हैती में बच्चों का उत्पीड़न जारी

हैती में बच्चों पर बढ़ते हमलों के खिलाफ़ कार्रवाई करने का आह्वान अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से करते हुए संयुक्त राष्ट्र संघीय बाल निधि यूनीसेफ ने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया है कि हैती में बच्चों का उत्पीड़न जारी है।
हैती में यूनीसेफ की प्रतिनिधि गीता नारायण ने एक बयान जारी कर देश में बच्चों की मौजूदा स्थिति पर गहन चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि हथियारबंद गिरोहों के प्रभाव के बढ़ने के कारण हैती के लोग हिंसा और अत्याचारों से त्रस्त हैं।
मानवता पर हमला
श्रीमती नारायण ने कहा कि पिछले कई वर्षों से इस छोटे से करीबियाई देश में गिरोहों की हिंसा के बढ़ते स्तर देखे गए हैं। संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीयआप्रवास संगठन के अनुसार, आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की संख्या तीन गुना बढ़कर दस लाख से अधिक हो गई है। गिरोहों ने राजधानी पोर्ट-ऑ-प्रिंस पर कब्ज़ा कर लिया है, जिसके कारण स्वास्थ्य सेवाएँ ध्वस्त हो गई हैं और खाद्य असुरक्षा का संकट उत्पन्न हो गया है।
इसके अलावा, नारायण ने बताया कि अब बच्चों को निशाना बनाया जा रहा है और वे " सशस्त्र समूहों के हमलों के कारण अकल्पनीय भयावहता का सामना कर रहे हैं।" 11 फरवरी को आवारा गोलियों ने कक्षा में बैठे एक छात्र की जान ले ली थी। यूनिसेफ के प्रतिनिधि ने उन रिपोर्टों का भी वर्णन किया कि जिसमें दो महीने के बच्चे को उसकी माँ के सामने ज़िंदा जला दिया गया, उन्होंने कहा कि यह "एक भयानक अत्याचार है जिसके समक्ष विश्व मौन नहीं रह सकता।"
हैती के केंसकॉफ़ में दो अधिकारियों की हत्या के बाद लोग अपने घर छोड़कर भाग रहे हैं। नारायण ने ज़ोर देकर कहा कि ये कार्रवाई हिंसा से कहीं ज़्यादा है, बल्कि यह "मानवता पर हमला है।"
यूनिसेफ़ की प्रतिनिधि नारायण ने राष्ट्रीय अधिकारियों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से हैती के बच्चों की रक्षा करने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने" का आह्वान किया है। इस बात पर उन्होंने बल दिया कि "हर बच्चे को बिना किसी डर के जीने का हक़ है।"
बाल भर्ती
ग़ौरतलब है कि हैती में लगभग 12 लाख बच्चे लगातार सशस्त्र हिंसा के खतरे में रहते हैं, और सशस्त्र गिरोहों में भर्ती होने वाले बच्चों की संख्या में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है। विगत नवंबर माह में, यूनिसेफ द्वारा जारी एक रिपोर्ट से पता चला कि देश में बाल भर्ती में 70% की वृद्धि हुई है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बताया कि गिरोह के सदस्यों में 30% से 50% बच्चे हैं।
कई लोगों को मुखबिर, सैनिक, रसोइया बनने के लिए मजबूर किया जाता है और यहाँ तक कि लड़कियों का इस्तेमालव गिरोह के सदस्यों के लिए “पत्नियों” के रूप में भी किया जाता है। मना करने पर उनके जीवन और उनके परिवारों के जीवन को खतरा होता है। नारायण ने चेतावनी दी कि “दुनिया चुप नहीं रह सकती” क्योंकि हैती में लाखों मासूम बच्चे इस हिंसा और अमानवीय व्यवहार को झेल रहे हैं।