पोप लियो 14वें 9 जुलाई को सृष्टि की देखभाल के लिए एक ख्रीस्तयाग का अनुष्ठान करेंगे

समग्र मानव विकास को बढ़ावा देने के लिए गठित विभाग और दिव्य उपासना एवं संस्कारों के अनुष्ठान के लिए गठित विभाग ने वाटिकन प्रेस कार्यालय में रोमन मिसल का एक नई प्रार्थना प्रस्तुत की, जो "सृष्टि की देखभाल" के लिए समर्पित है।
9 जुलाई, 2025 को पोप लियो 14वें "सृष्टि की देखभाल के लिए प्रथम ख्रीस्तयाग" अर्पित करेंगे, जिसमें रोमन मिसाल की एक नयी प्रार्थना होगी, जिसे समग्र मानव विकास को बढ़ावा देनेवाले विभाग और दिव्य उपासना एवं संस्कारों के अनुष्ठान के लिए गठित विभाग द्वारा तैयार किया गया है, और गुरुवार, 3 जुलाई को वाटिकन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रस्तुत किया गया। पोप अपनी छुट्टियों के दौरान "बोर्गो लौदातो सी" ("लौदातो सी गांव") के कर्मचारियों के साथ इस व्यक्तिगत ख्रीस्तयाग को अर्पित करेंगे, जो कि कास्तेल गंदोल्फो में पोप आवास में स्थित एक शैक्षिक केंद्र है।
समग्र मानव विकास के लिए गठित परमधर्मपीठीय विभाग के अध्यक्ष कार्डिनल माइकेल चरणी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, इस नई प्रार्थना के साथ "कलीसिया हम सभी को प्रकृति, हमारे आमघर की देखभाल करने के लिए आवश्यक धार्मिक, आध्यात्मिक और सामुदायिक समर्थन प्रदान कर रही है। इस तरह की सेवा वास्तव में विश्वास, आशा और उदारता का एक महान कार्य है।” सृष्टि की देखभाल के लिए समर्पित यह ख्रीस्तयाग "हमें ईश्वर द्वारा हमें सौंपी गई चीजों के प्रति वफादार प्रबंधक बनने के लिए प्रेरिति करता है - न केवल दैनिक विकल्पों और सार्वजनिक नीतियों में, बल्कि हमारी प्रार्थना, हमारी उपासना और दुनिया में हमारे जीने के तरीकों में भी।"
समग्र पारिस्थितिकी को बढ़ावा देने का एक तरीका
रोमन मिसल में विभिन्न आवश्यकताओं और अवसरों के लिए 49 अलग-अलग मिस्साएँ और प्रार्थनाएँ हैं। इनमें से 17 नागरिक आवश्यकताओं के लिए समर्पित हैं और यह नयी प्रार्थना अब इस श्रेणी का हिस्सा बन जाएगा। पोप लियो 14वें द्वारा अनुमोदित और 8 जून की तारीख वाले दिव्य उपासना और संस्कारों के अनुशासन के लिए विभाग द्वारा एक आधिकारिक डिक्री भी जारी की गई, जो रोमन मिसल में प्रार्थना को जोड़ने का प्रतीक है।
इस प्रार्थना को कई वाटिकन विभागों के सहयोग से विकसित किया गया है और यह पोप फ्राँसिस के विश्वपत्र लाउदातो सी से काफी प्रेरित है, जो इस वर्ष अपने प्रकाशन की 10वीं वर्षगाँठ मना रहा है। इस नियमावली का विमोचन विश्व शांति दिवस के लिए संत जॉन पॉल द्वितीय के 1990 के संदेश की 35वीं वर्षगांठ के वर्ष पर भी पड़ता है, जिसका शीर्षक है "सृष्टिकर्ता ईश्वर के साथ शांति, पूरी सृष्टि के साथ शांति"।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दिव्य उपासना और संस्कारों के अनुशासन के लिए विभाग के सचिव महाधर्माध्यक्ष वितोरियो फ्रांसेस्को वियोला ने बताया, "'सृष्टि की देखभाल के लिए ख्रीस्तयाग' लाउदातो सी में निहित कुछ मुख्य पदों को लेता है और उन्हें धार्मिक ढांचे के भीतर प्रार्थना के रूप में व्यक्त करता है।" इस ख्रीस्तयाग के लिए सूत्र बनाने वाले पाठ "एक झूठी या सतही पारिस्थितिकी" के साथ लाउदातो सी को पढ़ने के खिलाफ एक अच्छा मारक हैं, जो "विश्वपत्र में वर्णित और प्रचारित उस 'अभिन्न पारिस्थितिकी' से बहुत दूर है"। वास्तव में, उन्होंने पोप फ्राँसिस के विश्वपत्र को केवल "पारिस्थितिक" के बजाय "पारिस्थितिक-सामाजिक" दस्तावेज के रूप में वर्णित किया।
जलवायु परिवर्तन से प्रभावित लोगों को याद करते हुए कार्डिनल चरणी ने कहा, "सृष्टि कोई अतिरिक्त विषय नहीं है, बल्कि यह हमेशा काथलिक धर्मविधि में मौजूद रहता है", क्योंकि यूखरिस्त "स्वर्ग और पृथ्वी को जोड़ता है, यह पूरी सृष्टि को गले लगाता है और उसमें प्रवेश करता है" और इसमें "हम जो रोटी और दाखरस प्राप्त करते हैं, उसके लिए हम ईश्वर को धन्यवाद देते हैं"। यह मिस्सा अब "हमारी कृतज्ञता बढ़ा सकता है" और आज के मुद्दों पर "हमें देखभाल एवं प्रेम के साथ प्रतिक्रिया करने के लिए आमंत्रित करता है।"
सृष्टि की देखभाल के लिए इस वर्ष के विश्व प्रार्थना दिवस के लिए पोप लियो 14वें के संदेश को उद्धृत करते हुए, जिसे 2 जुलाई को जारी किया गया था, कार्डिनल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि “ऐसी दुनिया में जहाँ हमारे सबसे कमज़ोर भाई-बहन जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई और प्रदूषण के विनाशकारी प्रभावों को सबसे पहले झेलते हैं, सृष्टि की देखभाल हमारी आस्था और मानवता की अभिव्यक्ति बन जाती है”। उन्होंने लाउदातो सी का हवाला देते हुए जोर दिया कि “पृथ्वी का रोना और गरीबों का रोना एक ही है और सतही पारिस्थितिकी का खतरा” यह मानना है कि हल की जानेवाली एकमात्र “समस्याएँ पारिस्थितिकीय हैं” और यह “लोगों की कीमत पर” किया जा सकता है।
ख्रीस्तयाग में शामिल पाठ और प्रार्थनाएँ
महाधर्माध्यक्ष वियोला ने इस बात पर जोर दिया कि इस ख्रीस्तयाग में शामिल पाठ “बहुत समृद्ध हैं और कई अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।”। उदाहरण के लिए, पुराने नियम से, प्रज्ञा ग्रंथ (13,1-9) से एक पाठ शामिल की गई है, जो ईश्वर को उसकी सृष्टि के माध्यम से देखने के महत्व पर प्रकाश डालती है। अंतरभजन के लिए, भजन 18 से कुछ पद सूचीबद्ध हैं, जो इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि कैसे “आकाश ईश्वर की महिमा का बखान करता है”, और भजन 103, कहता है “प्रभु को धन्य कहो, उसके सभी प्राणी।”