सिस्टर नेली लेओन : महिलाओं के साथ रहने और सेवा करने के लिए जेल में स्वतंत्र
सिस्टर नेली लियोन ने अपने जीवन के अंतिम 25 वर्ष जेल के अंदर और बाहर महिला कैदियों के साथ रहने के लिए समर्पित किए हैं। उन्होंने एक ऐसे फाऊंडेशन की नींव डाली है जो महिलाओं को जेल से निकलने के बाद समाज में फिर से शामिल होने में मदद करता है। उनकी सेवा और समर्पण को अब मानव बंधुत्व के लिए 2024 जायद पुरस्कार के माध्यम से दुनिया भर में पहचान मिली है।
सिस्टर नेली लियोन कोरिया, मानव बंधुत्व के लिए 2024 जायद पुरस्कार के सह-विजेता के रूप में प्रस्तुत होने के लिए, चिली के संतियागो स्थित एक जेल के कोने से 2 फरवरी को अबू धाबी पहुँचीं।
संतियागो में महिला जेल की कठोर वास्तविकता में अपने पिछले 20 वर्षों का अधिकांश समय बितानेवाली सिस्टर नेली मुस्कुराते हुए और विनम्रता के साथ आलीशान एमिरेट्स पैलेस होटल में अन्य विजेताओं के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपस्थित हुईं।
मध्य चिली के पेरालिलो गांव में उनका जन्म 21 सितंबर, 1958 को हुआ था। उनके पिता अबेल एक कड़ी मेहनत करनेवाले किसान थे और माँ कार्मेन ग्रामीण इलाके की बेहद अनिश्चित परिस्थितियों में बच्चों के पालन-पोषण के लिए समर्पित थीं।
नेली 8 भाई-बहनों में सबसे छोटी थीं और बतलाती हैं कि गरीबी के बावजूद, वे हमेशा खुश रहती थीं, उन्हें कभी स्नेह की कमी का एहसास नहीं हुआ, साथ ही उन्होंने ईश्वर से प्रेम करना सीखा।
उसके बाद वे राजधानी सांतियागो गये, और एक डेरा घर में रहकर धर्म शिक्षक की पढ़ाई की। अपने खर्च चुकाने के लिए नेली ने एक घरेलू कामकाजी के रूप में काम किया और बाद में एक धोबी घर में भी काम किया।
जब नेली ने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली, तो सबसे गरीब लड़कियों को ईश्वर का प्रेम देने के लिए खुद को समर्पित किया और इस सेवा को करते समय, उसने एक वयस्क द्वारा सात वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म देखा।
लेकिन अपराधी को सजा नहीं मिली जो उन्हें सोचने के लिए मजबूर किया कि एक बेहतर भविष्य के निर्माण के लिए वे किस तरह गरीब बच्चियों और महिलाओं की मदद कर सकती हैं, न केवल आर्थिक मदद से बल्कि मूल्यों एवं आध्यात्मिकता के द्वारा।
सिस्टर नेली अक्सर कहा करती हैं कि उस दुखद घटना के बाद उनका जीवन पूरी तरह बदल गया क्योंकि यद्यपि वे शादी करना एवं परिवार बसाना चाहती थी, उसने अपने दिल में ईश्वर के प्रति एवं जरूरतमंद बच्चियों और महिलाओं के प्रति गहरे प्रेम का अनुभव किया।
1980 के दशक में अपने पिताजी की सहमति के बिना, उन्होंने कमजोर महिलाओं की मदद करनेवाले गुड शेफर्ड धर्मसमाज में प्रवेश किया। धर्मसमाज कमजोर महिलाओं की विशेष मदद करता है खासकर, जो स्वतंत्रता से वंचित है। 1986 में उन्होंने पहला मन्नत लिया और समुदाय की सदस्य बन गई।
नेली का पहला मिशन गरीब लड़कियों वाले घरों में सेवा करना था, जिनमें से कई को छोड़ दिया गया था, और वे कई वर्षों तक उनके साथ रहीं, मातृत्व का गहराई से अनुभव किया और प्रत्येक लड़की को स्नेह दिया एवं उनकी देखभाल की मानो कि वे उनकी अपनी बेटियाँ हों।
1999 में जेल की महिलाओं को साथ देने के लिए वालपारेसो शहर गई। यद्यपि एक धर्मबहन बनना हमेशा से उनका सपना रहा था, सलाखों के पीछे की परिस्थिति, उनकी अपेक्षा से कहीं अधिक कठोर और दर्दनाक लगी।
प्रत्येक महिला के पीछे, उसने इतने टूटे जीवन और पीड़ा देखी कि उसे लगा कि वह सेवा जारी नहीं रख पाएगी। लेकिन उनके विश्वास और दूसरों के साथ सहानुभूति रखने की उनकी महान क्षमता ने उन्हें अपनी सेवा जारी रखने में मदद की।
2005 में, वे सांतियागो शहर में, देश की सबसे बड़ी महिला जेल में मिशन पर लौटीं। इस बार, उसका दिल टूट गया जब उसने कैदियों की दयनीय स्थिति और उनकी प्रतिष्ठा के प्रति सम्मान की कमी देखी।
प्रभाव इतना तीव्र था कि सिस्टर नेली ने विश्वास के गहरे संकट का अनुभव किया, और सवाल करने लगी कि ईश्वर अपनी बेटियों को इस तरह के दुःख में कैसे रहने देते हैं। लेकिन उसने हार नहीं मानी।
उन्होंने निश्चय किया कि वे इन महिलाओं की कहानी सुनेंगी और उन्हें एहसास दिलायेंगी कि उनका जीवन कितना महत्वपूर्ण है और कि कोई उन्हें प्यार करता है।
इसने उन्हें समाज और अपनी गलतियों से आहत कई महिलाओं की जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए मनोआध्यात्मिक संगत में मास्टर कार्यक्रम में दाखिला लेने के लिए प्रेरित किया।
इस नई चुनौती का एक प्रारंभिक परिणाम है जेल से निकलने वाली महिलाओं के लिए एक स्वागत योग्य घर का निर्माण, जिन्हें उन्हीं गलतियों में फंसने से बचने के लिए उन स्थानों पर लौटने से बचना होगा जहां उन्होंने अपराध किए थे।
बहुत कम संसाधनों किन्तु दृढ़ इच्छा शक्ति से सिस्टर नेली ने सहयोगियों का एक नेटवर्क बनाया जिसने बाद में “मुखेर लेवंताते” (लड़की, उठो) फाउंडेशन का रूप लिया।
जो एक अस्थायी स्वागत परियोजना के रूप में शुरू हुई थी वह एक स्थायी सेवा बन गई जो जेल में महिलाओं को मजबूत करने का प्रयास करती है ताकि जब वे जेल से रिहा हो जाती हैं, तो अधिक संसाधनों के साथ समाज में फिर से शामिल हो सकें।
यही कारण है कि फाउंडेशन वर्तमान में उनके व्यक्तिगत, संबंधपरक, मनोवैज्ञानिक, आध्यात्मिक और कार्य-संबंधी कौशल पर काम कर रहा है। "मुखेर लेवानताते" कार्यक्रमों का प्रभाव ऐसा है कि इस कार्यक्रम से लाभान्वित होने वाले केवल 6 प्रतिशत लोग ही दोबारा अपराध करते हैं, जबकि राष्ट्रीय अपराध दर 50 प्रतिशत है।