बिजली समस्या से जुझती लेबनानी व सीरियाई कलीसिया को सौर पैनल से राहत
दुनिया 3 मई को जब विश्व सूर्य दिवस की 30वीं वर्षगांठ मना रही है, नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों के महत्व को रेखांकित करने के लिए, एड टू द चर्च इन नीड (जरूरतमंदों को कलीसिया की सहायता संगठन) इस बात पर प्रकाश डाल रहा है कि कैसे सौर पैनल पल्लियों, धर्मसमाजी समुदायों और संस्थानों के जीवन में एक बड़ा बदलाव ला रहे हैं, उन देशों में जहाँ बिजली की कीमतें खतरनाक रूप से बढ़ी हैं।
पिछले कुछ वर्षों में लेबनान और सीरिया को प्रभावित करनेवाले भयावह वित्तीय संकट ने कई मायनों में सभी नागरिकों के लिए जीवन कठिन बना दिया है। कई वस्तुएँ जो पहले सस्ते में मिल जाती थीं, वे अब बेहद महंगी हो गई हैं, जिनमें बिजली भी शामिल है। सीरिया में, कीमतों में हाल ही में 500 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
लेबनान के कई हिस्सों में, राज्य प्रदत्त बिजली दिन में केवल चार घंटे ही उपलब्ध है, जिसका अर्थ है कि लोगों को बहुत महंगे ईंधन से चलनेवाले जनरेटर का सहारा लेना पड़ता है।
सीरिया में, स्थिति और भी खराब है, क्षेत्र के आधार पर प्रति दिन शून्य से तीन घंटे के बीच बिजली होती है, और जनरेटर, जो अक्सर माफिया जैसी कंपनियों द्वारा चलाए जाते हैं, एकमात्र विकल्प है। देश के कुछ हिस्सों, जैसे राजधानी दमिश्क और होम्स में, जनरेटर ज्यादातर अनुपलब्ध हैं, जिसके कारण लोग पूरी तरह से राज्य से बिजली की बहुत सीमित आपूर्ति पर निर्भर है।
स्वाभाविक रूप से, इसका कलीसिया की गतिविधियों पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। पल्ली और समुदाय अपने विश्वासियों को सेवाएँ प्रदान करने में असमर्थ हैं, भोजन-भंडारण सीमित है, और बढ़ती कीमतें आध्यात्मिक साधना या धार्मिक समारोहों के लिए दलों की मेजबानी की लागत में परिलक्षित हो रही हैं। इस घटना का कलीसिया की सामाजिक गतिविधियों पर भी प्रभाव पड़ रहा है: अनाथालय, नर्सिंग होम, स्कूल और किंडरगार्टन अंधेरे में काम करने के लिए मजबूर हैं। रेफ्रिजरेटर की कमी के कारण खाना बड़े पैमाने पर बिगड़ जाते हैं।
यही कारण है कि जरूरतमंदों के लिए कलीसिया की सहायता (एसीएन), कलीसियाई संस्थानों को सौर पैनल स्थापित करने में मदद करने के लिए एक बड़े पैकेज का वित्तपोषण कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों में, संगठन ने सीरिया और लेबनान दोनों में 1.7 मिलियन डॉलर से अधिक मूल्य की 60 से अधिक परियोजनाओं को मंजूरी दी है, और इसके परिणामस्वरूप लाभार्थियों में रोशनी और आशा दोनों की वापसी हुई है। इन परियोजनाओं से कुल 24 धर्मसमाजी समुदाय लाभान्वित होंगी, साथ ही दोनों देशों के 16 धर्मप्रांतों की 37 पल्लियाँ भी लाभान्वित होंगी। सौर ऊर्जा 11 कॉन्वेंट और सात सेमिनरी एवं नवशिष्यलय के साथ-साथ 22 स्कूलों तक भी पहुँचेगी।
राज्य-निर्मित बिजली और कार्बन-ईंधन आधारित जनरेटर से सौर ऊर्जा की ओर बढ़ने के द्वारा, ये कलीसियाई भवन, टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल विकल्प का उदाहरण पेश कर रहे हैं। जिसके लिए वाटिकन आमघर की देखभाल हेतु हमेशा चिंता व्यक्त करता है।
सोलर पैनल से लाभ
"आप हमें भविष्य बनाने के लिए उपकरण दे रहे हैं।"
फादर ख्रीस्तीयन जेरेस ने एड टू द चर्च इन नीड को बतलाया कि लेबनान का संत तेकला पारिश अपनी बिजली के लिए हर महीने 60 डॉलर चुकाता था लेकिन जब से सोलर पैनल स्थापित किया गया है हर महीना उन्हें सिर्फ 3 डॉलर चुकाने पड़ रहे हैं। इसका मतलब है प्रेरितिक मिशन के लिए अधिक पैसा।
पवित्र परिवार को समर्पित धर्मसंघ की धर्मबहन याऊत ने बतलाया कि सोलर पैनल से बहुत कुछ बदला है। “राज्य प्रतिदिन एक या दो घंटे बिजली प्रदान करता है, लेकिन यह बहुत महंगी है। हमारे पास एक कोल्ड रूम और तीन फ्रिज हुआ करते थे, लेकिन अब हमारे पास केवल एक ही है। हमें जनरेटर के लिए सदस्यता का भुगतान करना पड़ता था, जिसकी कीमत 30 डॉलर थी, साथ ही 300 से 400 डॉलर के बीच खर्च होता था, लेकिन अब सौर पैनलों के साथ यह 6 डॉलर तक कम हो गया है, और शरद ऋतु के महीनों के लिए यह बिल्कुल ही कम, इसलिए हमने बहुत कुछ बचाया है।”
धर्मबहनें विशेषकर, बौद्धिक रूप से दिव्यांग लोगों के लिए काम करती हैं और बिजली में बचत के द्वारा वे अब कॉन्वेंट के अतिथिशाला में ठहरने के लिए समूहों से कम शुल्क ले सकते हैं, जिससे साबित होता है कि सौर पैनल परियोजनाओं के लाभ, व्यापक ख्रीस्तीय समुदाय के लिए प्रकाश की किरणों की तरह चमक रहे हैं।
जरूरतमंदों को कलीसिया की सहायता संगठन, टिकाऊ ऊर्जा समाधान प्रदान करके कलीसिया को दुनिया के कुछ सबसे जरूरतमंद क्षेत्रों में उनके मिशन को जारी रखने में मदद करने के लिए सौर पैनल परियोजनाओं का समर्थन करना जारी रखेगा।