प्रवासियों के अधिकारों का समर्थन करने के लिए भारतीय कलीसिया की पहल

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन (सीसीबीआई) के प्रवासी आयोग ने "अनौपचारिक प्रवासी श्रमिकों का समर्थन: अधिकारों तक पहुंच" परियोजना जारी की है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी प्रवासी श्रमिकों को बुनियादी अधिकारों और सेवाओं तक समान पहुंच प्राप्त हो।

सीसीबीआई के प्रवासी आयोग ने अंतरराष्ट्रीय काथलिक आप्रवासी आयोग (आईसीएमसी) के साथ स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा जैसी आवश्यक सेवाओं तक पहुँचने में अनौपचारिक प्रवासी श्रमिकों के सामने आनेवाली चुनौतियों का समाधान करने के तरीके के रूप में इस परियोजना की कल्पना की है।

यह परियोजना अनौपचारिक प्रवासी श्रमिकों के अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इस हाशिए पर मौजूद समूह की बेहतर सुरक्षा के लिए नीतिगत बदलावों की वकालत करने पर भी ध्यान केंद्रित करेगी।

परियोजना का उद्घाटन करते हुए नई दिल्ली के महाधर्माध्यक्ष एवं सीसीबीआई एवं सीबीसीआई के महासचिव माननीय अनिल कुटो ने कहा, “यह परियोजना समुदाय की सेवा करने और जरूरतमंद लोगों को आवश्यक सेवाएँ प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है। मुझे विश्वास है कि इस पहल का हमारे शहर के कई लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।”

उन्होंने विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला ताकि परियोजना को सफल बनाया जा सके और अनौपचारिक प्रवासी श्रमिकों के जीवन में स्थायी बदलाव लाया जा सके। महाधर्माध्यक्ष कुटो ने आशा व्यक्त की कि यह परियोजना प्रवासियों की चुनौतियों का सामना करने हेतु दूसरे शहरों के लिए एक मॉडल के रूप में होगा।

अपने उद्घाटन संदेश में, महाधर्माध्यक्ष कूटो ने प्रवासियों का समर्थन करने, सुसमाचार से जुड़ाव और कलीसिया के व्यापक मिशन के प्रति कलीसिया की स्थायी प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। उन्होंने भाषा, संस्कृति और मूल की सीमाओं से परे सभी लोगों को एक परिवार का हिस्सा मानने के महत्व को दोहराया। ख्रीस्त की शिक्षाओं में प्रेम और एकता के मूल संदेश पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, "सुसमाचार हमें हमारे द्वारा बनाई गई दीवारों पर काबू पाना और उन्हें गिराना सिखाता है।"

सीसीबीआई के प्रवासी विभाग के कार्यकारी सचिव फादर जेइसन ने 'प्रवासी श्रमिकों को आजीविका सहायता' पर पिछली परियोजना के प्रभावशाली परिणामों का साक्ष्य साझा किया। इसके द्वारा तीन धर्मप्रांतों के 300 प्रवासियों को लाभ मिला था। उन्होंने नई परियोजना से लाभार्थियों को उनके अधिकारों तक पहुंच बढ़ाने के लिए सरकारी योजनाओं के साथ एकीकृत करने के महत्व पर जोर दिया।

उन्होंने आगे घोषणा की कि यह परियोजना अंतर्राष्ट्रीय काथलिक प्रवासन आयोग द्वारा प्रदान की गई फंडिंग के साथ, धर्मप्रांतीय भागीदारों की देखरेख में आगरा, मेरठ और दिल्ली धर्मप्रांतों में लागू की जाएगी।

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि परियोजना इन क्षेत्रों में अनौपचारिक प्रवासी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा और कानूनी सहायता के संबंध में अधिकारों पर प्रशिक्षण और अभियान प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करेगी। फादर वडासेरी ने इस पहल की सफलता सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय समुदायों, सरकारी एजेंसियों और गैर-लाभकारी संगठनों के बीच सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला।

परियोजना के 15 प्रतिभागी आगरा, मेरठ और दिल्ली से थे। हितधारकों ने अनौपचारिक प्रवासी श्रमिकों को उनके अधिकारों और हकदारियों तक पहुंचने में आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।

चर्चा में यह सुनिश्चित करने के लिए निरंतर समर्थन और निगरानी की आवश्यकता व्यक्त की गई कि प्रशिक्षण और अभियान इन क्षेत्रों में अनौपचारिक प्रवासी श्रमिकों तक पहुंचने और उन्हें सशक्त बनाने में प्रभावी हैं।

सलाहकार सिस्टर रानी पुन्नासेरिल ने अनौपचारिक प्रवासी श्रमिकों को अपने अधिकारों का दावा करने के लिए सशक्त बनाने हेतु कानूनी वकालत और जागरूकता अभियानों के महत्व पर प्रकाश डाला। इसके अतिरिक्त, सिस्टर अनुशिया फर्नांडीस ने इन कमजोर लोगों के लिए एक व्यापक सहायता प्रणाली बनाने हेतु स्थानीय संगठनों और सरकारी एजेंसियों के साथ साझेदारी के महत्व पर जोर दिया।

उत्तर भारत के सोशल फोरम निदेशक फादर सुनील क्रस्टा ने इन बैठकों के महत्व को रेखांकित किया, जो हितधारकों के बीच चल रहे सहयोग और संचार के लिए एक मंच प्रदान करेगा, जो अनौपचारिक प्रवासी श्रमिकों के सामने आनेवाली चुनौतियों के समाधान के लिए अधिक सामंजस्यपूर्ण दृष्टिकोण को बढ़ावा देगा। इस प्रतिबद्धता और गति को बनाए रखते हुए, लंबी अवधि में इन व्यक्तियों की भलाई और अधिकारों को बढ़ाने के लिए सकारात्मक बदलाव किए जा सकते हैं।

उद्घाटन समारोह का समापन सभी प्रतिभागियों की ओर से अनौपचारिक प्रवासी श्रमिकों के जीवन एवं कार्य स्थिति को बेहतर बनाने हेतु एक साथ आगे बढ़ने की प्रतिबद्धता व्यक्त करने के साथ हुआ।