ही सही मायने में एहसास हुआ कि यूखरिस्त से प्रेम करनेवाला यह उदार युवक वास्तव में कौन था।